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जो कभी हत्या के जुर्म में जेल में रहा, वो कैसे बना सामजसेवी, पढ़ें नाबालिक अपराधियों की ये कहानी

locationग्वालियरPublished: Oct 03, 2022 08:47:49 pm

Submitted by:

Harsh Dubey

नाबालिग युवा बेल मिलने पर एनजीओ के साथ जुड़कर कर रहे हैं सामजिक कार्य

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ग्वालियर@हर्ष दुबे. कभी कम उम्र में ही हत्या, लूट और चोरी जैसे जघन्य अपराध के कारण शहर के युवाओं को जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा। लेकिन अब ये युवा सामाजिक सरोकार के कार्यों को कर अपने अपराधों पर पश्चाताप कर रहे हैं। शहर के इन नाबालिग युवाओं के आपराधिक गतिविधियों में नाम होने के कारण इनका भविष्य भी अंधकार में पड़ गया। जिला कलेक्ट्रेट द्वारा शहर के कुछ एनजीओ को चुना गया जिनमें इन नाबालिगों को अपराधों को सुधारने एक मौका दिया जाता है। शहर के हार्टबीट फाउंडेशन ने इन युवाओं को सामाजिक कार्यों के प्रति प्रोत्साहित किया। जिसका इन युवाओं पर इतना असर हुआ की इन्होंने अपने जीवन में सकारात्कम कार्यों को करना शुरू कर दिया। जानते हैं उन युवाओं के बारे में….

निराश होकर सुसाइड करने जा रहा था

विक्रांत (परिवर्तित नाम) 16 वर्ष, प्रेम प्रसंग के चलते लड़की के साथ भाग गया था। एक समय ऐसा आया वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने जा रहा था। विक्रांत के घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पढ़ाई छूट गई थी, जिसे देखते हुए संस्था ने उसका 12वीं का फॉर्म भरवाया और किताबें और कोचिंग की व्यवस्था की।

हत्या के जुर्म का अपराधी अब पढ़ा रहा बच्चों को

साहस (परिवर्तिति नाम) उम्र 17 वर्ष जो की 307 (हत्या के प्रयास के प्रकरण) के कारण जेल की सलाखों के पीछे था। साहस की मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग की गई, और फिर इसे सामुदायिक कार्य के लिए प्रेरित किया गया। 12वी कक्षा का छात्र होने की वजह से इसे गरीब बस्ती में छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम सौंपा गया, 18 वर्ष आयु पूर्ण करने के बाद संस्था द्वारा लगाए गये रेडक्रॉस शिविर में दो बार स्वेच्छा से रक्तदान कर चुका है। साहस को नि:शुल्क रोज़गार उन्मुख कोर्स में दाखिल किया गया जिसमें कम्प्यूटर, स्पोकेन इंग्लिश, हिंदी, अंग्रेज़ी टाइपिंग एवं व्यक्तित्व विकास सिखाया जाता है। साहस (परिवर्तित नाम) का प्लेसमेंट एक आइटी कंपनी में कराया गया जहां वो कार्य कर रहा है।
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लूट का अपराधी, अब कर रहा सामजिक कार्य
प्रकाश (परिवर्तित नाम) उम्र 17 वर्ष, जिसे लूट के प्रकरण में जेल जाना पड़ा। प्रकाश के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी और वो अपने माता पिता की इकलौती संतान था, उसकी ज़मानत करवा कर आधिकारिक रूप से कस्टडी ली गई। प्रकाश का 10वी में दाखिला करवाया गया और आज वो पत्रकारिता में स्नातक कर रहा है। वह अभी तक 8 बार रक्तदान कर चुका है और कई सामाजिक कार्यों को कर रहा है।

प्यार की खातिर जाना पड़ा जेल, अब बना इलेक्ट्रिशियन
गीतेश (परिवर्तित नाम) उम्र 17 वर्ष, कभी गर्लफ्रेंड के साथ घर से भाग जाने के कारण जेल जाना पड़ा था, लेकिन जब संस्था के सुधार गृह में आया तो सामाजिक कार्यों के प्रति इसका रुझान बढ़ा। संस्था द्वारा ’इलेक्ट्रिशियन एक रोज़गार’ नामक कार्यशाला रखी गई थी जिससे प्रेरित होकर गीतेश ने इलेक्ट्रिशियन बनने की इच्छा ज़ाहिर की, ज़मानत मिलने के बाद उसे एक इलेक्ट्रिशियन के साथ वेतन के साथ काम सिखाया गया और एक वर्ष बाद वो स्वतंत्र इलेक्ट्रिशियन बन गया।

हार्टबीट फाउंडेशन के प्रमुख अलोक बेंजामिन ने बताया नाबालिग बच्चे जब जघन्य अपराध करते हैं तो उनका पूरी जिंदगी अंधकार में चली जाती है। संस्था इन बच्चों को सामजिक कार्यों के प्रति प्रोत्साहित कर जीवन में एक नयी शुरूआत के लिए प्रेरित करती है।

जेल में भी फिजिकल एक्टिविटी कराई जाती है

जेल सुपरिटेंडेंट इंचार्ज, ग्वालियर पवन तिवारी ने बताया जेल में जो नाबालिग बच्चे गंभीर अपराधों में लिप्त होते हैं, उनकी सामान्यत: मानसिक हालत ठीक नहीं होती है, जिस कारण जेल प्रशासन द्वारा इन्हें व्यायाम, खेल जैसी फिजिकल एक्टिविटी कराई जाती है, ताकि ये मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहें।



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