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स्वच्छता की आड़ में एक ओर कर शहरवासियों से वसूलना चाहते अफसर, ऐसे की जा रही तैयारी

locationग्वालियरPublished: Oct 11, 2019 10:18:24 pm

Submitted by:

Pawan Dixit

स्वच्छता शुल्क का विरोध, पार्षदों ने कहा-जनता को सुविधाएं नहीं मिल रहीं, ऐसे में नया कर थोपना ठीक नहीं परिषद का विशेष सम्मेलन: गणमान्यजनों से राय लेने के बाद होगा फैसला

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स्वच्छता की आड़ में एक ओर कर शहरवासियों से वसूलना चाहते अफसर, ऐसे की जा रही तैयारी

ग्वालियर। स्वच्छता शुल्क के रूप में नया कर लगाने का प्रस्ताव नगर निगम अधिकारियों द्वारा शुक्रवार को परिषद के विशेष सम्मेलन में रखे जाने पर पार्षदों ने जमकर विरोध किया। उनका कहना था कि सफाई ठीक से हो नहीं रही है, जनता को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, ऐसे में नया कर नहीं थोपा जाना चाहिए। इस पर सभापति राकेश माहौर ने कहा कि पार्षद अपने-अपने क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठजन और गणमान्यजनों से चर्चा करें और परिषद की आगामी बैठक में अपनी बात रखें, तब तक यह बिंदु स्थगित किया जाता है। इसके साथ ही पार्षदों ने जेडओ एवं अन्य अधिकारियों द्वारा उनके क्षेत्रों में ठीक से काम नहीं करने का मुद्दा उठाया, जिस पर सभापति ने आदेश दिया कि वार्डों से अक्षम अधिकारी हटाकर सक्षम अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
शुल्क पर क्या कहा पार्षदों ने
– नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित ने इसे जनता पर थोपने वाला एक नया कर बताया। उन्होंने कहा कि ईको ग्रीन निगम की मशीनरी उपयोग कर रहा है, जबकि उसे स्वयं के संसाधन लाने थे। यह कर लगाने से पहले विधायकों, मंत्री व अन्य जनप्रतिनिधियों से विचार विमर्श कर पक्ष लेना आवश्यक है।
-पार्षद दिनेश दीक्षित ने कहा कि शहर में ४२ वार्ड में ईको ग्रीन काम कर रही है, स्वच्छता शुल्क पूरे शहरवासियों से वसूला जाएगा। अब तक निगम सफाई कर, शिक्षा कर जैसे कर वसूल रही है उसकी सुविधाएं जनता को मिल नहीं रही हैं, ऐसे में नया कर लगाना ठीक नहीं है।
– पार्षद वंदना अरोरा ने कहा कि वार्डों में ईको ग्रीन की गाडिय़ा समय पर नहीं पहुंचती हैं। जो पैसा दिया जा रहा है कंपनी उसके मुताबिक काम नहीं कर रही है। इससे अच्छा काम तो निगम के कर्मचारी करते थे।
-पार्षद बाबूलाल चौरसिया ने कहा कि शहर में जो काम निगम को करना चाहिए, वह हो नहीं रहा है। सीवर की सफाई नहीं हो रही है, ऐसे में नया कर लगाकर जनता के साथ ठगी करने जैसा होगा।
– पर पार्षद नीलिमा शिन्दे ने कहा कि जनता की समस्या सीएम हेल्पलाइन से हल होती है। सफाई संबंधी समस्या हम पार्षदों को भी सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज करानी होगी क्या?

