scriptनाटक में दिखी ‘गांधीजीÓ के अंतर्मन की पीड़ा | The pain of the conscience of 'Gandhiji' seen in the play | Patrika News

नाटक में दिखी ‘गांधीजीÓ के अंतर्मन की पीड़ा

locationग्वालियरPublished: Jul 26, 2021 09:51:31 am

Submitted by:

Mahesh Gupta

हिंदी नाटक ‘युगदृष्टा बापूÓ का प्रीमियर

नाटक में दिखी 'गांधीजीÓ के अंतर्मन की पीड़ा

नाटक में दिखी ‘गांधीजीÓ के अंतर्मन की पीड़ा

ग्वालियर.
आर्टिस्ट्स कंबाइन ग्वालियर की ओर से हिंदी नाटक ‘युगदृष्टा बापूÓ का प्रीमियर रविवार को हुआ। इसमें गांधीजी के अंतिम दिनों में अकेले पड़ जाने की व्यथा को दिखाया गया। यह नाटक अधिकांशत: स्वागत कथनों में पिरोया हुआ है, जिसमें गांधीजी के अंतर्मन की पीड़ा व्यक्त हुई है। इस नाटक के लेखक नंद किशोर आचार्य और निर्देशक सुषमा शर्मा हैं। नाटक समन्वय रंगमंडल प्रयागराज की ओर से तैयार किया गया है। नाटक का संचालन सचिव संजय लघाटे ने किया।

सांप्रदायिक दंगे देख रो दी बापू की आत्मा
आजादी के बाद तात्कालिक राजनीतिक परिदृश्य में वह सारे मुद्दे जो गांधीजी को व्यथित करते रहे जैसे कैबिनेट मिशन के सर क्रिप्स की शर्तों पर नेताओं का राजी हो जाना, जिसमें गांधीजी को देश के बंटवारे के बीच दिखाई दे रहे थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सत्य और अहिंसा के सिद्धांत को त्याग कर शस्त्र और सेना के बलबूते पर भारत की आजादी के सपने को पूरा करने का आग्रह करना तात्कालिक नेताओं का पंजाब और पाकिस्तान के बंटवारे को स्वीकृति दे देना। बार-बार बापू के चेतावनी के बावजूद लोगों का ना मानना था। बापू इनसे उत्पन्न परिणामों से भलीभांति अवगत थे, जिसकी परिणीति देश में भयंकर अराजकता और भीषण सांप्रदायिक दंगों के रूप में हुई। बापू की आत्मा रो दी। देश के बंटवारे की जिम्मेदारी बापू पर थोप दी गई। उन्हें सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर अटल विश्वास था। इस नाटक के अंत में आजादी प्राप्ति के बाद में जनसेवा के लक्ष्य को सामने रखकर चरैवेति के सिद्धांत पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देते हैं।

संवाद के कुछ अंश
बापू- इसका मतलब था उन्हें मेरे उसूलों में कोई श्रद्धा नहीं थी। सत्य और अहिंसा उनके लिए श्रद्धा के नहीं राजनीति के विषय थे।

सुभाष चंद्र बोस- बापू इस समय, जबकि सारा विश्व युद्ध से घिरा है। हमें भी अपनी सेना तैयार कर लेनी चाहिए। सत्य और अहिंसा के सहारे हम भारत की आजादी के सपने को पूरा नहीं कर सकते।

सरदार पटेल- पर बापू हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे का भी तो समर्थन नहीं करेंगे। खैर प्रस्ताव भेजें देखते हैं भविष्य में क्या होता है।

बापू- तुम लोगों ने सत्याग्रह का यह रास्ता अपनाया होता, तो यह बंटवारा और रक्तपात नहीं होता।

पात्र परिचय
महात्मा गांधी- मनीष तिवारी
मौलाना आजाद- विजय कुमार
सरदार पटेल- जगदीश गौड़
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद- संजय यादव
जवाहर लाल नेहरू- रईस अहमद
सुभाष चन्द्र बोस- सत्येन्द्र यादव
मनुवेन- अदिति
आभाबेन- दिव्या शुक्ला
मीरा बेन- हिमांशी चौरसिया

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