घर का काम करने के साथ की पढ़ाई, बिजली की कमी भी खली
नेहा और रेशमा को अपनी पढ़ाई के साथ घर का काम भी करना होता था। प्रतिदिन छह घंटे की स्कूल क्लास के बाद घर में तीन से चार घंटे ही पढ़ाई कर पाती थीं। घर का चूल्हा, बर्तन और परिवार के अन्य सदस्यों के काम में हाथ बंटाती थी। इन बेटियों की पढ़ाई में बिजली कटौती भी बाधा बनी। गांव में एक बार बिजली चली जाए तो कब आएगी इसकी कोई खबर नहीं रहती थी, फिर भी दोनों बेटियों ने अपनी प्रतिभा को कम नहीं होने दिया।
स्कूल का रिजल्ट रहा 90 फीसदी
इस गांव का हाईस्कूल का रिजल्ट 90 फीसदी रहा। हाईस्कूल में 28 छात्र-छात्राएं थे। इनमें एक छात्र फेल हुआ। 27 छात्र पास हुए। नेहा और रेशमा दोनों ही पहले और दूसरे स्थान पर रहीं। स्कूल के प्राचार्य जितेंद्र सिंह भदौरिया का कहना है कि दोनों बेटियों की पढ़ाई को लेकर परिवार के सदस्यों की काउंसिलिंग बार-बार की। आज उनकी बेटियों ने अच्छे अंक प्राप्त किए तो पालक भी खुश हो गए। अब माता-पिता की सोच भी बदली है। वे शहर में भी बेटियों की आगे की पढ़ाई जारी रखने की बात कहने लगे।
पिता की बदली सोच,आगे भी पढ़ाएंगे बेटियों को
इन मेधावी छात्राओं के पिता बृजेश सिंह ने पत्रिका को बताया कि समाज और गांव के लोगों की बातें नहीं सुनेंगे। अब दोनों बेटियों की पढ़ाई जारी रखेंगे। उन्हें पढ़ाई के लिए शहर भेजेंगे, जिससे वे स्वयं अपना भविष्य बनाकर काबिल बन सकें।