scriptसूडो मानसिकता वाले तीन चरित्रों की दास्तां | Tales of three characters with pseudo-mentality | Patrika News

सूडो मानसिकता वाले तीन चरित्रों की दास्तां

locationग्वालियरPublished: Sep 16, 2018 09:17:10 pm

Submitted by:

Harish kushwah

हमेशा अपने लिए जीता रहा… खुली खिड़की के हादसे ने दूसरों के लिए जीना सिखा दिया

natak

natak

ग्वालियर. अपने लिए तो सभी जीते हैं। व्यक्ति को दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। उनके सुख में खुश और दुख में मदद करनी चाहिए। एक एेसी ही दम्पति की कहानी है नाटक जंगल में खुलने वाली खिड़की में, जिन्होंने पूरा जीवन अपने लिए जिया। अपने लिए ही ख्वाब देखे और उसी के पीछे भागे। इस नाटक का मंचन शनिवार को जीवाजी यूनिवर्सिटी के गालव सभागार में किया गया। यह नाटक रंगायन भोपाल की ओर से मप्र नाट्य समारोह के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया। इस नाटक के लेखक जितेन्द्र भाटिया हैं और निर्देशन प्रशांत खिरवड़कर ने दिया है। नाटक में पति का प्रमुख किरदार राजीव वर्मा का है, जो कई सीरियल और फिल्मों में रोल प्ले कर चुके हैं।
इस नाटक में सूडो मानसिकता वाले तीन चरित्रों पति, पत्नी और एक अन्य लड़के की कहानी दिखाई गई है। तीनों चरित्र अपने-अपने जीवन में इस मानसिकता को सच की तरह जीते हुए एक स्थिति में अपने आपको ग्रसित महसूस करते हैं और उन्हें लंबे समय बाद यह एहसास होता है कि वह गलत हैं। मध्यप्रदेश नाट्य समारोह की शुरुआत शनिवार को की गई। इस अवसर पर संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री अमीरचन्द एवं संस्कार भारती मध्य भारत के संरक्षक शैलेन्द्र प्रधान उपस्थित रहे।
ये है कहानी

एक धनाढ्य दम्पति होली में होने वाले शोर शराबे से बचने के लिए अपने फार्म हाउस पहुंचते हैं। वह हमेशा से क्षद्म जीवन जीते आए हैं। उसी समय एक लड़के का प्रवेश होता है। बातचीत में लड़का कहता है कि हमें दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए। इस पर पति बोलता है कि केवल अपने बारे में सोचो, दुनिया की परवाह भला क्या करना। इसी बात पर बहस होती है। इतने में लाइट चली जाती है। इस पर युवक बोलता है कि मैं लाइट ठीक करता हूं। युवक खिड़की के पास खड़े होकर लाइट ठीक कर रहा होता है और पति उसे टार्च दिखाता है। इतने में वह खिड़की से बाहर खाई में गिर जाता है। पत्नी के कई बार कहने के बाद पति उस लड़के को इसलिए ढूंढ़ने जाता है कि यदि व मिलेगा तो उसे ठिकाने लगा दूंगा। ताकि कल पुलिस मुझे न पकड़े। वह लड़का सकुशल पत्नी के पास पहुंचता है और दो चार बातें कर चला जाता है। सुबह जब पति आता है, तो पत्नी बताती है कि वे लड़का रात में घर आया था। वह कुछ देर यहां रहा और फिर चला गया। इस पर पति को महसूस होता है कि हमें केवल अपने बारे में ही नहीं बल्कि दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए।
ये रहे पात्र

मंच पर – पति- राजीव वर्मा, पत्नी- महुआ चटर्जी, लड़का- प्रवीण महुवाले

पर्दे के पीछे – गीत- जयशंकर प्रसाद, संगीत- डॉ. भानुदास देशमानकर, संयोजन- लोकेन्द्र सिंह, वेशभूषा- ज्योति रस्तोगी, मंच आकल्पन- राहुल रस्तोगी, मंच प्रबंधन- अनिमेष मिश्रा, रवीन्द्र तोंडे, कबीर रस्तोगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो