बेस तैयार होने के बाद अटका काम -पौधे लगाने से पहले तालाब के आसपास की मिट्टी की जांच कराई गई थी।
-प्रत्येक पौधे के लिए लगभग 6 फीट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें गोबर, जिप्सम और दूसरी मिट्टी डाली गई थी।
-प्रत्येक पौधे के लिए लगभग 6 फीट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें गोबर, जिप्सम और दूसरी मिट्टी डाली गई थी।
-तालाब के आसपास लगभग 700 पौधे लगाए जा चुके हैं।
-संस्थाओं के माध्यम से भी पौधारोपण कराया है। -तालाब के चारों ओर प्राकृतिक बाड़ बनाने के लिए करोंदे के पेड़ लगाए जाने थे, लेकिन अभी तक नहीं लगाए गए हैं।
दिखने लगे हैं अप्रवासी
-संस्थाओं के माध्यम से भी पौधारोपण कराया है। -तालाब के चारों ओर प्राकृतिक बाड़ बनाने के लिए करोंदे के पेड़ लगाए जाने थे, लेकिन अभी तक नहीं लगाए गए हैं।
दिखने लगे हैं अप्रवासी
-बीते कुछ दिनों से लेसल व्हिसलिंग टील पक्षी ने तालाब में डेरा डाल लिया है, यह इस बात का संकेत है कि दूसरे अप्रवासी पक्षी भी आ रहे हैं। फिलहाल यहां अप्रवासी पक्षियों में कॉमन डक, ग्रे हेरोन, कार्मोनेंट, डॉटर आदि मौजूद हैं। जबकि प्रवासी पक्षियों का भी आसपास डेरा है।
यह काम होते तो बदल जाती तस्वीर -बर्ड पार्क की प्लानिंग के समय अप्रवासी पक्षियों को सुरक्षित महसूस कराने के लिये चारों ओर सूखे बड़े पेड़ लगाने की बात हुई थी ताकि पक्षी सुरक्षित महसूस करें और फिर पानी में विचरण करें। लेकिन अभी तक यह काम नहीं हुआ है, अब स्थिति यह है कि 100 से 120 प्रजाति के जलीय पक्षी तालाब में दिखने की संभावना वाली जगह में बमुश्किल 25 से 30 प्रजाति के पक्षी विचरण कर रहे हैं।