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छात्रों ने कहा: कर्मचारी मांगते हैं रिश्वत, रिजल्ट अपलोड करते ही हटा ली जाती हैं मार्कशीट

locationग्वालियरPublished: Dec 10, 2019 12:02:31 pm

Submitted by:

Dharmendra Trivedi

:एनएसयूआई ने किया हंगामा, प्रॉक्टर से हुई हॉट टॉक-रिजल्ट घोषित होने से पहले ही करा दी सप्लीमेंट्री परीक्षा

Students said: Employees ask for bribe, mark sheet is removed as soon as result is uploaded

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ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में परीक्षा और परिणामों में लगातार आंदोलनों के बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। छात्रों की समस्या हल करने के लिए टोकन प्रणाली शुरू कराई गई है, इस प्रणाली का लाभ छात्रों को सही तरीके से नहीं मिल रहा है। विंडो पर कर्मचारियों द्वारा छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है, काम कराने के बदले में सीधे तौर पर पैसे मांगे जाते हैं। यह बात एनएसयूआई संगठन के छात्र नेता यतेन्द्र भदौरिया ने अन्य छात्रों के साथ कुलसचिव कार्यालय के बाद प्रदर्शन करते हुए उप कुलसचिव डॉ राजीव मिश्रा, प्रॉक्टर प्रो एसके सिंह,परीक्षा नियंत्रक प्रो आरकेएस सेंगर से कही है। इस दौरान नारेबाजी को लेकर प्रॉक्टर ने छात्रों से संयम बरतने की सीख दी तो छात्र और भडक़ गए। कुछ देर तक बहस के बाद में जब प्रॉक्टर ने छात्र हित में काम किए जाने की बात कही तो सभी शांत हो गए।

छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय द्वारा रिजल्ट घोषित करने के बाद मार्कशीट ऑनलाइन की जाती है, इसके तुरंत बाद ही पूरा डाटा हटा लिया जाता है, जिससे छात्र अगर बाद में मार्कशीट निकालना चाहे तो नहीं मिलती। ऑनलाइन मार्कशीट कम से कम एक महीने तक ऑनलाइन रखी जाए। बीएससी फस्र्ट ईयर, सैकंड ईयर कीत रीटोटलिंग का परिणाम अभी तक घोषित नहीं किया गया है, इसके बाद भी विवि ने सप्लीमेंट्री की परीक्षाएं करवा दीं, अब अगर रीटोटलिंग के रिजल्ट में किसी छात्र की सप्लीमेंट्री आई तो उसकी परीक्षा कैसे होगी। छात्रों के इन सवालों के जवाब में परीक्षा नियंत्रक ने विशेष परीक्षा कराने का आश्वासन दिया है। जबकि उप कुलसचिव डॉ मिश्रा ने सीएम हेल्पलाइन की पैंडेंसी को समय से निपटाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।


यह हैं छात्र संगठन की मांगें

-नागपुर की एजेंसी द्वारा हजारों छात्रों का भविष्य खराब कर दिया गया है। इस कंपनी के कारण विश्वविद्यालय की छवि पूरे देश में धूमिल हो रही है। इसके बाद भी प्रबंधन की मेहरबानी बरकरार है। न तो कंपनी को ब्लेक लिस्टेड किया गयाा है और न ही एफआईआर कराई गई है।


-यह पता चला है कि अधिकारियों की कृपापात्र बनकर रह गई रिजल्ट बनाने वाली कंपनी को ब्लेक लिस्टेड होने से बचाने के लिए अजमेर और कोलकाता की कंपनी से गोपनीय तरीके से काम कराया जा रहा है। इन कंपनियों ने भी पूर्व मेंं गड़बड़ी की थी, जिसके बाद हटाया गया था।

 

-विश्वविद्यालय प्रबंधन से परेशान छात्रों ने 280 से अधिक सीएम हेल्पलाइन लगाई हैं, इनका अभी तक निराकरण नहीं हुआ है।

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