scriptजिन मुद्दों पर बात हमारे पिताजी किया करते थे, वहीं मुद्दे आज भी हमारे सामने | The issues which our father used to talk about, the issues still remai | Patrika News

जिन मुद्दों पर बात हमारे पिताजी किया करते थे, वहीं मुद्दे आज भी हमारे सामने

locationग्वालियरPublished: Apr 28, 2019 11:32:21 am

Submitted by:

Mahesh Gupta

जिन मुद्दों पर बात हमारे पिताजी किया करते थे, वहीं मुद्दे आज भी हमारे सामने

TALK SHOW

TALK SHOW

पत्रिका ऑफिस में आयोजित टॉक शो में फस्र्ट टाइम वोटर्स ने कहा…

दस साल पहले हमारे पिताजी जिन समस्याओं पर बात करते थे। आज भी वही समस्याएं हमारे सामने हैं। सरकारें बदलीं। प्रतिनिधि बदलें, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हई हैं। आज भी हम सडक़, पानी, बिजली, टै्रफिक व्यवस्था, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर उलझे हुए हैं। आगे की प्लानिंग तो दूर की बात है। इसका कारण है कि हम प्रॉपर प्लानिंग के साथ काम नहीं कर पा रहे। हर समस्या के लिए नया फॉर्मूला बनता है और वह कुछ ही समय में फेल हो जाता है। यह कहना था पत्रिका ऑफिस में लोकसभा चुनाव को लेकर आयोजित टॉक शो का, जिसमें फस्र्ट टाइम वोटर्स ने कई मुद्दे गिनाए, जिन पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने ऐसे सांसद को चुनने की बात कही, जो शहर की समस्याओं से निजात दिला पाएगा।

कमेंट
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा है। इसको या तो एडमिस्ट्रेशन समझना नहीं चाहता या फिर समझ नहीं पा रहे। रोज नए प्रयोग होते हैं और ध्वस्त हो जाते हैं। शहर में लगातार जाम की स्थिति बनी हुई है।
अनिल अग्रवाल

शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमें सडक़ किनारे लगी महंगी एलईडी नहीं चाहिए। हमें अस्पताल चाहिए। हमें एडवरटाइज बोर्ड नहीं चाहिए। हमें स्कूल चाहिए। मूल समस्याओं पर काम होना चाहिए।
आयुष बैध

जेएएच की ओपीडी में रोजाना 3000 पेशेंट आते हैं। इस हिसाब से डॉक्टर की संख्या भी बढऩी चाहिए। लेकिन हाल यह है कि जो रिक्त पद पड़े हुए हैं, वे ही नहीं भर पा रहे। ऐसे में भला कैसे पेशेंट को कैसे सुविधाएं मिल पाएंगी।
डॉ. वीरेन्द्र सिंघल

हमारे यहां गवर्नमेंट स्कूल्स की हालत खराब है। स्कूल्स में टीचर्स नहीं हैं। किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं हैं। जबकि 90 परसेंट स्टूडेंट्स गवर्नमेंट स्कूल में ही शिक्षा ले रहे हैं। स्कूल्स की स्थिति बेहतर होनी चाहिए।
हेमा राय

नगर निगम द्वारा स्वच्छता के लिए न जाने कितना पैसा खर्च किया गया, लेकिन हालात जस के तस हैं। स्वच्छता रैंकिंग में हम पिछड़ चुके हैं। हो भी क्यों न। जब कचड़ा उठाने वाली गाड़ी ही कचड़ा फैला रही है।
सुमित गर्ग

हमारे पास बहुत अच्छा हेरिटेज है, लेकिन प्रॉपर ब्रांडिंग नहीं है। शहर आकर भी लोगों को यह पता नहीं होता कि यहां घूमने लायक क्या-क्या है। इसके लिए प्लान तैयार होना चाहिए।
रितिक कुशवाह

स्मार्ट सिटी में ग्वालियर शामिल है। डवलपमेंट और रिनोवेशन का काम शुरू है। मेरा मानना है कि काम भले ही कम हो, लेकिन जितना भी हो, उसमें क्वालिटी हो। प्रॉपर प्लानिंग के साथ किया काम टिकेगा भी और दिखेगा भी।
रोहित गर्ग

आज बेटियां रात 8 बजे के बाद सुरक्षित नहीं हैं। उनका अकेले सडक़ पर चलना मुश्किल हो जाता है। शहर में एक ऐसा माहौल बने, तो सभी के लिए बराबर हो। गल्र्स रात में भी बेखौफ होकर घूम सकें।
रेनू शर्मा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो