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हेलमेट भी नहीं बचा सका युवक की जान, ऐसे हुआ हादसा

locationग्वालियरPublished: Jan 15, 2019 09:26:26 pm

दो बाइक की टक्कर में कारपेंटर के इकलौते बेटे की मौत हो गई। भिंड़त इतनी जबर्दस्त थी कि मृतक के हेलमेट के दो टुकड़े हो गए। राहगीरों ने देखा तो एंबुलेंस बुलाकर उसे अस्पताल भेजा लेकिन

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हेलमेट भी नहीं बचा सका युवक की जान, ऐसे हुआ हादसा

ग्वालियर। दो बाइक की टक्कर में कारपेंटर के इकलौते बेटे की मौत हो गई। भिंड़त इतनी जबर्दस्त थी कि मृतक के हेलमेट के दो टुकड़े हो गए। राहगीरों ने देखा तो एंबुलेंस बुलाकर उसे अस्पताल भेजा लेकिन सिर में गहरी चोट के कारण वह दम तोड़ चुका था। हादसा मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे पाताली हनुमान मंदिर के पास(हजीरा) में हुआ। पुलिस के मुताबिक भीमनगर निवासी राजू पाटिल के इकलोते बेटे वीरू उर्फ बीरेन्द्र पाटिल (30) की मौत हो गई। राजू कारपेंटर है। बेटा वीरू भी उनके साथ हाथ बंटाता था। सुबह वह काम पर निकल गए। उनके जाने के बाद वीरू ने मामा के घर जमाहर जाने का प्लान बनाया। जीजा सुनील और मामा मेघराम को साथ लेकर जमाहर के लिए चल दिए। वीरू अपनी बाइक पर था। सुनील और मेघराम दूसरी बाइक पर थे। दोनों आगे निकल गए। वीरू पीछे रह गया तभी पाताली हनुमान मंदिर के पास सामने से आ रही बाइक एमपी07-एमडब्लू4340 के चालक ने वीरू की बाइक में टक्कर मार दी। वीरू सड़क पर गिरा और उसके हेलमेट के दो टुकड़े हो गए। सिर से खून बहने से उसकी मौके पर मौत हो गई।

मोबाइल पर कॉल किया तब जीजा को पता चला
वीरू जीजा सुनील के साथ निकला था। सुनील रफ्तार में बाइक चलाकर आगे निकल गया। जब वीरू पीछे दिखाई नहीं दिया तो उसने एक जगह रुककर इंतजार किया। फिर भी वीरू नहीं आया तब वीरू के मोबाइल पर फोन किया। मोबाइल किसी दूसरे ने उठाया। उसने घटना के बारे में बताया तब वह मौके पर पहुंचा।
पत्नी से बोलकर गया शाम को लौट आउंगा
वीरू के माता-पिता के अलावा पत्नी संगीता और एक साल की बेटी अराध्या है। घर से निकलते वक्त संगीता से कहकर गया था शाम को लौट आएगा। बेटी को दुलार करके निकला था। संगीता निश्चिंत होकर काम मे जुट गई कि पति शाम तक आ जाएंगे लेकिन जब पति के मौत की खबर मिली तो बदहवास हो गई।
पिता बोले- मेरा तो सब कुछ लुट गया
इकलौते बेटे की मौत से पिता राजू का मनोबल ही टूट गया। पीएम हाउस पर रिश्तेदार उसे संभाले हुए थे। वह बार-बार बोल रहा था कि ईश्वर ने यह क्या कर दिया। उसका तो सब कुछ लुट गया। इकलौता होने के कारण वीरू अपने पिता का सहारा था। उनके साथ काम में भी हाथ बटाता था। वे बेटे का बार-बार नाम लेकर बदहवास हो रहे थे।
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