नये बैच के 51 छात्र आए
इस वर्ष के लिए मेडिकल कॉलेज में प्रवेश शुरू हो गए हैं, जिसकी काउंसलिंग चल रही है। इस वर्ष के लिए अभी तक 51 छात्र आ गए हैं। इनकी पढ़ाई शुरू हो गई है। इन सभी को अब बॉडी की जरूरत पड़ेगी।
कोरोना के चलते नहीं मिली बॉडी
पिछले तीन वर्षों से कोरोना संक्रमण के चलते मेडिकल कॉलेज को बॉडी दान में नहीं मिल पा रही है। इससे अब पढ़ाई में छात्रों को दिक्कत आने लगी है। इसी के चलते तीन वर्ष में तीन ही बॉडी मिल पाई है। लेकिन अब कोरोना कम होते ही बॉडी मिलने की संभावना है।
पिछले तीन वर्षों से कोरोना संक्रमण के चलते मेडिकल कॉलेज को बॉडी दान में नहीं मिल पा रही है। इससे अब पढ़ाई में छात्रों को दिक्कत आने लगी है। इसी के चलते तीन वर्ष में तीन ही बॉडी मिल पाई है। लेकिन अब कोरोना कम होते ही बॉडी मिलने की संभावना है।
जागरुक करने होंगे आयोजन
इस समस्या को देखते हुए मेडिकल कॉलेज में सेमिनार और अन्य कार्यक्रम कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि लोग जागरुक हों और वह मृत शरीर ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज को दान दें।
इस समस्या को देखते हुए मेडिकल कॉलेज में सेमिनार और अन्य कार्यक्रम कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि लोग जागरुक हों और वह मृत शरीर ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज को दान दें।
22 साल में सिर्फ 32 बॉडी ही मिलीं
जीआरएमसी में एनाटॉमी विभाग ने वर्ष 2000 से दान में बॉडी लेना शुरू किया है। इसमें 22 वर्ष में अभी तक 32 बॉडी मिल चुकी हैं। पिछले वर्षो तक तो बॉडी ज्यादा आने से छात्रों को परेशानी नहीं आ रही थी, लेकिन अब बॉडी कम होने से प्रेक्टिकल करने में कहीं न कहीं परेशानी आने लगी है।
जीआरएमसी में एनाटॉमी विभाग ने वर्ष 2000 से दान में बॉडी लेना शुरू किया है। इसमें 22 वर्ष में अभी तक 32 बॉडी मिल चुकी हैं। पिछले वर्षो तक तो बॉडी ज्यादा आने से छात्रों को परेशानी नहीं आ रही थी, लेकिन अब बॉडी कम होने से प्रेक्टिकल करने में कहीं न कहीं परेशानी आने लगी है।
एक्सपर्ट बोले
मृत मानव देह शोध और प्रयोग के काम आती है कॉलेज में
एनोटोमी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. मनीष चतुर्वेदी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में आने वाली बॉडी से शोध और प्रेक्टिकल दोनों किया जाता है। इसमें प्रथम वर्ष के छात्रों को पढ़ाई में प्रेक्टिकल कराया जाता है। इसके माध्यम से छात्रों को मनुष्य के शरीर की जानकारी का पूरा प्रेक्टिकल इसी से कराया जाता है। वहीं बॉडी से पीजी छात्र शोध भी करते हैं।
मृत मानव देह शोध और प्रयोग के काम आती है कॉलेज में
एनोटोमी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. मनीष चतुर्वेदी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में आने वाली बॉडी से शोध और प्रेक्टिकल दोनों किया जाता है। इसमें प्रथम वर्ष के छात्रों को पढ़ाई में प्रेक्टिकल कराया जाता है। इसके माध्यम से छात्रों को मनुष्य के शरीर की जानकारी का पूरा प्रेक्टिकल इसी से कराया जाता है। वहीं बॉडी से पीजी छात्र शोध भी करते हैं।
इस तरह सुरक्षित रखा जाता है मृत शरीर
मेडिकल कॉलेज में आने वाली बॉडी को सालों साल जीवंत रखने के लिए कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। बॉडी में खून की नलियों में कैमिकल डालने के बाद बॉडी को कैमिकल के टैंक में डूबाकर रखा जाता है। जब छात्रों को प्रेक्टिकल करना होता है तो बॉडी को टैक से बाहर निकाल कर छात्रों को प्रेक्टिकल कराया जाता है। उसके बाद फिर से टैंक में बॉडी को रख दिया जाता है।
मेडिकल कॉलेज में आने वाली बॉडी को सालों साल जीवंत रखने के लिए कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। बॉडी में खून की नलियों में कैमिकल डालने के बाद बॉडी को कैमिकल के टैंक में डूबाकर रखा जाता है। जब छात्रों को प्रेक्टिकल करना होता है तो बॉडी को टैक से बाहर निकाल कर छात्रों को प्रेक्टिकल कराया जाता है। उसके बाद फिर से टैंक में बॉडी को रख दिया जाता है।
जागरुकता की जरूरत
&देहदान के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करने की जरूरत है। इसके लिए सेमिनार और अन्य कार्यक्रम करने की प्लानिंग की जा रही है।
डॉ. सुधीर सक्सेना, एचओडी एनाटॉमी विभाग जीआरएमसी