ऑक्सीजन सक्शन प्लांट से आइसीयू और वार्ड तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन मरीजों को देने के लिए इस्तेमाल होने वाले एक मास्क से कई मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इसका लापरवाही का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है,इससे एक दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा है।
पत्रिका रिपोर्टर ने आइसीयू में खड़े रहकर हकीकत को जानने का प्रयास किया तो पता चला कि उपकरणों का रखरखाव मापदंड के अनुसार नहीं किया जाता। आइसीयू में करीब 15 दिन से भर्ती एक मरीज के परिजन ने बताया कि अब तक उन्होंने तो कभी किसी को उपकरण का रखरखाव करते नहीं देखा। आकस्मिक उपचार केन्द्र के वार्ड में ऑक्सीजन सिस्टम लगे होने के बाद भी उनका उपयोग नहीं किया जाता, इसके चलते जरूरी उपकरण भी खराब हो रहे हैं।
जयारोग्य अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज भर्ती होते हैं। यहां ग्वालियर-चंबल संभाग के अलावा झांसी और बुंदेलखंड के अन्य जिलों से भी मरीज आते हैं, लेकिन इनके प्रति अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह मुस्तैद नहीं दिखता है। यहां तमाम अव्यवस्थाओं के कारण मरीजों को परेशान होना पड़ता है।
पूरे वेंटिलेटर तक ठीक नहीं
ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीज पहुंचते हैं। एेसे में यहां की व्यवस्था दुरुस्त होना चाहिए, लेकिन यहां मरीजों को वेंटिलेटर तक के लिए जूझना पड़ता है।१२ वेंटिलेटर में से आधे भी यहां ठीक तरह से काम नहीं कर रहे हैं। ऑक्सीजन सिस्टम के रखरखाव का बात को छोड़ दीजिए।
ऑक्सीजन सप्लाई के उपकरणों के रखरखाव की जिम्मेदारी तय है। पैरामेडिकल स्टाफ को यह काम करना चाहिए। अगर वे नहीं कर रहे हैं, तो सख्त एक्शन लिया जाएगा।
डॉ.जेएस सिकरवार, अधीक्षक, जेएएच