मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं यूक्रेन
यूक्रेन और उसके पास के कुछ देशों में मेडिकल कोर्स चलाने वाले संस्थानों की संख्या काफी अधिक है। वहां चयन भी सरलता से हो जाता है। इसके अलावा यह भारत की तुलना में सस्ता भी पड़ता है, इसलिए छात्र वहां जाते हैं। वहां से डिग्री लेकर आने के बाद भी छात्रों को भारत में एक परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद वे भारत में प्रेक्टिस कर सकते हैं।
यूक्रेन और उसके पास के कुछ देशों में मेडिकल कोर्स चलाने वाले संस्थानों की संख्या काफी अधिक है। वहां चयन भी सरलता से हो जाता है। इसके अलावा यह भारत की तुलना में सस्ता भी पड़ता है, इसलिए छात्र वहां जाते हैं। वहां से डिग्री लेकर आने के बाद भी छात्रों को भारत में एक परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद वे भारत में प्रेक्टिस कर सकते हैं।
यूनिवर्सिटी कर रही पूरा सपोर्ट
यहां ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे डरा जाए, इसलिए मेरा घर जाने का मन बिलकुल भी नहीं है। हमारी यूनिवर्सिटी पूरा सपोर्ट कर रही है। यूनिवर्सिटी ने यह भी बोला है कि यदि आप जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं और री वर्क के लिए किसी तरह का कोई चार्ज भी नहीं किया जाएगा। री वर्क को ऑनलाइन इंडिया में ही करा देंगे। पहले मेरी मम्मी ने वापस इंडिया आने के लिए कहा था पर बाद में मैंने उन्हें समझाया तो वह मान गईं और अपनी स्टडी पर फोकस करने के लिए कह दिया। यहां सबकुछ पहले जैसा ही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से लेकर सबकुछ चल रहा है, दामों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
- शीतल अंतिमा गुप्ता, ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
यहां ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे डरा जाए, इसलिए मेरा घर जाने का मन बिलकुल भी नहीं है। हमारी यूनिवर्सिटी पूरा सपोर्ट कर रही है। यूनिवर्सिटी ने यह भी बोला है कि यदि आप जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं और री वर्क के लिए किसी तरह का कोई चार्ज भी नहीं किया जाएगा। री वर्क को ऑनलाइन इंडिया में ही करा देंगे। पहले मेरी मम्मी ने वापस इंडिया आने के लिए कहा था पर बाद में मैंने उन्हें समझाया तो वह मान गईं और अपनी स्टडी पर फोकस करने के लिए कह दिया। यहां सबकुछ पहले जैसा ही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से लेकर सबकुछ चल रहा है, दामों में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
- शीतल अंतिमा गुप्ता, ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
सिर्फ 15 दिन के लिए जाउंगा
परिजनों के कहने पर शुक्रवार को इंडिया के लिए रवाना हो रहा हूं, लेकिन सिर्फ 15 दिन के लिए इंडिया जाउंगा। मेरा यहां से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। सिर्फ घरवालों के टेंशन के कारण कुछ दिन के लिए जाना पड़ रहा है। यहां पर डरने जैसा कुछ भी नहीं है। यूनिवर्सिटी के डीन ने भी हमें कहा है कि किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। लोग यहां पहले की तरह खा-पी रहे हैं, पार्टियां कर रहे हैं। कोविड-19 के चलते पहले जैसा माहौल था, वैसा भी नहीं है।
- अभि मल्होत्रा, चंडीगढ़ (पंजाब)
परिजनों के कहने पर शुक्रवार को इंडिया के लिए रवाना हो रहा हूं, लेकिन सिर्फ 15 दिन के लिए इंडिया जाउंगा। मेरा यहां से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। सिर्फ घरवालों के टेंशन के कारण कुछ दिन के लिए जाना पड़ रहा है। यहां पर डरने जैसा कुछ भी नहीं है। यूनिवर्सिटी के डीन ने भी हमें कहा है कि किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। लोग यहां पहले की तरह खा-पी रहे हैं, पार्टियां कर रहे हैं। कोविड-19 के चलते पहले जैसा माहौल था, वैसा भी नहीं है।