– पार्षद बृजेश गुप्ता ने कहा कि शहर की जनता को सिर्फ कर ही मिल रहा है।
– घनश्याम गुप्ता ने कहा कि परिषद में स्वच्छता कर को लेकर कोई ठहराव प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ, ऐसे में अधिकारियों ने नए कर के संबंध में प्रेस विज्ञाप्ति कैसे निकाली?
-पार्षद धर्मेन्द्र राणा ने कहा कि ईको ग्रीन ने जो सुविधाएं शुरू में दी थीं, वह बंद होती जा रही हैं। ईको ग्रीन ने चयन किए जाने से पहले जो प्रजेंटेशन दिया गया था, उसके मुताबिक काम नहीं हो रहा है।
– पार्षद सतीश सिकरवार ने कहा कि शहर की जनता भोपाल-इंदौर की जनता की तरह सफाई में सपोर्ट नहीं कर रही है। गली चौराहों पर डेयरी वाले गोबर फेंक रहे हैं, इन्हें निगमकर्मियों को उठाना पड़ रहा है।
यह कर नहीं, शुल्क है: माकिन

– निगमायुक्त संदीप माकिन ने कहा कि यह कर नहीं, शुल्क है। जिसको सुविधा दी जाती है, उससे शुल्क लिया जाता है। कंपनी द्वारा सरकारी मशीनरी का उपयोग करने पर उनको दी जाने वाली राशि में कटौती की जा रही है। कंपनी को सरकार द्वारा तैनात किया गया है, मुझ पर इतनी शक्ति नहीं कि कंपनी का कान पकड़कर काम करा सकंू।
जेडओ को हटाओ या मेरा इस्तीफा लो, आसंदी के सामने धरना

परिषद शुरू होते ही पार्षद शिल्पा छारी ने सभापति राकेश माहौर के समक्ष पत्र पेश करते हुए कहा कि मेरे क्षेत्र के जेडओ यशवंत मैकाल, डीएचओ हरिओम और सहायक दरोगा काम नहीं कर रहे हैं, तीनों को हटाओ। यदि इन्हें हटाने का प्रस्ताव तैयार नहीं होता है, तो मेरा इस्तीफ ले लो। उनका समर्थन करते हुए पार्षद बाबूलाल चौरसिया ने कहा कि मेरे क्षेत्र के जेडओ लापरवाह हैं, उन्हें हटाओ। यह कहकर वे आसंदी के समक्ष धरने पर बैठ गए। इसके बाद पार्षद वंदना अरोरा ने भी कहा कि मेरे क्षेत्र के जेडओ सत्येंद्र भदौरिया भी कोई मतलब के नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इनके बारे में पूर्व आयुक्त ने लिखा था कि जेडओ बनने लायक नहीं हैं, उन्हें हटाया गया था, लेकिन उन्हें ही मेरे क्षेत्र में तैनात किया गया है। इस पर सभापति माहौर ने कहा कि आखिर क्या बात है, पार्षदों द्वारा जनता के हित में जो निर्णय लिए जाते हैं, उन पर अमल नहीं होता है। यह बहुत शर्म की बात है। उन्होंने निगमायुक्त से कहा वार्डों से अक्षम अधिकारी हटाकर सक्षम अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
अधिकारियों को हटाने प्रस्ताव लाने को मजबूर होंगे

पार्षद शशि शर्मा ने कहा कि पार्षदों का परिषद से विश्वास उठ चुका है। इस पर सभापति ने कड़ी आपत्ति की और कहा कि अधिकारी जनता की सुविधा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। आदेशों का पालन न होने से परिषद का अपमान होता है। जो अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें वापस भेजने के लिए परिषद ठहराव प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होगी।
रोप-वे का मुद्दा उठा

दूसरा सत्र में रोप-वे का काम बंद होने पर पार्षदों ने पक्ष रखा, तभी आयुक्त ने कहा कि किले पर रोप-वे का स्टेशन बनाए जाने में तकनीकी खामी आ रही है। स्थान का चयन हो रहा है। इस पर पार्षद राणा ने पूर्व में आयुक्त द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि इसके मुताबिक दूसरी जगह स्टेशन बनाया गया तो असुरक्षित होगा। इस पर आयुक्त शांत रहे।
फर्जी तरीके से रखे गए कर्मचारियों पर होगी एफआइआर
पंप ऑपरेटर की नियुक्ति को लेकर मामला गहराया, तभी जोन क्रमांक नौ में तीन कर्मचारी बिना स्वीकृत पद के तैनात किए जाने का मुद्दा उठा। इस आयुक्त ने एफआइआर दर्ज कराने की बात कही।
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