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ग्वालियर

बेहद सख्त है इस स्कूल का अनुशासन, एक छात्र ने की थी दीवार कूद कर भागने की कोशिश फिर बना विदेश मंत्री

इस स्कूल में देश की कई बड़ी हस्तियों ने पढ़ाई की है।

ग्वालियरOct 22, 2019 / 01:08 pm

Pawan Tiwari

scindia school
ग्वालियर. देश के सबसे मंहगे स्कूलों में से एक दी सिंधिया स्कूल के 122 साल पूरे हो गए हैं। इस स्कूल की स्थापना 1897 में ग्वालियर रियासत के महाराजा माधव राव सिंधिया ने की थी। इस स्कूल की स्थापना पहले राजा और महाराजा के बच्चों के लिए की गई थी लेकिन अब इस स्कूल की गिनती देश के सबसे मंहगे और अच्छे स्कूलों में होती है। ग्वालियर किले में स्थिति इस सकूल को लेकर कई रोचक किस्से हैं। कहा जाता है कि 122 साल के इस स्कूल में कोई भी छात्र यहां से भाग नहीं सका। इस स्कूल का अनुशासन बेहद सख्त है। लेकिन एक छात्र ने इस स्कूल से भागने की कोशिश की थी लेकिन अंतिम में वो नाकाम हो गया था।
कौन था वो छात्र
इस स्कूल देश की कई बड़ी हस्तियां पढ़ चुकी हैं। कहा जाता है कि नटवर सिंह ही एक मात्र ऐसे छात्र थे जिन्होंने यहां के अनुशासन से तंग होकर स्कूल के भागने की कोशिश की थी। हालांकि नटवर सिंह स्कूल से भाग नहीं पाए थे। 1997 में जब इस स्कूल के 100 साल पूरे हुए थे तब नटवर सिंह ने खुद बताया था कि इस स्कूल का अनुशासन इतना सख्त है कि यहां आने वाला बच्चा रोता है पर स्कूल से भाग नहीं सकता। लेकिन बाद में उनके मन में स्कूल इस तरह से बस जाता है कि यहां का पढ़ा छात्र दुनिया के किसी भी कोने में जाकर देश का परचम लहरा सकता है। इस स्कूल के अनुशासन को कभी भूलाया नहीं जा सकता है।
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विदेश मंत्री बने थे नटवर सिंह
नटवर सिंह वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं। मनमोहन सिंह की सरकार में वो 22 मई 2004 से 6 दिसंबर 2005 तक देश के विदेश मंत्री रहे। नटवर सिंह31 सालों तक भारतीय विदेश सेवा में भी रहे। भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देने के बाद नटवर सिंह राजस्थान के भरतपुर संसदीय सीट से सांसद बने और पहली बार 1985 में केन्द्र में मंत्री बने। सिंधिया स्कूल के 100 साल पूरे होने पर नटवर सिंह ने कहा था कि मैं जिस मुकाम पर पहुंचा, इसी स्कूल की बदौलत हूं। क्योंकि यह स्कूल भारतीय संस्कृति का आईना है।
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बदल गया नाम
साल 1933 में समिति ने यह निर्णय लिया कि विद्यालय को सार्वजनिक स्वरूप दिया जाए। तब इसका नाम सरदार स्कूल से बदलकर ‘सिंधिया स्कूल’ रखा गया। शहर में लगभग 300 फीट की ऊंचाई पर बसे ग्वालियर दुर्ग के ऐतिहासिक अवशेषों की देखरेख और मरम्मत के बाद उन्हें छात्रावास और विद्यालय परिसर का प्रारूप दिया गया।

खेलने के लिए 22 मैदान
ग्वालियर शहर के कोलाहल से दूर प्राकृतिक सौंदर्य के मध्य ग्वालियर के ऐतिहासिक दुर्ग पर यह स्कूल स्थिति है। स्कूल का भवन व होटल वास्तुकला के अनुपम उदाहरण हैं। कैंपस में छात्रों के खेलने के लिए 22 मैदान हैं। जिसमें क्रिकेट, लॉन टेनिस, स्वीमिंग पूल, हार्स राइडिंग, बॉक्सिंग से लेकर हर तरह के इंडोर गेम, ओपन थिएटर हैं।
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