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बच्चों को निशाना बना रहा ओमिक्रॉन, हमारे बच्चों पर खतरा बढ़ा रहे ये हालात

locationग्वालियरPublished: Dec 08, 2021 10:03:08 am

Submitted by:

deepak deewan

बच्चों पर खतरा बढ़ा

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ग्वालियर. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से दहशत पसर गई है। इससे कोविड की तीसरी लहर की आशंका भी बढ़ गई है। ओमिक्रॉन को लेकर ये तथ्य सामने आया है कि बच्चों में भी इसके केस बढ़ रहे हैं। इससे चिंता बढ़ गई है. सबसे बुरी बात तो यह है कि ऐसे में हमारे बच्चों पर खतरा ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि उनके इलाज के लिए जरूरी संसाधन और सुविधाएं ही नहीं हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन डब्लूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने साफ चेताया है कि ओमिक्रॉन से बच्चों और अनवैक्सीनेटेड लोगों को खतरा सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट्स के अनुसार ओमिक्रॉन की वजह से पांच साल से कम बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की दर बढ़ी है। इधर शहर में ये हाल हैं कि अस्पतालों में बच्चों के लिए आइसीयू ही नहीं हैं.
प्रशासन लाख दावे करे पर हकीकत यह है कि ग्वालियर में तीसरी लहर और बच्चों पर बढते खतरे की स्थिति से निपटने की समुचित तैयारी नहीं है. शहर के जयारोग्य चिकित्सालय, मुरार जिला अस्पताल और हजीरा सिविल अस्पताल में आक्सीजन प्लांट तो लग चुके हैं, लेकिन दो प्रमुख अस्पतालों में पीडियाट्रिक ICU प्रारंभ नहीं हो पाया है। केवल जेएएच में ही ये सुविधा उपलब्ध है. हजीरा सिविल अस्पताल में तो पीडियाट्रिक ICU बना ही नहीं है।
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जेएएच में भी ICU में सभी 56 बेड फुल हैं। यदि काेराेना से बच्चे प्रभावित हुए ताे उन्हें भर्ती कैसे और कहां करेंगे, यह सवाल उठ रहा है. जानकारों के अनुसार यहां कम से कम 150 बेड का इंतजाम करना हाेगा। इधर मुरार जिला अस्पताल में मेडिसिन ICU शुरू तो हो गया है पर अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन की दरकार है. जिला अस्पताल में पीडियाट्रिक ICU भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

यहां 10 बेड का पीडियाट्रिक ICU बना है. स्वास्थ्य विभाग के पीएस ने कुछ दिन पहले ICU शुरू करने के निर्देश भी दिए थे। इस संबंध में जिले के CMHO का कहना है कि इसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। सभी तैयारी हो चुकी है और स्टाफ को इसके लिए उचित ट्रेनिंग दी जा रही है।

इधर सिविल अस्पताल हजीरा में भी पीडियाट्रिक ICU का काम शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे ओमिक्रान का दुष्प्रभाव बढता है और बच्चे प्रभावित होते हैं तो उनके इलाज के लिए कोई सुविधा ही नहीं होगी। सबसे बुरी बात तो यह है कि अस्पताल में पीडियाट्रिक विशेषज्ञ ही नहीं है। सिर्फ नर्सिंग स्टाफ है।

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