सीएस बना,लेकिन बच्चों को पढ़ाना रहेगा पहला मोटिव
“सीएस बनकर शहर का मान बढ़ाने वाले अंकुर गर्ग जॉब तो करना चाहते हैं, लेकिन वह टीचिंग नहीं छोडऩा चाहते। उन्होंने सीएस की तैयारी के दौरान ही टीचिंग भी शुरू कर दी थी। उसी की वजह से वह सीएस बन सकें। अब उनका मानना यह है कि यदि सभी सीएस बनकर जॉब करने लगे या खुद का इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप कर लिया, तो सीएस तैयार करने वाला कौन बचेगा। इसलिए वह टीचिंग कर नई पौध तैयार करेंगे।”
अंकुर गर्ग, सीएस
“सीएस बनकर शहर का मान बढ़ाने वाले अंकुर गर्ग जॉब तो करना चाहते हैं, लेकिन वह टीचिंग नहीं छोडऩा चाहते। उन्होंने सीएस की तैयारी के दौरान ही टीचिंग भी शुरू कर दी थी। उसी की वजह से वह सीएस बन सकें। अब उनका मानना यह है कि यदि सभी सीएस बनकर जॉब करने लगे या खुद का इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप कर लिया, तो सीएस तैयार करने वाला कौन बचेगा। इसलिए वह टीचिंग कर नई पौध तैयार करेंगे।”
अंकुर गर्ग, सीएस
टीचर बन युवा पीढ़ी को जोड़ूंगा इनोवेशन से
“एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल हासिल करने वाले गजेन्द्र सिंह प्राइवेट बैंक में जॉब करते हैं, लेकिन उन्हें सटिस्फेक्शन नहीं है। उनका कहना है कि जल्द ही वह टीचिंग में आएंगे। उन्होंने बचपन में अपने परिवार को खेतों में काम करते हुए देखा है। खेती में भी इनोवेशन की जरूरत है। इसलिए वह खेती से युवा पीढ़ी को जोडऩे और इनोवेशन करने के लिए खुद टीचर बनना चाहते हैं, जिससे उन्हें मोटिवेट कर सकें।”
गजेन्द्र सिंह, गोल्ड मेडलिस्ट
“एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल हासिल करने वाले गजेन्द्र सिंह प्राइवेट बैंक में जॉब करते हैं, लेकिन उन्हें सटिस्फेक्शन नहीं है। उनका कहना है कि जल्द ही वह टीचिंग में आएंगे। उन्होंने बचपन में अपने परिवार को खेतों में काम करते हुए देखा है। खेती में भी इनोवेशन की जरूरत है। इसलिए वह खेती से युवा पीढ़ी को जोडऩे और इनोवेशन करने के लिए खुद टीचर बनना चाहते हैं, जिससे उन्हें मोटिवेट कर सकें।”
गजेन्द्र सिंह, गोल्ड मेडलिस्ट
शिक्षक की एक सीख ने बदल दी जिंदगी
“12वीं में एडमिशन के दौरान पापा को काफी परेशान होना पड़ा। झांसी के एक कॉलेज में पहुंच रखने वालों के तो एडमिशन हो रहे थे, लेकिन हम जैसे लोग घूम रहे थे। इस पर हमारी मुलाकात चतुर्वेदी सर से हुई। उन्होंने मेरी मार्कशीट देखी और अपने कोटे पर एडमिशन दे दिया। उन्होंने उस समय मेरा टैलेंट देखा था। मैंने भी उन्हें कभी निराश नहीं किया। हमेशा अव्वल रहा। उनसे मिली एक सीख ने मेरी जिंदगी बदल दी।”
जीतेन्द्र कुमार, मैनेजर एडमिन, एलआइसी
“12वीं में एडमिशन के दौरान पापा को काफी परेशान होना पड़ा। झांसी के एक कॉलेज में पहुंच रखने वालों के तो एडमिशन हो रहे थे, लेकिन हम जैसे लोग घूम रहे थे। इस पर हमारी मुलाकात चतुर्वेदी सर से हुई। उन्होंने मेरी मार्कशीट देखी और अपने कोटे पर एडमिशन दे दिया। उन्होंने उस समय मेरा टैलेंट देखा था। मैंने भी उन्हें कभी निराश नहीं किया। हमेशा अव्वल रहा। उनसे मिली एक सीख ने मेरी जिंदगी बदल दी।”
जीतेन्द्र कुमार, मैनेजर एडमिन, एलआइसी
पैरेंट्स अपने बच्चों पर करें निगरानी
“पैरेंट्स समाज का हिस्सा हैं। एेसे में समाज में बदलाव के लिए पैरेंट्स की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति बढ़ जाती है। आज स्टूडेंट्स की कॉलेज में अटेंडेंस कम होती जा रही है। टीचर्स के साथ पैरेंट्स की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उन्हें वॉच करें। बच्चे आज इंटरनेट का मिसयूज कर रहे हैं। इस पर निगरानी भी पैरेंट्स को करनी होगी। गुरु-शिष्य परंपरा अब खत्म होती जा रही है।”
नीति पांडेय, प्रिंसिपल, माधव लॉ कॉले
“पैरेंट्स समाज का हिस्सा हैं। एेसे में समाज में बदलाव के लिए पैरेंट्स की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति बढ़ जाती है। आज स्टूडेंट्स की कॉलेज में अटेंडेंस कम होती जा रही है। टीचर्स के साथ पैरेंट्स की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उन्हें वॉच करें। बच्चे आज इंटरनेट का मिसयूज कर रहे हैं। इस पर निगरानी भी पैरेंट्स को करनी होगी। गुरु-शिष्य परंपरा अब खत्म होती जा रही है।”
नीति पांडेय, प्रिंसिपल, माधव लॉ कॉले
शिक्षक गढ़ता देश
शिक्षक गढ़ता पीढिय़ां, शिक्षक गढ़ता देश।
शिक्षक के सद्ज्ञान से, जाता है संदेश।।
शिक्षक-शिष्यों में रहे, सदा मधुर संवाद।
ऐसे ही संवाद से, बढ़ता है सौहार्द।।
शिष्य-शिक्षक रिश्ते का, बहुत सरल सिद्धांत।
चंद्रगुप्त-चाणक्य का, अनुपम है दृष्टांत।।
शिक्षक में है वह शक्ति, जो बदले परिवेश।
शिक्षक का अभिप्राय है, शिष्यों का उन्मेष।
देश अगर है भवन तो, शिक्षक है बुनियाद।
अच्छा शिक्षक देश की, आशा का अनुवाद।।
प्रो. अजहर हाशमी
शिक्षक गढ़ता पीढिय़ां, शिक्षक गढ़ता देश।
शिक्षक के सद्ज्ञान से, जाता है संदेश।।
शिक्षक-शिष्यों में रहे, सदा मधुर संवाद।
ऐसे ही संवाद से, बढ़ता है सौहार्द।।
शिष्य-शिक्षक रिश्ते का, बहुत सरल सिद्धांत।
चंद्रगुप्त-चाणक्य का, अनुपम है दृष्टांत।।
शिक्षक में है वह शक्ति, जो बदले परिवेश।
शिक्षक का अभिप्राय है, शिष्यों का उन्मेष।
देश अगर है भवन तो, शिक्षक है बुनियाद।
अच्छा शिक्षक देश की, आशा का अनुवाद।।
प्रो. अजहर हाशमी