वर्ष २०१७ में थाटीपुर क्षेत्र में होर्डिंग लगाए जाने का टेंडर निजी होर्डिंग कंपनी को दिया गया था। यह होर्डिंग लगाए जाने से पहले कंपनी द्वारा चयनित स्थान की मांग की। इसके बाद निगम अधिकारी होर्डिंग लगाए जाने वाले स्थान का चयन करके नहीं दर्शा सके और नई होर्डिंग पॉलिसी शासन द्वारा बनाए जाने की बात कहकर टालते रहे। जबकि शहरी क्षेत्र में होर्डिंग लगाए जाने की पॉलिसी पूर्व में २००७ में तैयार हो चुकी थी। इसके बाद वर्ष २०१७ तक मामला टाला गया। नई पॉलिसी आने पर होर्डिंग का स्थान चयन न करके निगम अधिकारियों द्वारा मांगे जाने की शिकायत होर्डिंग एडवाटरइजिंग एजेंसी की ओर से थाटीपुर थाने में शिकायत की गई। यह शिकायत होने के बाद होर्डिंग लगाए जाने का मामला अधिकारियों ने अटका दिया है। अब होर्डिंग मालिक द्वारा धरोहर के तौर पर जमा राशि ७० लाख वापिस किए जाने की मांग कर रहे हैं। एेसी स्थिति में निगम अधिकारी बुरी तरह से फंस चुके हैं। इस बात की शिकायत निगम आयुक्त से लेकर महापौर से भी की जा चुकी है। माहापौर ने इस मामले में दोषी अधिकारी चिह्नित किए जाने की बात भी कही थी।
शहर में होर्डिंग लगाए जाते समय नियमों से खिलवाड़ की जा रही है। होर्डिंग मालिक द्वारा कही लोकेशन देखकर होर्डिंग लागई जाती है। जब हरियाली बाधक बनती है तो उसे धीरे-धीरे नष्ट किए जाने का सिलसिला शुरू होता है। इतना ही नही निगम द्वारा होर्डिंग लगाए जाते समय नक्शा और स्वीकृति जिस स्थान की ली जाती है उस स्थान पर होर्डिंग न लगाकर दूसरी लोकेशन पर लगाए जा रहे हैं। एेसा किए जाने से शहर की सड़कें असुरक्षित होती जा रही है। इन सड़कों पर तेज हवा से कई बार होर्डिंग जमीन पर गिरे हैं। वही इन का बैनर उड़कर बिजली के तारों से भी टकराते है जिससे करंट फैलने और दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
निगम अधिकारियों को पार्षदों द्वारा बताया गया है कि शहर में निगम द्वारा ७२०३५ वर्ग फीट क्षेत्र फल में होर्डिंग लगाए जाने की अनुमति दी गई है। यह अनुमति शहर में दस होर्डिंग विज्ञापन एजेंसी को दी गई जिन्होंने ५३९८० एरिया ज्यादा कबर करके होर्डिंग लगाए है। इसके अलावा इन होर्डिंग विज्ञापन एजेंसियों ने ७११८६ वर्ग फीट एरिया में बिना अनुमति के होर्डिंग लगाकर अवैध करोबार कर रहे है। यह अवैध करोबार में निगम अधिकारियों की संलिप्तता बनी हुई है।
शहर में अवैध होर्डिंग को लेकर जांच होनी है। यह जांच कमेटी तैयार होने के बाद रिपोर्ट पर अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही कुछ हो सकेगा। देवेंद्र सिंह चौहान, उपायुक्त, नगर निगम