पुलिस के अनुसार आरोपियों ने रुस्तम पैरा मेडिकल कॉलेज, छत्रसाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिछोर, एसएन गौर विवि, प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मिहोना, एमएलबी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित 40 स्कूल व कॉलेजों के नाम की सील बनवा रखी थीं। वह इन स्कूल व कॉलेजों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे और बायोमेट्रिक हाजिरी के लिए छात्र-छात्राओं के क्लोन अंगूठे तैयार करते थे, जिसके जरिए उनकी पूरे माह की हाजिरी बताकर प्रति माह 14 हजार रुपए शासन से लेते थे, लेकिन छात्रों को 3 महीने के कोर्स का 8 महीने बाद भी सॢटफिकेट नहीं दिया जाता था।
मुख्यमंत्री कौशल विकास संवर्धन योजना के तहत कम्प्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए कम्प्यूटर सेंटर चिन्हित किए गए हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्रों को 14 हजार रुपए प्रति माह मानदेय देने का प्रावधान है। इसमें फर्जीवाड़े की शिकायतें पूर्व में भी होती रही हैं। प्रशिक्षण देने के लिए फालका बाजार स्थित सीएससी ग्रुप ऑफ कम्प्यूटर की एक शाखा कुछ समय पूर्व लक्ष्मीबाई कॉलोनी में खुली थी, बाद में गुपचुप तरीके से यहां से हटा दिया, इससे कुछ छात्र परेशान हो रहे थे।
बताया गया है कि आरोपी प्रमोद यादव नि:शक्त है, लेकिन फर्जी दस्तावेजों के जरिए शासन को चपत लगाने में मास्टरमाइंड है। पुलिस ने दोनों भाइयों के विरुद्ध फर्जी दस्तावेज तैयार करने और धोखाधड़ी करने के आरोप में धारा 420,467,468 आदि के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर रही है, पता लगाया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन शामिल रहे हैं।
कुछ समय पूर्व भी इसी योजना के तहत बालभवन में केन्द्र चलाने वाले द्वारा पैसा मांगने का मामला प्रकाश में आया था, जिसमें छात्रों का कहना था कि हमसे केन्द्र के संचालक द्वारा पैसा वसूला जा रहा है, जिसको लेकर काफी बवाल हो गया था, यह मामला पुलिस थाने पहुंच गया था।