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सीबीआइ और पुलिस के बीच फुटबॉल बने यह केस, नहीं ले रहा कोई जिम्मेदारी

यूनियन बैंक की सराफा बाजार शाखा में ग्राहकों के खातों से हेरफेर का सिलसिला थमा नहीं है। तीन महीने बाद भी तय नहीं हुआ है कि मामले की जांच पुलिस करेगी या सीबीआइ। इस बीच...

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सीबीआइ और पुलिस के बीच फुटबॉल बने यह केस, नहीं ले रहा कोई जिम्मेदारी

ग्वालियर. यूनियन बैंक की सराफा बाजार शाखा में ग्राहकों के खातों से हेरफेर का सिलसिला थमा नहीं है। तीन महीने बाद भी तय नहीं हुआ है कि मामले की जांच पुलिस करेगी या सीबीआइ। इस बीच पुलिस के सामने डेढ़ करोड़ की हेराफेरी की एक और शिकायत आई है।
पुलिस के मुताबिक ठगी का शिकार बैंक ग्राहकों की गिनती कम नहीं हुई है। अब टोंटा की बजरिया निवासी बलवीर सिंह और उनकी पत्नी रजवंत कौर ने ओडी और बचत खाते से करीब 1.50 करोड़ की ठगी की शिकायत की है। दंपति का कहना है यूनियन बैंक में उनका ओडी और बचत खाता है। उन्हें बताए बिना बैंक अधिकारियों ने खातों में जमा करीब डेढ़ करोड़ की रकम को खुदबुर्द किया है। उनके साथ फरेब 2016-17 में हुआ है। जब खाते का स्टेटमेंट चैक किया तो फर्जीवाड़े का पता चला। लेकिन पुलिस शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रही है। उधर पुलिस की दलील है बैंक में हेरफेर का आकंड़ा ३० करोड़ से ज्यादा का है और उसे सीमित दायरे तक जांच का अधिकार है। बड़े फ्रॉड की जांच सीबीआइ करती है। उसे केस इंवेस्टीगेशन के लिए खत लिखा जा चुका है।


सीबीआइ के जवाब का इंतजार, कार्रवाई करेंगे
कोतवाली टीआइ दामोदर गुप्ता ने कहा, फ्रॉड की रकम करोड़ो में होने की वजह से जांच का अधिकार सीबीआइ को है। इसलिए केस ट्रांसफर करने के लिए खत लिखा गया था लेकिन करीब तीन महीने से ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी जांच एजेंसी ने कोई जवाब नहीं दिया है। बैंक में फ्रॉड के कई आवेदन और हैं। उनकी जांच की जा रही है। जल्द ही कार्रवाई होगी।


यह है मामला
यूनियन बैंक में ग्राहकों के खातों से फरेब हो रहा है जनजातीय विभाग ने गोरखधंधा पकड़ा था। विभाग के तीन खाते भी यूनियन बैंक में है। उनके जरिए छात्रों को स्कॉलरशिप बांटी जाती थी। इन खातों में करीब 34 लाख 27 हजार 555 रु जमा थे। विभाग ने जब तीनों खातों का स्टेटमेंट निकाला तो पता चला कि बैंक ने बिना रजामंदी के खातों में जमा रकम को चंद्रभान गुर्जर, श्री सांंई साडी और लवलेश बंसल के खातों में ट्रांसफर किया है। विभाग के लेखापाल ओमप्रकाश शर्मा की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने बैंक स्टाफ पर केस दर्ज कर पड़ताल की तो पता चला कि ग्राहकों के खाते से चोरी छिपे ऑन लाइन पैसा शराब माफियाओं और ठेकेदारों के खातों में भेजा जाता है। यह धंधा बैंक का असस्टिेंट मैनेजर हिंमाशु चलाता था। उसे बैंक में साइलेंट एकाउंट की जानकारी थी। ऐसे कई खातों से करीब 30 करोड से ज्यादा की हरकत का हेरफेर किया था।