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तानसेन समारोह: अंतिम सभा को लेकर शासन के दो विभाग आमने-सामने

locationग्वालियरPublished: Nov 30, 2017 10:30:20 am

Submitted by:

Gaurav Sen

भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित महोत्सव तानसेन समारोह की अंतिम सभा को लेकर प्रदेश सरकार के ही दो विभाग आमने-सामने आ गए हैं।

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ग्वालियर। भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित महोत्सव तानसेन समारोह की अंतिम सभा को लेकर प्रदेश सरकार के ही दो विभाग आमने-सामने आ गए हैं। 26 दिसंबर को गुजरी महल में होने वाली इस सभा को लेकर पुरातत्व विभाग ने संस्कृति विभाग से पिछले साल सभा हुई सभा की अनुमति प्रस्तुत करने को कहा है।


उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया की पहल पर पिछले साल तानसेन संगीत समारोह में दो नए आयाम जोड़े गए जिसमें पहला आयाम गमक के रूप में हजीरा पर जोड़ा गया वहीं तानसेन समारोह की अंतिम सभा को गुजरी महल में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के अनुरूप पिछले साल अंतिम सभा गुजरी महल में हुई थी। मंत्री के निर्देश के बाद यहां संगीत की सभा का आयोजन हुआ था, लेकिन इस साल पुरातत्व विभाग से जब संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने अंतिम सभा के लिए चर्चा की तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि पिछले साल यहां किए गए आयोजन की अनुमति का पत्र लेकर आएं तो उन्हें यहां सभा की अनुमति दी जाएगी। पुरातत्व विभाग के इस रवैये से संस्कृति विभाग हतप्रभ है। इस संबंध में जब गुजरी महल के प्रभारी एसआर वर्मा से बातचीत के लिए फोन लगाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

गमक में तानसेन दिखेंगे गुरु के साथ
हजीरा चौराहे पर आयोजित होने वाले गमक कार्यक्रम में इस साल देश के प्रख्यात भजन गायक अनूप जलोटा भजन प्रस्तुत करेंगे। उप शास्त्रीय संगीत के इस कार्यक्रम से पहले आदिवासी लोक कलाकारों के दो दल किलागेट से नृत्य करते हुए हजीरा चौराहे पर गमक के मंच तक पहुंचेंगे। वहीं इस बार गमक कार्यक्रम के लिए बनाए जाने वाले मंच पर संगीत सम्राट तानसेन एवं उनके गुरु स्वामी हरिदास के चित्र आकर्षण का केन्द्र होंगे।


बेवजह परेशान किया जा रहा है
पुरातत्व विभाग द्वारा पिछले साल की अनुमति के संबंध में पत्र मांगकर अनावश्यक परेशान किया जा रहा है।
आदेश धूरिया, कार्यक्रम अधिकारी तानसेन समारोह

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