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5 हजार करोड़ के अवैध उत्खनन पर काबिज रहने को माफि या हर साल अमले पर करता है औसतन 15 हमले

locationग्वालियरPublished: Sep 08, 2018 10:10:14 am

Submitted by:

Gaurav Sen

5 हजार करोड़ के अवैध उत्खनन पर काबिज रहने को माफि या हर साल अमले पर करता है औसतन 15 हमले

sand and stone mining in gwalior

5 हजार करोड़ के अवैध उत्खनन पर काबिज रहने को माफि या हर साल अमले पर करता है औसतन 15 हमले

ग्वालियर। जून में रेत के वाहन की टक्कर से 15 मौतें होने के बाद घाटीगांव में वन विभाग की टीम पर हमला और अब डिप्टी रेंजर की जिंदगी छीनकर रेत-पत्थर माफिया ने सीधे तौर पर शासन को चुनौती दी है। हर साल ग्वालियर-शिवपुरी-मुरैना और भिंड जिले में हो रहा लगभग 5 हजार करोड़ रुपए का अवैध उत्खनन और परिवहन 20 से 30 जिंदगियां छीन रहा है।

बेखौफ माफिया हर वर्ष एक वर्दीधारी की जिंदगी को रेत-पत्थर के वाहन से कुचल रहा है। इसके अलावा वन, माइनिंग और प्रशासन की टीम पर हर साल लगभग 15 हमले किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि अवैध उत्खनन और परिवह का यह मामला हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बीते सत्र में उठा था। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने पूरी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए थे। इसके बावजूद प्रशासन के नुमाइंदे और शासन के प्रतिनिधि अपरोक्ष संरक्षण प्रदान करके आम जिंदगियां खतरे में छोड़ दी हैं।


इस तरह हावी है माफिया का आतंक
24 जून को मुरैना जिले की सीमा में मुरार की ओर जा रही एक जीप में रेत से भरे वाहन ने टक्कर मार दी थी, इसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी। इस पूरे मामले में सरकार ने संवेदनशीलता दिखाने की बजाय रेत माफिया को खुली छूट दे दी है।

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साल 2018 की शुरुआत में ग्वालियर जिले के भितरवार रोड पर सुबह के समय रेत पर वर्चस्व को लेकर माफिया ने हत्या कर दी थी। इस मामले में अब तक लीपापोती ही जारी है।

लगभग दो महीने पहले भिंड में एक पत्रकार की ट्रक से कुचलकर हत्या का मामला सामने आया था। इस मामले में पुलिस ने लीपापोती ही की है। जानबूझकर की गई इस घटना का वीडियो पूरे देश में वायरल हुआ था।

जून 2016 में चंबल से अवैध रेत लेकर आ रहीं चार ट्रॉली रेत पकड़ी गई थी। रायरू के पास हुई वन विभाग की इस कार्रवाई के दौरान एक ट्रैक्टर चालक ने वाहन दौड़ा दिया था। इसको पकडऩे के लिए वन आरक्षक नरेन्द्र शर्मा ने कोशिश की तो उनको जान से हाथ धोना पड़ा।

अप्रैल 2015 में मुरैना जिले के नूराबाद में पुलिस और वन की संयुक्त कार्रवाई में चालक ने रेत के डंपर को दौड़ा लिया। इसको पकडऩे के लिए आरक्षक धर्मेन्द्र चौहान ने कोशिश की तो उसकी जान चली गई।

8 मार्च 2012 को मुरैना में पत्थर भरकर ला रहे ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोकने के लिए आईपीएस नरेन्द्र कुमार सिंह ने प्रयास किया था। उनकी जान चली गई।

2006-07 में तत्कालीन मुरैना कलेक्टर आकाश त्रिपाठी और एसपी हरिसिंह यादव ने अवैध उत्खनन को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई शुरू की थी। इससे बौखलाए माफिया ने अधिकारियों पर फायरिंग कर दी थी।

 

इस तरह चल रहा गिट्टी का अवैध करोबार

बिलौआ में 87 खदानों के पट्टे हैं,50 क्रैशर लगे हैं।

37 क्रैशर पर बिजली कनैक्शन हैं और 14 क्रैशर पर जनरेटर लगे हैं।

2003 से लगातार उत्खनन जारी है, लेकिन 2009 के बाद इसमें अंधाधुंध तेजी आई है।

बीते सालों के दौरान लगभग 10 करोड़ 80 लाख टन गिट्टी निकाली जा चुकी है।

सरकार के खजाने में लगभग 300 करोड़ रुपए की रॉयल्टी ही पहुंच पाई है।

 

यह उत्पादन का गणित

2 यूनिट बिजली की खपत में एक टन गिट्टी का उत्पादन होता है।

37 कनेक्शन पर हर महीने करीब 20 लाख यूनिट बिजली खपत।

घनमीटर में यह उत्पादन लगभग 7 लाख 50 हजार होगा।

प्रत्येक क्रैशर के हिसाब से देखें तो हर महीने 15 हजार घनमीटर गिट्टी निकल रही है।

 

इस तरह करते हैं चोरी

गिट्टी के उत्पादन के हिसाब से रॉयल्टी 7 करोड़ 50 लाख रुपए हर महीने होनी चाहिए।

उत्पादन पर 20 प्रतिशत वाणिज्यिक कर लगा दिया जाए तो यह 2 करोड़ रुपए होगा।

क्रैशर संचालकों ने 20 हजार से 1 लाख घनमीटर तक वार्षिक उत्पादन का माइनिंग प्लान दिया है। इस उत्पादन प्लान का एक भी संचालक पालन नहीं करता।

पत्थर का अवैध कारोबार

मुरैना के सुमावली,मितावली-पड़ावली, रनचोली, कोसा, गड़ाजर, भरावली सहित शनिचरा के आसपास के अन्य गांवों से और ग्वालियर जिले के घाटीगांव विकासखंड के जखौदा,जखौदी, भंवरपुरा, सुजवाया, लक्ष्मणपुरा व अन्य गांवों से पत्थर आता है।

मुरैना से 70 से 80 ट्रॉली सफेद फर्शी पत्थर की प्रतिदिनि आती हैं। यहां का पत्थर थाने के पीछे स्थित फड़ पर पहुंचता है। एक ट्रॉली 25 से 35 हजार रुपए तक होती है।

घाटीगांव से 20 से 25 ट्रॉली प्रतिदिन स्टोन पार्क में आती हैं। 15 से 20 ट्रॉली पुरानी छावनी थाने के पीछे स्थित फड़ पर आती है। एक ट्रॉली की कीमत 40 से 55 हजार रुपए के बीच होती है।

 

यह है रेत का कारोबार (बारिश का सीजन होने से अभी उत्खनन में कुछ कमी है)

डबरा,मुरार और भितरवार क्षेत्र से रोज करीब 300 डंपर और 250 ट्रॉली रेत ग्वालियर आता है।

करैरा, नरवर क्षेत्र से हर दिन लगभग 100 डंपर और 200 ट्रॉली रेत झांसी, शिवपुरी, गुना और ग्वालियर के लिए जाता है।

प्रतिदिन निकलने वाली रेत की कीमत लगभग 35 लाख रुपए है।

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