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बगैर पायलट 90 किमी उड़ा सुखोई विमान, मिराज को आबादी पर गिरने से बचाया

locationग्वालियरPublished: Feb 01, 2023 06:16:12 pm

Submitted by:

Manish Gite

sukhoi mirage plane crash – सुखोई और मिराज हादसे की जांच जारीः विंग कमांडर ने जान देकर भी क्रेश मिराज को कस्बे में गिरने से बचाया…>

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ग्वालियर। मिराज क्रेश होने के बाद विंग कमांडर हनुमंथ राव सारथी ने उसे आबादी में गिरने से बचाया, वरना बड़ी जनहानि हो सकती थी। वहीं सुखोई से दोनों पायलट के इजेक्ट होने के बाद उसे अधिक से अधिक 10 किलोमीटर में ही गिर जाना चाहिए था, लेकिन वह मप्र के मुरैना से उप्र की सीमा लांघते हुए राजस्थान के भरतपुर तक पहुंच गया। अब वायुसेना की जांच टीम यह जानने की कोशिश में जुटी है कि बिना पायलट के सुखोई ने 90 किलोमीटर का फासला कैसे तय कर लिया?

 

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नियमित अभ्यास पर निकले मिराज 2000 और सुखोई 30 के आपस में टकराकर क्रेश होने की कोर्ट ऑफ इनक्वायरी के दौरान हर पहलू को जांचा जा रहा है। जानकारों की मानें तो प्लेन के पायलट को प्रशिक्षण के दौरान ऐसी घटनाओं में खुद को बचाने के साथ ही जनहानि से बचाना भी सिखाया जाता है। इस तरह क्रेश होने पर प्लेन 5 से 8 किमी में आबादी से दूर गिराया जाता है। अब अधिकारी अचरज में हैं कि बिना पायलट कंट्रोल के सुखोई इतनी दूरी तक कैसे उड़ता रहा?

मलबा समेटकर लौटी टीम : ईश्वर महादेव पहाड़ी मुरैना से मंगलवार को वायुसेना ने मिराज का पूरा मलबा समेट लिया है। सोमवार को बारिश की वजह से काम रुका था। मंगलवार सुबह 11 बजे से टीम मिराज का टूटा हुआ हिस्सा करीब 80 फीट गहरी खाई से निकालने में जुट गई। जेसीबी और क्रेन के सहारे उसे बाहर खींचा। दो ट्रक में मलबा लादकर टीम 4 बजे पहाड़ी से ग्वालियर के लिए रवाना हो गई।

 

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विंग टूटने के बाद भी उड़ता रहा सुखोई

विशेषज्ञ मानते हैं बिना पायलट का विमान कहां गिरेगा यह पता नहीं किया जा सकता। सुखोई क्रेश होने से पहले पायलट ने खुद को इजेक्ट किया लेकिन इसको लेकर दो तरह के पहलू सामने आ रहे हैं। पहला कि उसकी क्रेश लेंडिंग के लिए इतना लंबा फासला कैसे तय किया जा सकता है? दूसरा बिना कंट्रोल के विंग टूटने के बाद भी सुखोई पहाड़गढ़ से पिंगोरा तक कैसे पहुंच गया?

अपनी जान देकर 4 गांवों को बचाने के लिए मिराज के पायलट पर फख्र

पहाड़गढ़ सरपंच शैलेन्द्र उर्फ शैलू का कहना है मिराज इश्वरा महादेव पहाड़ी पर क्रेश हुआ। पहाड़ी से जजीपुरा, खड़ियापुरा, पहाड़गढ़ तो लगभग सटे हुए हैं। विमान थोड़ा भी इधर-उधर होता तो हादसा गंभीर होता। शहीद विंग कमांडर हनुमंथ राव सारथी ने दुर्घटना में अपनी जान गंवाई लेकिन पहाड़ी से सटे गांवों को बचा लिया। सुखोई ने पहाड़गढ़ से पिंगोरा तक पहुंचने के लिए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान की हद क्रॉस की। इसमें करीब 100 से ज्यादा कस्बे और गांवों के ऊपर उड़ता रहा।

 

https://youtu.be/xpF_A6sXcr4
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