ग्वालियर

मां के समर्पण और त्याग की कहानी कतरा-कतरा जिंदगी का मंचन

बेटे को डॉक्टर बनाने दूसरों के घर किया काम

ग्वालियरSep 17, 2018 / 08:48 pm

Harish kushwah

natak

ग्वालियर. मां एक सागर की तरह है, जो अपने बच्चों की एक मुस्कान के लिए हर एक दुख को अपने ऊपर धारण कर लेती है और उफ तक नहीं करती…। प्रकृति का यह नियम है यदि कोई बेटा उसके साथ बुरा बर्ताव करता है, तो उसे अपने बुढ़ापे में भी वही कष्ट झेलना पड़ता है। मां के समर्पण और त्याग की कहानी को बयां करता नाटक है कतरा-कतरा जिंदगी। 1 घंटे 10 मिनट के इस नाटक ने देर तक रसिकों को बांधे रखा। यह नाटक परिष्कृति उज्जैन द्वारा जीवाजी यूनिवर्सिटी के गालव सभागार में रविवार को आयोजित किया गया। यह आयोजन मप्र नाट्य समारोह के दूसरे दिन हुआ। इस नाटक में आलेख व निर्देशन सतीश दवे का है। इस नाटक को खूब सराहा गया।
ये है कहानी

यह नाटक एक मां के त्याग और समर्पण की कहानी को दिखाता है। यह एक एेसी औरत की कहानी है, जिसके पति की मौत हो चुकी है और वह अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहती है। इसके लिए वह सिलाई करने से लेकर बर्तन मांजने तक का काम करती है और वह सफल भी होती है। बेटा डॉक्टर बन जाता है और अमीर लड़की से शादी करता है। एक समय एेसा आता है जब वह अपनी मां को वृद्धाश्रम छोड़ आता है। जल्द ही मां की मौत हो जाती है। अंत में उसी बेटे की संतान भी उसे वृद्धाश्रम में छोड़ देती है। यही वृद्ध बेटा पूरी कहानी को पार्श्व में कहता है। साथ ही यह संदेश भी देता है कि अपने मात-पिता का सदा सम्मान करना। मेरे जैसा अन्याय मत करना।
नाटक ‘महापरिव्राजक का मंचन आज : नाट्य समारोह के तीसरे दिन सोमवार को जीवाजी यूनिवर्सिटी के गालव सभागार में शाम 7 बजे से नाटक महापरिव्राजक का मंचन होगा। यह नाटक आदि शंकराचार्य पर केन्द्रित है। इसे रंगकुटुम्ब ग्वालियर की ओर से प्रस्तुत किया जाएगा।
 


नाट्य रूपांतरण आलोक शर्मा ने किया है। नाटक के निर्देशक जयेश भार्गव और सरिता सोनी हैं।

पात्र परिचय

अजय- जितेन्द्र सिंह सिसोदिया

मां- डॉ. सोनल सिंह

श्रवण- आयुष शर्मा, हर्षित शर्मा और दुर्गाशंकर सूर्यवंशी
तन्वी- माया शर्मा

डॉ. रवि- शुभम सत्य प्रेमी

दोस्त- शिरीश, सूरज, मनीष
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