पुलिस की जांच का तरीका फारेंसिक व साइंटिफिक होना चाहिए, इसलिए अधिकारियों की ट्रेनिंग कराई जाए
ग्वालियरPublished: Aug 26, 2023 11:25:15 am
संभाग व जिला स्तर पर अपराध दृश्य इकाइयों का गठन किया जाना चाहिए। इसकी शुरूवात संभाग स्तर से की जा सकती है। जो घटना स्थल पर जाकर अपराध दृश्य तयैरा करेगी।


पुलिस की जांच का तरीका फारेंसिक व साइंटिफिक होना चाहिए, इसलिए अधिकारियों की ट्रेनिंग कराई जाए
- हाईकोर्ट ने गृह विभाग व डीजीपी को दिए दिशा निर्देश
ग्वालियर। हाईकोर्ट एकल पीठ ने पुलिस के अनुसंधान में यह कहते हुए बदलाव के निर्देश दिए हैं कि अभी जांच अधिकारी गवाह व धारा 27 के भरोसे हैं। पुलिस की जांच का तरीका फारेंसिक व साइंटिफिक होना चाहिए। इसके लिए पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग कराई जाए। यह ट्रेनिंग नियमित होना चाहिए। इसके अलावा संभाग व जिला स्तर पर अपराध दृश्य इकाइयों का गठन किया जाना चाहिए। इसकी शुरूवात संभाग स्तर से की जा सकती है। जो घटना स्थल पर जाकर अपराध दृश्य तयैरा करेगी। कोर्ट ने जो दिशा निर्देश दिए हैं, उनकी पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट गृह विभाग व डीजीपी से छह नवंबर 2023 तक मांगी है। याचिका की सुनवाई जस्टिस आनंद पाठक ने की।
हाईकोर्ट ने 17 अगस्त को फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट डीएसपी दीपक कदम, स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डीएसपी आलोक सिंह सहित अन्य अधिकारियों को बुलाया। उन्होंने कोर्ट के सामने क्राइम कंट्रोल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम का प्रदर्शन किया। कोर्ट बताया कि ये कैसे काम करता है, लेकिन पुलिस अधिकारी इस सिस्टम का प्रभावी ढंग से प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। जबकि काफी उपकरण संचालित हैं। यदि प्रभावी ढंग से प्रयोग किया गया तो अनुसंधान में काफी बदलाव आ सकते हैं।
कोर्ट ने यह दिए निर्देश
-अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली(इंटर ऑपरेबल क्राइम जस्टिस सिस्टम) व क्राइम कंट्रोल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाए। इन्हें फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी भेजा जाए।
- अपराध के अनुसंधान के दौरान फारेंसिक व फिंगर प्रिंट, साइंटिस्ट की टीम रहना चाहिए, जो अनुसंधान में मदद कर सके।
- ई विवेचना एप भी चल रहा है। इस एप पर स्पॉट मैप, अपराध स्थल की तस्वीर, फोटो वीडिओ अपलोड किए जा सकते हैं। अधिकारी केस डायरी भी लिख सकते हैं। इसका उपयोग भी प्रभावी बनाया जाए।
क्या है मामला
दीपक सिंह चौहान पर कंपू थाने में अपहरण, पॉक्सो व बलात्कार का केस दर्ज हुआ था। दीपक सिंह चौहान ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। उसका क्राइम रिकॉर्ड मांगा गया तो चार के केस बताए, लेकिन उसके ऊपर छह केस दर्ज थे। इस कारण कोर्ट ने क्राइम कंट्रोल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम का प्रभावी ढंग से उपयोग के आदेश दिए थे। साथ ही फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी भी खोली जाए। दीपक सिंह चौरान को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।