कमेंट
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा है। इसको या तो एडमिस्ट्रेशन समझना नहीं चाहता या फिर समझ नहीं पा रहे। रोज नए प्रयोग होते हैं और ध्वस्त हो जाते हैं। शहर में लगातार जाम की स्थिति बनी हुई है।
अनिल अग्रवाल
शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमें सडक़ किनारे लगी महंगी एलईडी नहीं चाहिए। हमें अस्पताल चाहिए। हमें एडवरटाइज बोर्ड नहीं चाहिए। हमें स्कूल चाहिए। मूल समस्याओं पर काम होना चाहिए।
आयुष बैध
जेएएच की ओपीडी में रोजाना 3000 पेशेंट आते हैं। इस हिसाब से डॉक्टर की संख्या भी बढऩी चाहिए। लेकिन हाल यह है कि जो रिक्त पद पड़े हुए हैं, वे ही नहीं भर पा रहे। ऐसे में भला कैसे पेशेंट को कैसे सुविधाएं मिल पाएंगी।
डॉ. वीरेन्द्र सिंघल
हमारे यहां गवर्नमेंट स्कूल्स की हालत खराब है। स्कूल्स में टीचर्स नहीं हैं। किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं हैं। जबकि 90 परसेंट स्टूडेंट्स गवर्नमेंट स्कूल में ही शिक्षा ले रहे हैं। स्कूल्स की स्थिति बेहतर होनी चाहिए।
हेमा राय
नगर निगम द्वारा स्वच्छता के लिए न जाने कितना पैसा खर्च किया गया, लेकिन हालात जस के तस हैं। स्वच्छता रैंकिंग में हम पिछड़ चुके हैं। हो भी क्यों न। जब कचड़ा उठाने वाली गाड़ी ही कचड़ा फैला रही है।
सुमित गर्ग
हमारे पास बहुत अच्छा हेरिटेज है, लेकिन प्रॉपर ब्रांडिंग नहीं है। शहर आकर भी लोगों को यह पता नहीं होता कि यहां घूमने लायक क्या-क्या है। इसके लिए प्लान तैयार होना चाहिए।
रितिक कुशवाह
स्मार्ट सिटी में ग्वालियर शामिल है। डवलपमेंट और रिनोवेशन का काम शुरू है। मेरा मानना है कि काम भले ही कम हो, लेकिन जितना भी हो, उसमें क्वालिटी हो। प्रॉपर प्लानिंग के साथ किया काम टिकेगा भी और दिखेगा भी।
रोहित गर्ग
आज बेटियां रात 8 बजे के बाद सुरक्षित नहीं हैं। उनका अकेले सडक़ पर चलना मुश्किल हो जाता है। शहर में एक ऐसा माहौल बने, तो सभी के लिए बराबर हो। गल्र्स रात में भी बेखौफ होकर घूम सकें।
रेनू शर्मा