scriptये हैं शहर के जांबाज, तीसरी लहर के लिए भी तैयार | These are the bravehearts of the city, ready for the third wave too | Patrika News

ये हैं शहर के जांबाज, तीसरी लहर के लिए भी तैयार

locationग्वालियरPublished: Dec 05, 2021 11:24:36 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

इंटरनेशनल वालंटियर डे: दूसरी लहर में जान जोखिम में डाल की थी लोगों की मदद

ये हैं शहर के जांबाज, तीसरी लहर के लिए भी तैयार

ये हैं शहर के जांबाज, तीसरी लहर के लिए भी तैयार

ग्वालियर.

देश में नया वैरिएंट ओमिक्रॉन दस्तक दे चुका है। इसको लेकर शासन, प्रशासन सजग हुआ है। जगह-जगह मास्क न लगाने पर चालानी कार्रवाई हो रही हैं। कई पाबंदियां लगा दी गई हैं। हॉस्पिटल्स में इंतजाम शुरू हो गए हैं। इससे इतर इस वैरिएंट को तीसरी लहर माना जा रहा है। प्रशासनिक अमला जहां तैयारियों में जुटा है, वहीं शहर के जांबाज भी इस मुसीबत में लोगों की मदद के लिए तैयार हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में जान हथेली में लेकर संक्रमित लोगों के घरों तक खाना, दवाइयां पहुंचाईं। बीमार लोगों को हॉस्पिटल तक लेकर पहुंचे। खुद पीठ पर मशीन टांग सेनेटाइजर का छिडक़ाव किया। आइए इंटरनेशनल वालंटियर डे पर एक बार फिर मिलते हैं शहर के इन जांबाजों से…।

ग्वालियर में फंसे 54 मजदूरों के लिए तीन माह तक लगातार राशन की व्यवस्था की। राशन एसपी ऑफिस भी भिजवाया। शहर में जहां-जहां भी रसोई चल रही थीं, वहां राशन सामग्री उपलब्ध कराईं। हमेशा साइलेंट मोड में रहकर काम किया।
राम मोहन त्रिपाठी, कॉन्ट्रेक्टर

शहर में बहुत से परिवार ऐसे थे, जो घर पर अकेले थे। खुद संक्रमित हुए तो उनके सामने खाने का सबसे बड़ा संकट खड़ा हुआ। ऐसे लोगों के लिए खाना बनवाया गया और शॉर्पेज स्कूल की टीम ने लोगों तक खाना पहुंचाया।
संजीव निगोतिया, बिजनेसमैन

खुद पीपीई किट पहनकर कोविड सेंटर में सेवाएं दीं। संक्रमितों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया। खुद सेनेटाइजर मशीन पीठ में टांगकर संक्रमितों के घरों पर छिडक़ाव किया। लोगों के घर खाना और दवाइयां पहुंचाईं। दिन-रात एक्टिव रहे।
गणेश समाधिया, समाजसेवी

तीन मिनी वेंटीलेटर एक रुपए के सांकेतिक शुल्क पर शहर को दिए, जिसका हॉस्पिटल में प्रतिदिन दो हजार रुपए चार्ज था। जो बच्चे अनाथ हुए उन्हें फ्री एजुकेशन एबनेजर स्कूल में दी जा रही है। ऐसे बच्चों की संख्या 8 है।
अमित जैन, बिजनेसमैन

कोरोना के लिए बनाई गई टीम को लीड किया। युवाओं को जोड़ा। खुद भी फूड पैकेट लेकर संक्रमितों के घर पहुंचे। हॉस्पिटल में बेड, कंसनट्रेटर, ऑक्सीजन की व्यवस्था कराई। जहां जरूरत हुई वहां हमेशा खड़े रहे।
सुधीर त्रिपाठी, समाजसेवी

कोरोना की पहली और दूसरी लहर में मानवता ग्रुप की टीम ने खाना बनवाकर जरूरतमंदों तक पहुंचाया। गर्भवती महिलाओं के लिए दूध, दलिया की व्यवस्था की। शहरभर में मुस्तैद पुलिसकर्मियों को नींबू पानी, पानी व चाय बांटा।
अनिल अग्रवाल, एडवोकेट

कोरोना काल में जानवरों के खाने का संकट था। ऐसे में सुबह शाम घर पर दलिया बनाकर जगह-जगह बांटा। घायल डॉग को घर पर रखा और उनका इलाज कराया। उस दौरान गाडिय़ों से घायल डॉग का ट्रीटमेंट खुद किया।
नम्रता सक्सेना, समाजसेवी

कैंसर, किडनी और थैलेसीमिया पेशेंट के लिए ब्लड की जरूरत हमेशा रहती है। कोरोना काल में संक्रमण के कारण लोग ब्लड देने से बचते रहे। इस पर इन्होंने लोगो को मोटिवेट किया और खुद भी ब्लड व प्लाज्मा डोनेट किया।
सुधीर राव दुरापे, रक्त सेवक

एसएएफ सेकंड बटालियन में अपनी ड्यूटी निभाने के बाद घर पर खाना बनवाकर जरूरतमंदों तक पहुंचे। दो महीने तक सारा काम खुद की पॉकेट मनी से किया। बाद में कुछ लोगों का सहयोग मिला, जिससे अन्य सुविधाएं जुटाईं।
राजेन्द्र परिहार, आरक्षक

संक्रमितों के घरों तक खाने की थाली पहुंचाई। खुद घर पर खाना बनाया और स्कूटी से ले जाकर लोगों को बांटा। पुलिस स्टेशन, चौराहों पर खड़ी पुलिस को चाय, नींबू पानी पिलाया। इसमें परिवार ने भी सहयोग किया।
पूर्णिमा अग्रवाल, हाउसवाइफ
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो