– आवासीय भवन शासकीय से भूतल तक 600 रुपए प्रतिवर्ष
– आवासीय भवन शासकीय से भूतल से ऊपर तक 1200 रुपए प्रतिवर्ष
– आवासीय भवन अशासकीय से 900 वर्ग फुट तक 300 रुपए प्रतिवर्ष
– आवासीय भवन अशासकीय से 1500 वर्ग फुट तक 600 रुपए प्रतिवर्ष
– आवासीय भवन अशासकीय से 1500 से अधिक पर 1200 रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय अस्पताल में 3000 वर्ग फुट तक 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय अस्पताल में 3001 से 10 हजार वर्ग फुट तक 15 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय अस्पताल में 10001 वर्ग फुट से 5 बीघा तक 25 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय होटल से 5000 वर्गफुट तक 30 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय होटल से 5001 से 10 हजार वर्गफुट तक 60 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय होटल से 10 हजार वर्गफुट से अधिक 90 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– दुकान में 100 से 200 वर्गफुट तक एक हजार रुपए प्रतिवर्ष
– दुकान में 200 से 400 वर्गफुट तक 1500 रुपए प्रतिवर्ष
– दुकान में 400 वर्गफुट से अधिक तक 4 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– दुकान में 2000 वर्गफुट तक 5 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– फैक्ट्री-कारखाने में 2000 से 10000 वर्गफुट तक 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– फैक्ट्री-कारखाने में 10000 वर्गफुट से अधिक तक 20 हजार रुपए प्रतिवर्ष – मॉल से 1 लाख 20 रुपए प्रतिवर्ष
– सिनेमाहॉल-सिनेप्लेक्स से 12000 रुपए प्रतिवर्ष
– मैरिज गार्डन में 1 से 5 बीघा तक 50 हजार रुपए प्रतिवर्ष
– मैरिज गार्डन में 5 बीघा से अधिक पर 1 लाख रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय शिक्षण संस्थान स्कूल एवं कॉलेज में 3000 वर्गफुट तक 5000 रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय शिक्षण संस्थान स्कूल एवं कॉलेज में 3001 से 10000 वर्गफुट तक 7500 रुपए प्रतिवर्ष
– अशासकीय शिक्षण संस्थान स्कूल एवं कॉलेज में 10001 वर्गफुट से 5 बीघा तक 20000 रुपए प्रतिवर्ष
19 सितंबर 2020 को ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ तत्कालीन संभागीय आयुक्त बीएम ओझा के साथ एक बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया था कि गारबेज शुल्क के अस्तित्व को तय करने के लिए विभिन्न वर्गों को शामिल कर एक समिति बनाई जाएगी और समिति की रिपोर्ट आने तक गारबेज शुल्क को एच्छिक रखा जाएगा। इस बैठक में तत्कालीन नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन, एमआइसी के सदस्यगण, भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी और चैंबर के पदाधिकारीगण मौजूद रहे थे। फिर भी अभी तक इस समिति का गठन नहीं किया गया और 30 जून 2021 तक इस ठहराव का पालन किया गया लेकिन एक जुलाई से गारबेज शुल्क को पुन:आवश्यक कर दिया गया है।
मेरा गिरवाई पर गोदाम है, इस प्रतिवर्ष नगर निगम को करीब 20 हजार रुपए संपत्ति कर देता हूं। वर्ष 2021-22 के भुगतान के लिए जब मैंने इसे ऑनलाइन चेक किया तो उसमें 20 हजार रुपए गारबेज शुल्क के भी जुड़े हुए दिखे। इस तरह से कुल भुगतान 41,206 रुपए का दिख रहा है। कोरोना काल में पहले से ही कारोबार ठप पड़े हैं, ऐसे में नगर निगम द्वारा गारबेज शुल्क की वसूली नहीं की जानी चाहिए।
– राजेश माखीजा, फूड कारोबारी
गारबेज शुल्क के अस्तित्व को तय करने के लिए विभिन्न वर्गों को शामिल कर एक समिति बनाने के लिए कहा गया था इसे अभी तक नहीं बनाया गया और गारबेज शुल्क आमजन के साथ व्यापारियों पर थोप दिया गया। गारबेज शुल्क को लेकर व्यापारियों सहित आमजन में रोष है। इसे लेकर संभागायुक्त से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन दिया गया है यदि 29 अगस्त तक हमारी मांगों को नहीं माना गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
– डॉ.प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी सचिव, मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
किसी से गुपचुप तरीके से कोई भी गारबेज शुल्क नहीं लिया जा रहा है। जिन लोगों ने पिछले साल गारबेज शुल्क नहीं दिया था उनसे इस बार लिया जा रहा है। गारबेज शुल्क में कोई छूट नहीं दी जा सकती है। हम इतना कर सकते है कि जो लोग इस साल गारबेज शुल्क जमा नहीं कर पा रहे है वह अगली साल जमा कर सकते हैं।
– राजेश श्रीवास्तव अपर आयुक्त नगर निगम