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दो बेटियों का कारनामा, परिवार और गांव वाले हुए हैरान… पढ़ें

locationग्वालियरPublished: May 18, 2019 06:49:10 pm

बेटी को खूब पढ़ाओ आखिर उसे चूल्हा, रोटी ही करनी है। कुछ ऐसे ही ताने सुपावली गांव की बेटी नेहा और रेशमा के परिवार को सुनने पड़ते…

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दो बेटियों का कारनामा, परिवार और गांव वाले हुए हैरान… पढ़ें

ग्वालियर. बेटी को खूब पढ़ाओ आखिर उसे चूल्हा, रोटी ही करनी है। कुछ ऐसे ही ताने सुपावली गांव की बेटी नेहा और रेशमा के परिवार को सुनने पड़ते थे। ये बेटियां रोज स्कूल जाती थीं तो गांव व समाज के लोग ऐसा ही बोलते थे। घर व परिवार के सदस्य भी बेटी को ज्यादा पढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रहे थे। इन बेटियों से कई बार स्कूल न जाकर घर में बैठकर पढ़ाई करने को कहा गया था। दोनों ही बेटियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और उत्कृष्ट अंक पाकर गांव का नाम रोशन किया। गांव में रहकर एक बेटी ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 90 प्रतिशत और दूसरी बेटी ने 88 फीसदी अंक प्राप्त किए।
शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर सुपावली गांव में रहने वाले बृजेश सिंह बाथम खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। पुराने ख्यालों और रीति-रिवाजों के परंपरागत ढंग से परिवार का संचालन करने वाले बृजेश सिंह का परिवार एक समय बेटियों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं था। परिवार के कुछ सदस्यों की सोच थी कि घर बैठकर ही पढ़ाई पूरी कराई जाए। वहीं, गांव के स्कूल के शिक्षकों ने बेटी की प्रतिभा के बारे में बृजेश को बताया और कहा कि बेटियों की पढ़ाई पर फोकस करो। वो टॉपर हो सकती हैं। इसके बाद परिवार के सदस्यों की बार-बार काउंसिलिंग किए जाने के बाद बेटियां ने प्रतिदिन स्कूल में जाकर पढ़ाई की। इसके बाद नेहा ने 90 फीसदी अंक प्राप्त किए। वहीं, रेशमा ने 87.8 फीसदी अंक पाकर गांव में अपनी प्रतिभा की धाक जमाई।

घर का काम करने के साथ की पढ़ाई, बिजली की कमी भी खली
नेहा और रेशमा को अपनी पढ़ाई के साथ घर का काम भी करना होता था। प्रतिदिन छह घंटे की स्कूल क्लास के बाद घर में तीन से चार घंटे ही पढ़ाई कर पाती थीं। घर का चूल्हा, बर्तन और परिवार के अन्य सदस्यों के काम में हाथ बंटाती थी। इन बेटियों की पढ़ाई में बिजली कटौती भी बाधा बनी। गांव में एक बार बिजली चली जाए तो कब आएगी इसकी कोई खबर नहीं रहती थी, फिर भी दोनों बेटियों ने अपनी प्रतिभा को कम नहीं होने दिया।

स्कूल का रिजल्ट रहा 90 फीसदी
इस गांव का हाईस्कूल का रिजल्ट 90 फीसदी रहा। हाईस्कूल में 28 छात्र-छात्राएं थे। इनमें एक छात्र फेल हुआ। 27 छात्र पास हुए। नेहा और रेशमा दोनों ही पहले और दूसरे स्थान पर रहीं। स्कूल के प्राचार्य जितेंद्र सिंह भदौरिया का कहना है कि दोनों बेटियों की पढ़ाई को लेकर परिवार के सदस्यों की काउंसिलिंग बार-बार की। आज उनकी बेटियों ने अच्छे अंक प्राप्त किए तो पालक भी खुश हो गए। अब माता-पिता की सोच भी बदली है। वे शहर में भी बेटियों की आगे की पढ़ाई जारी रखने की बात कहने लगे।

पिता की बदली सोच,आगे भी पढ़ाएंगे बेटियों को
इन मेधावी छात्राओं के पिता बृजेश सिंह ने पत्रिका को बताया कि समाज और गांव के लोगों की बातें नहीं सुनेंगे। अब दोनों बेटियों की पढ़ाई जारी रखेंगे। उन्हें पढ़ाई के लिए शहर भेजेंगे, जिससे वे स्वयं अपना भविष्य बनाकर काबिल बन सकें।
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