निराश होकर सुसाइड करने जा रहा था
विक्रांत (परिवर्तित नाम) 16 वर्ष, प्रेम प्रसंग के चलते लड़की के साथ भाग गया था। एक समय ऐसा आया वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने जा रहा था। विक्रांत के घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पढ़ाई छूट गई थी, जिसे देखते हुए संस्था ने उसका 12वीं का फॉर्म भरवाया और किताबें और कोचिंग की व्यवस्था की।
लूट का अपराधी, अब कर रहा सामजिक कार्य
प्रकाश (परिवर्तित नाम) उम्र 17 वर्ष, जिसे लूट के प्रकरण में जेल जाना पड़ा। प्रकाश के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी और वो अपने माता पिता की इकलौती संतान था, उसकी ज़मानत करवा कर आधिकारिक रूप से कस्टडी ली गई। प्रकाश का 10वी में दाखिला करवाया गया और आज वो पत्रकारिता में स्नातक कर रहा है। वह अभी तक 8 बार रक्तदान कर चुका है और कई सामाजिक कार्यों को कर रहा है।
प्यार की खातिर जाना पड़ा जेल, अब बना इलेक्ट्रिशियन
गीतेश (परिवर्तित नाम) उम्र 17 वर्ष, कभी गर्लफ्रेंड के साथ घर से भाग जाने के कारण जेल जाना पड़ा था, लेकिन जब संस्था के सुधार गृह में आया तो सामाजिक कार्यों के प्रति इसका रुझान बढ़ा। संस्था द्वारा ’इलेक्ट्रिशियन एक रोज़गार’ नामक कार्यशाला रखी गई थी जिससे प्रेरित होकर गीतेश ने इलेक्ट्रिशियन बनने की इच्छा ज़ाहिर की, ज़मानत मिलने के बाद उसे एक इलेक्ट्रिशियन के साथ वेतन के साथ काम सिखाया गया और एक वर्ष बाद वो स्वतंत्र इलेक्ट्रिशियन बन गया।
हार्टबीट फाउंडेशन के प्रमुख अलोक बेंजामिन ने बताया नाबालिग बच्चे जब जघन्य अपराध करते हैं तो उनका पूरी जिंदगी अंधकार में चली जाती है। संस्था इन बच्चों को सामजिक कार्यों के प्रति प्रोत्साहित कर जीवन में एक नयी शुरूआत के लिए प्रेरित करती है।
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