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श्रीराम व सीता का व्यक्तित्व जीवन में उतारने की आवश्यकता है

locationग्वालियरPublished: Oct 13, 2019 07:38:13 pm

कथा में आज चौथे दिन श्रीराम विवाह, एवं पशुराम लक्ष्मण संवाद के प्रंसग सुनाया

श्रीराम व सीता का व्यक्तित्व जीवन में उतारने की आवश्यकता है

श्रीराम व सीता का व्यक्तित्व जीवन में उतारने की आवश्यकता है

ग्वालियर। श्रीराम व सीता का व्यक्तित्व जीवन में उतारने की आवश्यकता है। उनके विवाह की कथा का प्रसंग रोचक है। कैसे उस समय के सभी विद्वान व महाबली राजा-महाराजों के अहंकार को भगवान श्रीराम ने चकनाचूर किया था। मां सीता के पति धर्म को हमारी माताओं-बहनो को अपनाने की आवश्यकता है। आज बदलते आधुनिक परिवेश में लोग धर्म से विमुख हो रहे हैं। श्रीराम कथा के श्रवण मात्र से ही पाप का क्षय होता है। पुण्य बढ़ता है। ऐसा कार्य करना चाहिए कि जिससे माता-पिता प्रसन्न हो। ऋषि-मुनि आशीर्वाद दें। देवी-देवता हमेशा रक्षा करें। यह विचार कथा वाचक पूज्य संत आचार्य शांतनु महाराज ने आज चौथे दिन रविवार को श्रीराम कथा आयोजन समिति दीनदयाल नगर की ओर से बी-ब्लाॅक महाराज काम्पलेक्स के पीछे पार्क में आयोजित श्रीराम कथामृत के संत्सग मे कही।
आचार्य शान्तनु महाराज ने कहाकि मिथिला नरेश राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया था। देश-विदेश के अनेक भूपति मौजूद थें। अपने गुरु के साथ राम लक्ष्मण किशोर दोनों भाई मिथिला नगरी में पहुंचे थे। राम और लक्ष्मण को देख कर जनकपुर वासी प्रसन्न हो गए। नगर भ्रमण को निकले सभी इन की अलौकिक छवि को देख कर मंत्रमुग्ध हो गए और जब स्वयंवर का समय आया तो इससे पहले सीता गौरी पूजन के लिए जब मंदिर जाती हैं और मां गौरी का पूजन कर उनसे आशीर्वाद लेती हैं तो आप पुष्पवाटिका में सखियों के साथ गई सीता और इन दोनों भाइयों के बीच पहला आमना-सामना होता है। स्वयंवर में आए अनेक राजा धनुष उठाने का प्रयास करते हैं, परंतु धनुष टस से मस नहीं होता है। इसके बाद गुरु का आशीर्वाद लेकर राम के प्रत्यंचा चढ़ाते ही धनुष टूट जाता है चारों तरफ जय-जय कार होती है। देवता पुष्पों की वर्षा करते हैं, सखियां मंगल गीत गाती हैं और सीता राम के गले में जयमाला वरमाला डालती हैं। माता सीता की जनकपुरी से विदाई होती है।
इसके बाद भगवान श्रीराम द्वारा शिवजी का धनुष भंजन करने और धनुष भंजन पर भगवान परशुराम के स्वयंवर में पहुंचकर क्रोधित होने के प्रसंग का वर्णन किया गया। भगवान परशुराम और लक्ष्मण के संवाद का वर्णन करते हुए भगवान राम के शालीन स्वभाव का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार भगवान राम ने शांत स्वाभाव से भगवान परशुराम का क्रोध शांत किया।

मुख्य यजमान ने उतारी रामचरित्र मानस की आरती
मीडिया प्रभारी सचिन जैन ने बताया कि रविवार को कथा के उपरात भगवान श्रीराम एवं रामचरित्र मानस ग्रंथ एवं कथा वाचक पूज्य संत आचार्य षान्तनु महाराज की आरती मुख्य यजमान तिलक सिंह कुषवाह, गजेंद्र सिंह चैहान, उमेष षर्मा, डाॅ जेपी दीक्षित, एवं कार्यक्रम संयोजक डाॅ जयदीप सिंह भदौरिया, अभय गंगिला, सुशील ने उतारी। आरती के उपरांत प्रसाद वितरण किया गया।

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