जी हां, कुछ ऐसा ही वाक्या ग्वालियर कलेक्टर ऑफिस में देखने को मिला। जब एक महिला आकर डीएम के सामने बोली कि सर, मैं अतिथि शिक्षिका हूं, सत्र नवीनीकरण के लिए मुझे प्रमाण पत्र की जरूरत है। प्रचार्य ने बोला है कि कलेक्टर साहब से प्रमाणित कराकर लाओ, तब नए सत्र के लिए रखा जाएगा। जनसुनवाई में आई शिक्षिका ने कलेक्टर अनुराग चौधरी से कहा, तो उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र बना देंगे पहले कुछ स्पेलिंग लिखकर दिखाओ।
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कलेक्टर ने कहा कि अंग्रेजी में पहले प्रिंसिपल लिखकर दिखाओ। इसके बाद उन्होंने नवंबर, अक्टूबर की स्पेलिंग लिखवाई। इसमें स्पेलिंग मिस्टेक सामने आने पर शिक्षिका ने बोली कि वह हिंदी मीडियम में पढ़ी हैं, इसलिए गलती हो गई।
कलेक्टर ने कहा कि अंग्रेजी में पहले प्रिंसिपल लिखकर दिखाओ। इसके बाद उन्होंने नवंबर, अक्टूबर की स्पेलिंग लिखवाई। इसमें स्पेलिंग मिस्टेक सामने आने पर शिक्षिका ने बोली कि वह हिंदी मीडियम में पढ़ी हैं, इसलिए गलती हो गई।
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इसके बाद कलेक्टर ने उसे हिंदी में आशीर्वाद लिखने को बोला तो उसमें भी मात्रा की गलती सामने आई। इसको पढ़ने के बाद कलेक्टर ने कहा कि पहले अच्छे से पढ़कर आओ, फिर प्रमाणपत्र बना देंगे।
इसके बाद कलेक्टर ने उसे हिंदी में आशीर्वाद लिखने को बोला तो उसमें भी मात्रा की गलती सामने आई। इसको पढ़ने के बाद कलेक्टर ने कहा कि पहले अच्छे से पढ़कर आओ, फिर प्रमाणपत्र बना देंगे।
दरअसल, स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरा करने के लिए प्रदेश शासन ने अतिथि शिक्षकों को भर्ती करने की मुहिम चलाई थी। इसके तहत स्कूलों के प्राचार्य शिक्षक का चयन करने के लिए अधिकृत किए थे। वर्तमान में लगभग 450 शिक्षक नियुक्त हैं। स्कूल में नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया संकुल केंद्र से की जाती है। अतिथि शिक्षक बनने के इच्छुक युवक या युवती को आवेदन करते समय शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ अनुभव का भी प्रमाण पत्र देना पड़ता है।
इसे भी पढ़े: शिक्षकों की परीक्षा 12 जून को, पास नहीं होने पर ये हो सकती है कार्रवाई यह अनुभव प्रमाण पत्र बनवाने के लिए शिक्षिका कलेक्ट्रेट आई थी। इस दौरान कलेक्टर ने शिक्षिका का समान्य ज्ञान और भाषा ज्ञान परखने के लिए छोटा सा टेस्ट लिया तो उसमें वह सफल नहीं हो सकी।