scriptकलेक्टर के सामने अंग्रेजी में प्रिंसिपल नहीं लिखी तो बोली मैं हिंदी जानती हूं, DM बोले तो आशीर्वाद लिखो, वो भी नहीं लिख पाई | Teacher not able to write Hindi and English words in front of DM | Patrika News

कलेक्टर के सामने अंग्रेजी में प्रिंसिपल नहीं लिखी तो बोली मैं हिंदी जानती हूं, DM बोले तो आशीर्वाद लिखो, वो भी नहीं लिख पाई

locationग्वालियरPublished: Jun 05, 2019 03:35:11 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

जब अतिथि शिक्षिका नहीं लिख पाई डीएम के समाने हिंदी और अंग्रेजी के कुछ शब्द

teachers test
ग्वालियर. मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। ग्वालियर में एक बार फिर कलेक्टर के सामने ही अतिथि शिक्षक की कलई खुल गई। जब कलेक्टर ने अतिथि शिक्षक को हिंदी और अंग्रेजी के कुछ शब्द दिए तो नहीं लिख पाई। अंग्रेजी गलती लिखी तो बोली कि सर, मैं तो हिंदी की टीचर हूं।
जी हां, कुछ ऐसा ही वाक्या ग्वालियर कलेक्टर ऑफिस में देखने को मिला। जब एक महिला आकर डीएम के सामने बोली कि सर, मैं अतिथि शिक्षिका हूं, सत्र नवीनीकरण के लिए मुझे प्रमाण पत्र की जरूरत है। प्रचार्य ने बोला है कि कलेक्टर साहब से प्रमाणित कराकर लाओ, तब नए सत्र के लिए रखा जाएगा। जनसुनवाई में आई शिक्षिका ने कलेक्टर अनुराग चौधरी से कहा, तो उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र बना देंगे पहले कुछ स्पेलिंग लिखकर दिखाओ।
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अंग्रेजी में प्रिंसिपल लिखो
कलेक्टर ने कहा कि अंग्रेजी में पहले प्रिंसिपल लिखकर दिखाओ। इसके बाद उन्होंने नवंबर, अक्टूबर की स्पेलिंग लिखवाई। इसमें स्पेलिंग मिस्टेक सामने आने पर शिक्षिका ने बोली कि वह हिंदी मीडियम में पढ़ी हैं, इसलिए गलती हो गई।
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आशीर्वाद लिखो
इसके बाद कलेक्टर ने उसे हिंदी में आशीर्वाद लिखने को बोला तो उसमें भी मात्रा की गलती सामने आई। इसको पढ़ने के बाद कलेक्टर ने कहा कि पहले अच्छे से पढ़कर आओ, फिर प्रमाणपत्र बना देंगे।
दरअसल, स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरा करने के लिए प्रदेश शासन ने अतिथि शिक्षकों को भर्ती करने की मुहिम चलाई थी। इसके तहत स्कूलों के प्राचार्य शिक्षक का चयन करने के लिए अधिकृत किए थे। वर्तमान में लगभग 450 शिक्षक नियुक्त हैं। स्कूल में नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया संकुल केंद्र से की जाती है। अतिथि शिक्षक बनने के इच्छुक युवक या युवती को आवेदन करते समय शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ अनुभव का भी प्रमाण पत्र देना पड़ता है।
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यह अनुभव प्रमाण पत्र बनवाने के लिए शिक्षिका कलेक्ट्रेट आई थी। इस दौरान कलेक्टर ने शिक्षिका का समान्य ज्ञान और भाषा ज्ञान परखने के लिए छोटा सा टेस्ट लिया तो उसमें वह सफल नहीं हो सकी।
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