प्रोफेसर डॉ.बीडी माणिक कार्यशाला में भाग ले रहे छात्र-छात्राओं को रायगढ़ घराने का इतिहास रायगढ़ के महाराज चक्रधर सेन द्वारा रचित ग्रंथो की जानकारी दी। उन्होंने बताया की रायगढ़ महाराज द्वारा रचित इन ग्रंथो में से नर्तन सर्वस्व में लिखा है कि कत्थक नृत्य से संबंधित विषयों पर विस्तार से उल्लेख किया गया है। उनके दूसरे ग्रन्थ मुरज परण पुष्पाकर के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि इस ग्रन्थ में गज विलाल एवं दावानल का उल्लेख है। जिसमें एक हाथी किस प्रकार एक महावत को लेकर कैसे विचरण करता है। इसके अलवा उन्होंने ठाठ राग के अंतर्गत अर्धनारेश्वर अंगहार के महत्व, शिव तांडव शिव जी द्वारा किये जाने तांडव नृत्य की जानकारी दी। कृष्णलास के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि इस नृत्य के द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम और रास के क्षणों को दर्शाया जाता हैं। अभिसारिका एवं उत्कंठिका अष्ट नायिकाओं की जानकारी देते हुए बताया कि नृत्य की इस कला में महिलाओं द्वारा सोलह शंृगार कर विहार करने का चित्रण प्रस्तुत किया जाता है। इस अवसर पर हितेश मिश्रा तबले पर एवं मनोज बमरेले ने हारमोनियम पर उनके साथ संगत की। कार्यक्रम की संयोजिका एवं कत्थक विभाग की अध्यक्ष डॉ अंजना झा ने आभार व्यक्त करते हुए कथक के विद्यार्थियों से कहा कि इस नृत्य की विरासत को सहेजने एवं अगले पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आपकी हैं।