खानापूर्ति के लिए कर रहे रेस्टोरेशन
शहर में पूरे साल लोग सड़कों पर गड्ढों से परेशान रहे। बार बार शिकायत के बावजूद सड़कों को सुधारा नहीं गया। वहीं अब जब सर्वे की टीम आना है तो निगम को सड़कों की भी याद आ गई और अमृत में जिन सड़कों को खोदा गया था वहां पर खानापूर्ति के लिए सड़कों का रेस्टोरेशन किया जा रहा है। कुछ यही स्थिति है कार्तिकेय मंदिर के पास स्वर्ण रेखा के बगल से सड़क के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। इसके निर्माण में सभी नियमों को दरकिनार कर दिया गया है। अगर यही हाल रहा तो कुछ दिन में ही यह सड़क उखड़ जाएगी।
हटाईं झोपड़ी, ठिठुरे लोग
यह लोग यहां सर्दियों में मूंगफली बेचने का कार्य करते हैं। इनमें छोटे-छोटे बच्चे भी थे। शनिवार सुबह निगम का अमला जेसीबी के साथ यहां पहुंचा और झोपडिय़ों से लोगों को हटाकर उन्हें तोडऩे का कार्य शुरू कर दिया। लोगों ने कहा भी कि हमें कुछ समय दे दें सर्दियों के बाद चले जाएंगे, लेकिन निगम अधिकारियों ने किसी की नहीं सुनी। छोटे बच्चों ने जब घरों को अपने सामने रोंदते देखा तो रोने लगे।
शहर हैरान… आखिर क्यों दें पॉजिटिव फीडबैक
देर से पहुंचे घर-घर
शनिवार को आनन-फानन युवाओं की एक टीम तैयार की गई है जो कि शहर में अब लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करेगी। स्वच्छता सर्वेक्षण के नोडल अपर आयुक्त नरोत्तम भार्गव ने स्वच्छता सर्वेक्षण की समय सीमा खत्म होने के बाद एक टीम तैयार की। नोडल के अनुसार यह टीम शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग वाहन में डालने के प्रेरित करेगी। बैठक में सहायक नोडल एसबीएम केशव सिंह चौहान उपस्थित रहे।
ऐसा क्यों नहीं किया
स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए पूरे साल में नगर निगम ने स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए।
शहर की बजाय झुग्गियों की सफाई
टीम आने वाली है तब शहर की सड़क किनारे की झुग्गियां नगर निगम को बदसूरत नजर आने लगी हैं। भिंड रोड पर गोला का मंदिर से आगे खाली पड़ी जमीन में लोगों ने झोपड़ी बना ली थीं। शनिवार को निगम की टीम ने यहां 15 से अधिक झोपडिय़ों को जेसीबी से हटा दिया। एक दिन पहले ही निगम ने कुछ इसी तरह की कार्रवाई रेसकोर्स रोड पर की थी।
रात में दिखे सफाईकर्मी
बाजारों में रात को सफाई की योजना बनाई गई, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। मॉनिटरिंग नहीं होने से यह व्यवस्था फेल हो गई। अब एक बार फिर शुक्रवार-शनिवार की रात सफाई के लिए अमला उतारा गया।
ऐसा क्यों नहीं किया : सफाई के लिए 100 करोड़ रुपए इको ग्रीन कंपनी को दे रहे थे, तो उसकी मॉनिटरिंग करते। कंपनी की जवाबदेही सुनिश्चित करते।
नाले की सफाई में उतारी टीम
निगम अधिकारी सफाई पर फोकस कर रहे हैं। कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर पूरा निगम ही सफाई में जुटा है। शहर के जिन नालों की पहले सफाई नहीं हो पाई, उनको अब रैंकिंग के लिए साफ किया जा रहा है। चेन माउंटेन मशीन और जेसीबी से नालों को साफ किया जा रहा है।
ऐसा क्यों नहीं किया : नाले-नालियों की सफाई मानसून से पहले कर ली जाती। नियमित सफाई से आसपास की गंदगी से नाले नहीं भरते।
ऐसा क्यों नहीं किया: शहर को झुग्गी मुक्त बनाने के लिए आवास योजना के तहत गरीबों को घर के आवंटन पर ध्यान दिया जाता तो यह हालात नहीं बनते।