- अभि मल्होत्रा, चंडीगढ़ (पंजाब)
90 फीसदी बच्चे वापस नहीं जाना चाहते हैं
पहले और अब के माहौल में कोई अंतर नहीं है। हम सारे छात्र जब यू-ट्यूब पर न्यूज सुन रहे हैं, तो हंस रहे हैं। यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। सबकुछ पहले जैसा सामान्य है। हमारी क्लासेस रोज की तरह ही ऑफलाइन लग रही हैं। हालांकि परिजन और दोस्त बार-बार फोन करके यहां के हालातों के बारे में पता कर रहे हैं। मैं तो अभी भारत नहीं जाउंगा, 90 फीसदी बच्चे वापस नहीं चाहते हैं। सिर्फ घरवालों के डर के कारण वापस जा रहे हैं।
- हर सिमरन सिंह, दिल्ली
पहले और अब के माहौल में कोई अंतर नहीं है। हम सारे छात्र जब यू-ट्यूब पर न्यूज सुन रहे हैं, तो हंस रहे हैं। यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। सबकुछ पहले जैसा सामान्य है। हमारी क्लासेस रोज की तरह ही ऑफलाइन लग रही हैं। हालांकि परिजन और दोस्त बार-बार फोन करके यहां के हालातों के बारे में पता कर रहे हैं। मैं तो अभी भारत नहीं जाउंगा, 90 फीसदी बच्चे वापस नहीं चाहते हैं। सिर्फ घरवालों के डर के कारण वापस जा रहे हैं।
- हर सिमरन सिंह, दिल्ली
ऑफलाइन ही हो रहीं क्लासेस
ऐसा बताया गया था कि यहां अमेरिकन सैनिकों का दल आ चुका है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। जो कुछ भी है यूक्रेन के बाहर पोलेंड के आसपास ही है। लोगों को घर पर रहने के लिए भी नहीं बोला गया है। सभी क्लासेस भी ऑफलाइन ही हो रही हैं। हम रोजाना की तरह पढ़ाई, शॉपिंग आदि काम कर रहे हैं। रोजाना यूनिवर्सिटी सभी छात्रों को इ-मेल से हालातों के बारे में अपडेट कर रही है। यदि हालात गड़बड़ होते हैं तो यहां से तुरंत भेजने की व्यवस्था भी की गई है। मैं तो 15 दिन पहले ही इंडिया से आया हूं, अभी रोजाना माता-पिता से बात करके उन्हें यहां के बारे में बताता हूं।
- अब्दुल कादिर खान, भीलवाड़ा (राजस्थान)
ऐसा बताया गया था कि यहां अमेरिकन सैनिकों का दल आ चुका है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। जो कुछ भी है यूक्रेन के बाहर पोलेंड के आसपास ही है। लोगों को घर पर रहने के लिए भी नहीं बोला गया है। सभी क्लासेस भी ऑफलाइन ही हो रही हैं। हम रोजाना की तरह पढ़ाई, शॉपिंग आदि काम कर रहे हैं। रोजाना यूनिवर्सिटी सभी छात्रों को इ-मेल से हालातों के बारे में अपडेट कर रही है। यदि हालात गड़बड़ होते हैं तो यहां से तुरंत भेजने की व्यवस्था भी की गई है। मैं तो 15 दिन पहले ही इंडिया से आया हूं, अभी रोजाना माता-पिता से बात करके उन्हें यहां के बारे में बताता हूं।
- अब्दुल कादिर खान, भीलवाड़ा (राजस्थान)
बुधवार को यूनिटी डे मनाया था
मैं यूके्रन में पिछले चार साल से हूं। यहां के हालात आम जनता के हिसाब से बिल्कुल सामान्य है। बुधवार को यहां यूनिटी डे मनाया गया, इसमें सभी लोगों ने सार्वजनिक रूप से नेशनल एंथम गाया। इंडिया में परिजन जरूर चिंतित हैं, पर उन्हें समझा देता हूं कि यहां इंडिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया, अफ्रीका, सीरिया, नेपाल आदि जगहों के करीब एक लाख बच्चे मौजूद हैं। दो दिन पहले सायबर अटैक के बाद बैंकों में कामकाज कुछ समय के बंद रहा था पर अभी सामान्य है।
- मनु चहल, कुरुक्षेत्र, (हरियाणा)
मैं यूके्रन में पिछले चार साल से हूं। यहां के हालात आम जनता के हिसाब से बिल्कुल सामान्य है। बुधवार को यहां यूनिटी डे मनाया गया, इसमें सभी लोगों ने सार्वजनिक रूप से नेशनल एंथम गाया। इंडिया में परिजन जरूर चिंतित हैं, पर उन्हें समझा देता हूं कि यहां इंडिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया, अफ्रीका, सीरिया, नेपाल आदि जगहों के करीब एक लाख बच्चे मौजूद हैं। दो दिन पहले सायबर अटैक के बाद बैंकों में कामकाज कुछ समय के बंद रहा था पर अभी सामान्य है।
- मनु चहल, कुरुक्षेत्र, (हरियाणा)