scriptस्टूडेंट्स को देश के लिए भी सोचना होगा, युवा मन को विचार व परिश्रम की आवश्यकता | Students will also have to think for the country | Patrika News

स्टूडेंट्स को देश के लिए भी सोचना होगा, युवा मन को विचार व परिश्रम की आवश्यकता

locationग्वालियरPublished: Mar 16, 2019 07:50:58 pm

Submitted by:

Harish kushwah

किसी भी देश व समाज का भविष्य वहां के युवाओं पर निर्भर करता हैं। युवा अर्थात युवा मन, युवा मन यदि सिर्फ अपने जीविकोपार्जन व जीवन के ईद-गिर्द ही विचार करता है, तो वह स्वयं को सीमाओं में रख रहा हैं और यह मजबूत देश-समाज के लिए सही नहीं है।

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ग्वालियर. किसी भी देश व समाज का भविष्य वहां के युवाओं पर निर्भर करता हैं। युवा अर्थात युवा मन, युवा मन यदि सिर्फ अपने जीविकोपार्जन व जीवन के ईद-गिर्द ही विचार करता है, तो वह स्वयं को सीमाओं में रख रहा हैं और यह मजबूत देश-समाज के लिए सही नहीं है। युवा मन को स्वच्छंद व सीमाओं से पार विचार व परिश्रम की आवश्यकता है। तभी एक मजबूत देश व समाज की परिकल्पना पूर्ण की जा सकती हैं। यह बात बीसी राय पुरस्कार विजेता डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने सेमिनार के दौरान कही। यह सेमिनार एलएनआइपीई में जीवन दर्शन व खेलों की इसमें भूमिका विषय पर आयोजित किया गया था। इस अवसर पर संस्थान के कुलपति प्रो. दिलीप कुमार डुरेहा, प्रभारी कुलसचिव प्रो. विवेक पांडे, प्रो. एस मुखर्जी उपस्थित रहे।
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डॉ. मिश्रा ने कहा कि हमें अपने देखने के नजरिए में भी सुधार करना होगा। जैसे हम एक शब्द बोलते हैं असंभव। अंसभव जैसा शब्द हमारे शब्दकोश में होना ही नही चाहिए। क्योंकि असंभव से अभिप्राय घुटने टेकने की प्रवृति से हैं और हम तो दो-दो हाथ करने में विश्वास रखते हैं। खेल इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। डॉ मिश्रा ने छात्रों को 4 डी अर्थात डिसिप्लिन, डिटरमिनेशन, डेडिकेशन व डिवोशन के बारे बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. इंदु बोरा ने किया एवं आभार प्रो. एस मुखर्जी ने व्यक्त किया।
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