नए गैंग नजर से बाहर
पुलिस अधिकारी कहते हैं, वाहन चोरी में जो लिस्टेड बदमाश हैं उनकी निगरानी तो होती है, लेकिन इस धंधे में नए बदमाश नजर से बाहर ही हैं। पड़ोसी जिलों के वाहन चोर शहर में आकर खरीदारों की डिमांड पर गाड़ियां उठा रहे हैं। लेकिन उनका ब्यौरा नहीं है, तो पुलिस उन तक नहीं पहुंचती है। जिले में करीब 200 से ज्यादा वाहन चोर तो नजर में हैं, इनसे ज्यादा संख्या उन चोरों की है जिनके बारे में जानकारी नहीं है।
पुलिस अधिकारी कहते हैं, वाहन चोरी में जो लिस्टेड बदमाश हैं उनकी निगरानी तो होती है, लेकिन इस धंधे में नए बदमाश नजर से बाहर ही हैं। पड़ोसी जिलों के वाहन चोर शहर में आकर खरीदारों की डिमांड पर गाड़ियां उठा रहे हैं। लेकिन उनका ब्यौरा नहीं है, तो पुलिस उन तक नहीं पहुंचती है। जिले में करीब 200 से ज्यादा वाहन चोर तो नजर में हैं, इनसे ज्यादा संख्या उन चोरों की है जिनके बारे में जानकारी नहीं है।
यहां वाहन मालिक और पुलिस की लापरवाही
वाहन चोरी की वारदाते बढ़ने के पीछे वाहन मालिकों की लापरवाही भी है। चोरी रोकने के लिए गाड़ी में व्हील लॉक और संभव हो तो जीपीएस सिस्टम लगना जरूरी है। लेकिन वाहनों में सुरक्षा के इंतजामों की अनदेखी हो रही है। पुलिस भी वाहन चोरी तो दर्ज करती है, लेकिन तत्काल चोरों की घेराबंदी गंभीरता से नहीं होती है। पुलिस कंट्रोल चोरी गए वाहन का नंबर जरूर वायरलैस पर प्रसारित करता है, लेकिन थाना स्तर पर उस वाहन की तलाश में ढील ही रहती है। बल्कि वाहन मालिक से ही कहा जाता है रेलवे स्टेशन, अस्पताल बस स्टैंड के अलावा पार्किंग में झांक आओ, हो सकता है गाड़ी वहां खड़ी हो। क्योंकि ज्यादातर चोर गाड़ी उठाकर तुरंत शहर में नहीं घूमते, ऐसी जगह पर ही टिकाते हैं। लेकिन इन ठिकानों पर पुलिस की ही रुटीन निगरानी नहीं है।
वाहन चोरी की वारदाते बढ़ने के पीछे वाहन मालिकों की लापरवाही भी है। चोरी रोकने के लिए गाड़ी में व्हील लॉक और संभव हो तो जीपीएस सिस्टम लगना जरूरी है। लेकिन वाहनों में सुरक्षा के इंतजामों की अनदेखी हो रही है। पुलिस भी वाहन चोरी तो दर्ज करती है, लेकिन तत्काल चोरों की घेराबंदी गंभीरता से नहीं होती है। पुलिस कंट्रोल चोरी गए वाहन का नंबर जरूर वायरलैस पर प्रसारित करता है, लेकिन थाना स्तर पर उस वाहन की तलाश में ढील ही रहती है। बल्कि वाहन मालिक से ही कहा जाता है रेलवे स्टेशन, अस्पताल बस स्टैंड के अलावा पार्किंग में झांक आओ, हो सकता है गाड़ी वहां खड़ी हो। क्योंकि ज्यादातर चोर गाड़ी उठाकर तुरंत शहर में नहीं घूमते, ऐसी जगह पर ही टिकाते हैं। लेकिन इन ठिकानों पर पुलिस की ही रुटीन निगरानी नहीं है।
रोज तीन वाहन चोरी
पिछले 34 दिन में शहर और देहात में 88 गाड़ियां चोरी हुई हैं। सबसे ज्यादा पडाव क्षेत्र से गाड़ियां चोरी हुई हैं, दूसरे नंबर पर महाराजपुरा क्षेत्र है। गाड़ी चोर रोज करीब 3 वाहन चोरी कर रहे हैं। पिछले 34 दिन में 83 दोपहिया, दो ट्रैक्टर, दो टमटम और एक कार चोरी गई है। पुलिस रिकॉर्ड में इनकी कीमत करीब 13 लाख रुपए है। इनमें एक तिहाई से ज्यादा गाड़ियां दोपहर से शाम के वक्त और भीड़ वाले इलाकों से चोरी हुई हैं। जाहिर है चोर निडर हैं। जबकि शहर की लगभग हर सड़क सीसीटीवी की निगरानी में है। उसके बावजूद पुलिस वाहन चोरी की घटनाओं में लगभग खाली हाथ है।
पिछले 34 दिन में शहर और देहात में 88 गाड़ियां चोरी हुई हैं। सबसे ज्यादा पडाव क्षेत्र से गाड़ियां चोरी हुई हैं, दूसरे नंबर पर महाराजपुरा क्षेत्र है। गाड़ी चोर रोज करीब 3 वाहन चोरी कर रहे हैं। पिछले 34 दिन में 83 दोपहिया, दो ट्रैक्टर, दो टमटम और एक कार चोरी गई है। पुलिस रिकॉर्ड में इनकी कीमत करीब 13 लाख रुपए है। इनमें एक तिहाई से ज्यादा गाड़ियां दोपहर से शाम के वक्त और भीड़ वाले इलाकों से चोरी हुई हैं। जाहिर है चोर निडर हैं। जबकि शहर की लगभग हर सड़क सीसीटीवी की निगरानी में है। उसके बावजूद पुलिस वाहन चोरी की घटनाओं में लगभग खाली हाथ है।
पड़ाव 13 , महाराजपुरा 10, कंपू 07 , डबरा 07, बहोड़ापुर 05, इंदरगंज 05,
विश्वविद्यालय 05, मुरार 06 , थाटीपुर 05 , पुरानी छावनी 05, गिरवाई 03 जनकगंज 03, झांसी रोड 03 , डबरा 06, पनिहार 01, आंतरी 01, भितरवार 01,
तिघरा 01
विश्वविद्यालय 05, मुरार 06 , थाटीपुर 05 , पुरानी छावनी 05, गिरवाई 03 जनकगंज 03, झांसी रोड 03 , डबरा 06, पनिहार 01, आंतरी 01, भितरवार 01,
तिघरा 01