scriptThe mother was ill, so she had taken the children to take care of her, | मां बीमार थी, इसलिए बच्चों को संभालने ले गई थी, दादी के साथ मासून ने भी हाथों में तोड़ा दम | Patrika News

मां बीमार थी, इसलिए बच्चों को संभालने ले गई थी, दादी के साथ मासून ने भी हाथों में तोड़ा दम

locationग्वालियरPublished: Sep 10, 2023 12:48:39 pm

Submitted by:

Neeraj Chaturvedi

राजस्थान के सिमरानिया में गमी में ग्वालियर से गया था अग्रवाल परिवार

मां बीमार थी, इसलिए बच्चों को संभालने ले गई थी, दादी के साथ मासून ने भी हाथों में तोड़ा दम
मां बीमार थी, इसलिए बच्चों को संभालने ले गई थी, दादी के साथ मासून ने भी हाथों में तोड़ा दम
ग्वालियर. उपनगर ग्वालियर के घासमंडी इलाके में एक परिवार के तीन लोगों की दुर्घटना में मौत के बाद गमगीन माहौल था। जिसने भी इस घटना को सुना सभी परिचित लोग अपने आपको रोक नहीं सके और शाम से पहले ही घर पर पहुंच गए। परिवर की बहू पिछले काफी समय से बीमार रहती है। इसलिए तीन बच्चों की देखरेख अब बच्चों ही मौसी ही करती है। शनिवार की सुबह रिश्तेदारी में गमी में जब परिवार के चार लोग जा रहे थे तो दादी अपने साथ दोनों पोते- पोती को भी ले गई। लेकिन भगवान को कुछ ओर ही मंजूर था। इस घटना में बच्चा पार्थ, दादी जयमाला और चाचा प्रियांक अग्रवाल की मौत हो गई।
तीन भाई बहन में बीच का था पार्थ
पीयूष अग्रवाल के तीन बच्चे है। जिसमें पार्थ की उम्र 4 वर्ष थी। यह तीन भाई बहनों के बीच था। वहीं छोटा भाई रोनक ढाई वर्ष और बहन दिशा 6 साल की है। इस हादसे में दिशा भी घायल है। जिसका इलाज जेएएच में चल रहा है।
प्रियांक की शादी नहीं हुई थी और मां थी आगनवाडी कार्यकत्र्ता
इस दुर्घटना में प्रियांक और उसकी मां की भी मौत हुई है। प्रियांक हार्डवेयर की दुकान करता था। वहीं उसकी मां जयमाला आंगनवाड़ी कार्यकत्र्ता थी। अग्रवाल परिवार गुड के व्यापारी है। इनकी हजीरा पर दुकान है।
मौसी का बुरा हाल भांजी से मिलने की जिद पर अड़ी
पिछले काफी समय से इन बच्चों की देखरेख मौसी ही करती आ रही है। दोपहर बाद हादसे की जानकारी मिलते ही परिवार के अन्य सदस्यों के साथ- साथ मौसी क ा बुरा हाल हो गया है। वह एक ही बात कह रही है कि कैसे भी मुझे भंजी से मिलवा दो। छह वर्ष की भांजी के पैर में फै्रक्चर आया है। इसलिए वह अस्पताल में भर्ती है।
परिवार के साथ मौहल्ले के लोग जुटे
हादसे की जानकारी मिलते ही अग्रवाल परिवार के शहर के साथ- साथ आसपास के शहरों से भारी संख्या में रिश्तेदार पहुंच गए। वहीं शाम तक आसपास के मौहल्लों के लोग भी इस दुख में शामिल होने पहुंच गए। हर कोई एक ही बात कह रहा कि भगवान को क्या मंजूर था। सुबह तक तो हम लोगों से मिलकर ही गए थे।
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