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ग्वालियर

5 घंटे का समय लगाकर 211 किलोमीटर दूर से आते हैं छात्र, 500 रुपए खर्च करने पर भी समाधान नहीं

 
-वार्षिक फीस, परीक्षा फीस और टोकन की फीस जमा करने के बाद भी हर चक्कर पर एक छात्र की जेब से निकल जाते हैं औसतन 500 रुपए

ग्वालियरFeb 17, 2020 / 11:16 am

Dharmendra Trivedi

Students come from 211 kilometers away after spending 5 hours, even after spending 500 rupees, there is no solution

Students come from 211 kilometers away after spending 5 hours, even after spending 500 rupees, there is no solution

ग्वालियर।अंचल के 450 कॉलेजों में अध्ययनरत 80 हजार से अधिक छात्रों को जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन की किसी न किसी लापरवाही के कारण मानसिक, आर्थिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीते वर्ष परिणाम में हुई गड़बडिय़ों के कारण हर दिन करीब 200 छात्र प्रशासनिक भवन आकर समस्या सुलझाने के लिए रजिस्ट्रार,डीआर,परीक्षा नियंत्रक, परीक्षा भवन, गोपनीय विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। गुना,राघौगढ़,अशोकनगर,श्योपुर जैसे दूर दराज से आने वाले छात्रों को हर चक्कर पर कम से कम आठ घंटे का समय और 500 रुपए सिर्फ किराए में ही खर्च करना पड़ रहे हैं। खास बात यह है कि वार्षिक, परीक्षा और परिणाम में गड़बड़ी होने पर टोकन फीस जमा करने के बाद भी विवि के अधिकारी समय सीमा में समाधान करके संबंधित छात्रों के कॉलेज तक जानकारी नहीं भेज रहे हैं, जिससे छात्रों को हर बार पता करने के लिए प्रशासनिक भवन आना पड़ रहा है।
गलती जेयू की, भुगत रहे छात्र

-विवि से संबद्ध कॉलेज या सीबीसीएस सिस्टम के अंतर्गत अध्ययनशालाओं में पढ़ रहे छात्रों ने वार्षिक/सेमेस्टर और परीक्षा फीस भरने के बाद एग्जाम दिए थे। रिजल्ट आने के बाद रिजल्ट बनाने वाली कंपनी की लापरवाही की वजह से अंकसूची या परिणाम में जो गलतियां हुई हैं, उनमें सुधार कराने के लिए अब छात्रों को टोकन लेने के बदले में 250 रुपए खर्च करना पड़ रहे हैं।
इन छात्रों की सबसे ज्यादा परेशानी

-2018 और जून 2019 की परीक्षाओं में शामिल हुए छात्रों का रिजल्ट सबसे ज्यादा विदहेल्ड हुआ है।
-टेबुलेशन चार्ट और मार्कशीटों में गड़बड़ी सामने आ चुकी हैं।

-इसमें 2018 के फस्र्ट, थर्ड और फिफ्थ सेमेस्टर के छात्र शामिल हैं।
-बीएससी, बीए और बीकॉम फस्र्ट, सैकंड और थर्ड ईयर की परीक्षा देने वाले 18 हजार से अधिक छात्रों का परिणाम अभी भी अटके हैं।

-अंकसूची में नाम, विषय या फिर गलत तरीके से अंक दिए जाने के कारण 8 हजार से अधिक छात्रों की परेशानी बनी हुई है।
पुरानी अंकसूचियां भी अलमारियों में दबीं

गोपनीय विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की मनमानी के कारण 2014-15, 2015-16,2016-17 और 2018-19 की परीक्षाओं की अंकसूचियां संबंधित कर्मचारियों की अलमारी में बंद हैं। इनमें से बहुत सी अंकसूचियां संबंधित कॉलेजों तक पहुंचाई ही नहीं गई हैं। अब इनको प्राप्त करने के लिए छात्र लगभग रोज चक्कर काट रहे हैं और गोपनीय सेल के चैनल पर लगा ताला और सुरक्षा कर्मियों की फटकार सुनकर वापस चले जाते हैं।

-छात्रों की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। टोकन लेने वाले छात्रों की अंकसूची सहित अन्य समस्या को सुलझाने के लिए अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए जा चुके हैं। दूर से आने वाले छात्रों को परेशानी से बचाने के लिए सूचनाएं संबंधित कॉलेजों तक पहुंचाने की व्यवस्था की भी मॉनीटरिंग की जाएगी।
डॉ आईके मंसूरी, कुलसचिव-जीवाजी विश्वविद्यालय

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