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ईमानदार पुलिस अधिकारी की मजबूरियां

locationग्वालियरPublished: Jun 10, 2017 01:11:00 am

Submitted by:

avdesh shrivastava

पार्टी चल रही है कुछ युवती और युवक डांस कर रहे हैं। कुछ देर बाद युवक चले जाते हैं और युवतियां अकेले ही नृत्य करती रहती हैं…

The compulsions of the honest police officer

The compulsions of the honest police officer

ग्वालियर. पार्टी चल रही है कुछ युवती और युवक डांस कर रहे हैं। कुछ देर बाद युवक चले जाते हैं और युवतियां अकेले ही नृत्य करती रहती हैं। इसी दौरान नशे में धुत कुछ युवक आते हैं और युवतियों के परेशान करने लगते हैं। उनमें से एक व्यक्ति युवती का हाथ पकड़ लेता और गुस्से में युवती उसे थप्पड़ लगा देती है और वहां से चली जाती है। बदमाश युवक भी उसके पीछे जाते हैं और उसे पकड़कर उसके साथ दुष्कर्म करते हैं। इसके बाद मीडिया और समाज का दवाब पड़ता है पुलिस अधिकारी पर। एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को कई तरह की समस्याएं और मजबूरियों का सामना करना पड़ता है। यही सब दिखाया निर्देशक एमजी सचिन ने नाटक में। मौका था शुक्रवार शाम नाट्य मंदिर में संस्कृति संचालनालय भोपाल एवं सृजन सारथी संस्था द्वारा दो दिवसीय नाट्य समारोह मेरा रंगमंच मेरे नाटक के दौरान कृष्ण नहीं बन पाऊंगा के मंचन का।
नाटक की कहानी

नाटक की कहानी पुलिस और अपराधियों के इर्द गिर्द घूमती है। एसीपी मधुसूदन यादव ईमानदार पुलिस अधिकारी हैं। शहर में हो रहीं हत्याएं और बलात्कार की घटनाओं के चलते आम जनता पुलिस को निकम्मा और अपराधियों से मिलीभगत का आरोप लगाती है। जिससे एसीपी व्यथित हो जाता है और घर पर जब वह अकेला होता है तो उसके अंतर्मन से आवाज आती है कि जो कि उसे कृष्ण के रूप में दिखाई देती है। एसीपी दुखी होकर कहता है कि मैं कृष्ण नहीं बन पाऊंगा तभी मन से कृष्ण के रूप में आवाज आती है कि तुम कृष्ण ही हो उठो और कर्म करो। कृष्ण एसीपी से कहते हैं कि आज के इस महाभारत में तुम्हें भी अर्जुन का प्रयोग करना पड़ेगा। यहां एनकाउंटर अर्जुन नायक का प्रवेश होता है। अपराधियों का पुलिस एनकाउंटर करती है और एक अपराधी को गिरफ्तार कर लेती है। तो यहां राजनीति अपना रंग दिखाती है। नायक को सस्पेंड कर दिया जाता है और मधुसुदन यादव और इंस्पेक्टर सावंत का तबादला। एसीपी उस समय परेशान होता है जब उसे पता चलता है कि जो अपराधी बच गया था वही आज मंत्री बन गया है और उसे उसी की सुरक्षा में ड्यूटी के लिए जाना है। एक कार्यक्रम में जब वही अपराधी मुख्य अतिथि के रूप में आता है तो यहां आकाशीय बिजली गिरने से उसकी मौत हो जाती है। लोग उसकी जय जयकार करने लगते हैं लेकिन तभी एसीपी आता है और कहता है कि हमें चमत्कारों की आस छोड़कर खुद की शक्ति को पहचानना होगा। नाटक में भ्रष्टााचारी कहलाने का दर्द झेलते पुलिस के ईमानदार अधिकारी के अंर्तद्वंद को खूबसूरती से मंच पर उतारा।
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