साढ़े दस मात्रा में दी प्रस्तुति
युवा तबला वादक श्लोक द्विवेदी ने एकल तबला वादन प्रस्तुत किया। उन्होंने त्रिताल और इसके बाद साढ़े दस मात्रा में तबला वादन प्रस्तुत किया। अपने वादन में उन्होंने पेशकार, टुकड़े, चक्करदार, गतें आदि की सुंदर प्रस्तुति दी। आपके साथ सारंगी संगत अब्दुल हमीद खां ने की।
युवा तबला वादक श्लोक द्विवेदी ने एकल तबला वादन प्रस्तुत किया। उन्होंने त्रिताल और इसके बाद साढ़े दस मात्रा में तबला वादन प्रस्तुत किया। अपने वादन में उन्होंने पेशकार, टुकड़े, चक्करदार, गतें आदि की सुंदर प्रस्तुति दी। आपके साथ सारंगी संगत अब्दुल हमीद खां ने की।
काहे मनावन हो के
सभा का समापन वरिष्ठ गायक पंडित अनंत महाजनी के गायन से हुआ। आपने गायन के लिए राग जोगकोंस का चयन किया। एक ताल में विलम्बित बंदिश के बोल थे काहे मनावन हो के। जबकि तीनताल में द्रुत बंदिश के बोल थे पीर पराई आपने। दोनों ही बंदिशों को बड़े सलीके से और रागदारी की बारीकियों के साथ पेश किया। इसके पश्चात राग हमीर की बंदिश जाऊं लंगरवा केसे भी पेश की। अपने गायन का समापन प्रसिद्ध भजन रामशरण सुखदाई से किया। आपके साथ हारमोनियम पर संगत संजय देवले और तबला पर सुधीर महाजनी ने की।
सभा का समापन वरिष्ठ गायक पंडित अनंत महाजनी के गायन से हुआ। आपने गायन के लिए राग जोगकोंस का चयन किया। एक ताल में विलम्बित बंदिश के बोल थे काहे मनावन हो के। जबकि तीनताल में द्रुत बंदिश के बोल थे पीर पराई आपने। दोनों ही बंदिशों को बड़े सलीके से और रागदारी की बारीकियों के साथ पेश किया। इसके पश्चात राग हमीर की बंदिश जाऊं लंगरवा केसे भी पेश की। अपने गायन का समापन प्रसिद्ध भजन रामशरण सुखदाई से किया। आपके साथ हारमोनियम पर संगत संजय देवले और तबला पर सुधीर महाजनी ने की।