अपनी उम्र की लड़कियों को हनी कराटे और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर उनमें आत्मरक्षा का जज्बा पैदा कर रही हैं। गेंडेवाली सड़क निवासी हनी गुर्जर बताती हैं कि कराटे का खेल उनके लिए सपना था, क्योंकि घर की माली हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। इस खेल में काफी पैसा खर्च होता है। मां प्रीति गुर्जर चाहती थीं कि बेटी कराटे सीखे, जिससे वह अपनी रक्षा करने लायक तो बन सके, इसलिए कराटे की कोचिंग ज्वॉइन की। शुरू में बहुत अधिक मेहनत होने से एक बार सोचा कि यह बूते के बाहर है, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और कराटे को जुनून बना लिया। हनी कहती हैं कि जब जिला स्तरीय कराटे प्रतियोगिता जीती तो गोल्ड मेडल मिलने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसमें कोच माया परमार ने हिम्मत बढ़ाई और राज्य स्तरीय कराटे प्रतियोगिता में गोल्ड जीता, इसके बाद लोगों ने आगे बढ़कर साथ दिया। कराटे के बाद अब मुथाई मार्शल आर्ट पर फोकस है। इसमें जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीत चुकी हैं, अब नेशनल में गोल्ड जीतने का सपना है। हनी कहती हैं कि हम उम्र लड़कियों और बच्चों को भी कराटे और मुथाई मार्शल आर्ट में माहिर कर रही हैं। उनकी कोचिंग में पांच साल की बच्ची से लेकर 18 साल तक की युवतियां हैं। केआरजी कॉलेज में भी लड़कियों को आत्मरक्षा के ािलए कराटे और मुथाई मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे चुकी हैं।