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व्यवसायिक प्रशिक्षण सीखने अब कृषि छात्र जाएंगे विदेश

locationग्वालियरPublished: Oct 19, 2019 08:04:59 pm

Submitted by:

Neeraj Chaturvedi

नौकरियों की कमी को देखते हुए इस प्रोजेक्ट में बाज़ार के लिए तैयार विद्यार्थी बनाए जाएंगे। जो कि स्वयं के व्यवसाय भी स्थापित का सकें।

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व्यवसायिक प्रशिक्षण सीखने अब कृषि छात्र जाएंगे विदेश
– कौशल विकास के लिए 25 करोड़ का नया प्रोजेक्ट एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय को मिला
– नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजूकेशन प्रोजेक्ट के तहत बल्र्ड बैंक व भारत सरकार का है प्रोजेक्ट
ग्वालियर. कृषि के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अब कृषि छात्रों को विदेश भेजा जाएगा। जिससे छात्र वहां पर जाकर कृषि की नई तकनीकि को समझकर अपने देश में उसे आगे बढ़ा सकेगें। नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजूकेशन प्रोजेक्ट राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय को कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली और वल्र्ड बैंक के द्वारा दिया गया है। 25 करोड़ के इस अनुदान को दोनों संस्थान आधा- आधा अनुदान मिलाकर पूरा करेंगी। इस प्रोजेक्ट के पीछे विश्वविद्यालय कृषि छात्रों को नौकरी से ध्यान हटाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। नौकरियों की कमी को देखते हुए इस प्रोजेक्ट में बाज़ार के लिए तैयार विद्यार्थी बनाए जाएंगे। जो कि स्वयं के व्यवसाय भी स्थापित का सकें। प्रोजेक्ट में स्नातक स्तर पर शिक्षा के उन्नयन केंद्रित व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया जाएगा। वहीं छात्रों को अपनी मूल डिग्री के साथ साथ अल्प अवधि के व्यावहारिक कोर्स कराए जाएंगे। जिससे उनका विकास होगा और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इस प्रोजेक्ट की प्रमुख अन्वेषक डॉ. मृदुला बिल्लोरे और विभिन्न मॉड्यूल्स के नोडल अफसर डॉ. अखिलेश सिंह, डॉ. दिनेश पालीवाल, डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया और डॉ. श्रीमती एकता जोशी है।
दो वर्ष के लिए मिला है प्रोजेक्ट
नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजूकेशन प्रोजेक्ट के तहत अभी दो वर्ष के लिए यह प्रोजेक्ट एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय को मिला है। इसके बाद इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा दिया जाएगा। जिससे कृषि के क्षेत्र में ब”ों विश्वविद्यालय का नाम कर सके। अभी तक विश्वविद्यालय से छात्र निकलकर नौकरी की चाहत में या छोटा मोटा व्यवसाय में लग जाते है। जिससे कृषि का क्षेत्र का दायर बढ़ नहीं पाता है।
पूर्व छात्रों से लेंगे मार्गदर्शक
विश्विद्यालय के भूतपूर्व व्यावसायिक क्षेत्रों में सफल छात्रों को मार्गदर्शक के रूप में बुलाया जाएगा और वर्तमान छात्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें पूर्व छात्र आज की जरुरत को पूरा करने के लिए छात्रों को गुर देंगे। वर्तमान समय में छात्रों की आवाश्कता के अनुसार बदलाव के बारे में भी समय- समय पर पूर्व छात्र इसके बारे में जानकारी एकत्र कराएंगे।
इनका कहना है
इस प्रोजेक्ट के तहत छात्रों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। इसमें हर साल बीस छात्रों को विदेश जाने का मौका मिलेगा। इससे अ‘छे छात्र सामने आकर विश्वविद्यालय में अपनी पहचान बना सकेंगे।
डॉ. मृदुला बिल्लोरे, डीन फैकेल्टी कृषि
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