संस्था के सदस्य सुनील राठौर निवासी मुरार ने बताया कि इन अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं तो बेहतर हुई हैं, लेकिन बड़ी परेशानी यहां बाहर से आने वाले मरीज और उनके अंटेडरों के लिए सुबह खाने पीने की चीजों का इंतजाम है। क्योंकि अस्पताल के पास कोई ऐसा होटल नहीं है जो सुबह खुलता हो। बाजार खुलने पर ही खाने का सामान मिलता है। ऐसे में उन मरीजों और अंटेडरों को भूखा रहना पड़ता है जो बाहर से आए हैं और यहां उनका कोई परिचित नहीं है। यह परेशानी सामने देखी तो टीम ने तय किया कि इन लोगों को सुबह खाने का इंतजाम कराएंगे। सबने चंदा कर पैसे इक्_े किए। तय हुआ कि जो सदस्य आर्थिक रूप से संपन्न हैं वह चाहे तो सप्ताह में दो दिन का मरीजों के खाने का इंतजाम कर सकते हैं।
सुनील ने बताया कि रोज सुबह टीम के सदस्य करीब 250 लोगों के लिए खाना लेकर जिला अस्पताल और प्रसूति गृह में जाते हैं। यहां चाय की प्याली के साथ उनसे सुबह की नमस्ते करते हैं। कई लोग सामान लेने से हिचकते हैं तो समझाते हैं कि उन्हें खैरात नहीं दे रहे हैं, बाहर से आए हैं तो हमारे मेहमान हैं, इसे सत्कार समझो।
टीम के सदस्य चंदन सिंह का कहना है कि इसके पीछे मकसद यह भी है कि कई बार मरीजों को सुबह उठकर दवाएं लेना होती है। लेकिन खाली पेट दवा नहीं ली जा सकती। इसके लिए कई बार मरीजों और प्रसूताओं को बाजार खुलने तक का इंतजार करना पड़ता था। अब टीम उन्हें सुबह ही नाश्ता चाय मुहैया कराती है तो कम से मरीज समय पर दवाएं ले सकते हैं।