प्रोजेक्ट के तहत निगम की सीमा में आने वाली सभी प्रकार की संपत्तियों का सर्वे किया जाएगा, ताकि उक्त संपत्तियों का सही डाटा निगम के पास मौजूद हो और संपत्तियों से शत प्रतिशत संपत्तिकर और जलकर की वसूली की कार्रवाई की जा सके। साथ ही अतिक्रमण भी उक्त सर्वे के जरिए चिन्हित किए जा सकेंगे। लेकिन सर्वे में पुरानी तकनीक अपनाने से सवाल उठ रहे हैं।
एक्सपर्ट की मानें तो टेंडर में दी गई तकनीक से अब काफी एडवांस तकनीक देश में आ चुकी हैं, जिनका उपयोग दुनिया के कई देशों शुरू हो चुका है, जिसमें एक क्लिक पर सर्वे में शामिल संपत्तियों के फोटो के साथ ही वीडियो भी देखे जा सकेंगे, इसके बावजूद लेटेस्ट वर्षों पुरानी तकनीक के चुनाव पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अफ सरों का कहना कि सर्वे के लिए तकनीक तय करने के लिए चर्चा की जा रही है।
डीजीपीएस
राशि- 11.50 करोड़ रुपए
सर्वे तकनीक-जीआइएस
संपत्तियों की संख्या करीब-2.50 लाख नई तकनीक से आ सकते हैं अच्छे परिणाम
स्मार्ट सिटी की ओर से जारी टेंडर में जीआइएस तकनीक के तहत डीजीपीएस के जरिए सर्वे कराया जाएगा। एक्सपर्ट की मानें तो यह तकनीक काफी पुरानी है, इससे करीब 30 सेंटीमीटर की एक्वेरेसी रहती है, जबकि आर्टिके तकनीक में यह 1 सेंटीमीटर की एक्वेरेसी रहती है, इन दोनों से एडवांस तकनीक लिडार है। कैमरे के जरिए 360 डिग्री की वीडियो तकनीक के जरिए प्रॉपर्टी का खाका तैयार हो जाता है। इससे सर्वे करने में समय की बचत होगी और अच्छे परिणाम भी आएंगे।
कर रहे हैं विचार
-शहर में सभी संपत्तियों का डाटा तैयार करने के लिए हम काम कर रहे हैं। तकनीक को लेकर हम चर्चा कर रहे हैं, जो भी शहर के लिए उचित होगा, वह निर्णय किया जाएगा।
महीप तेजस्वी, सीईओ स्मार्ट सिटी