रियासत काल से स्वर्ण रेखा शहर को जीवन देने वाली मानी जाती रही है। यह शहर की पानी की जरूरत को पूरा करती थी। नदी में पानी रहने पर आसपास के कुएं, बावड़ी और नलकूपों का वाटर लेवल स्थिर रहता था, लेकिन नेता और अफसरों के गठजोड़ ने इस नदी को कीचड़ से भरी गंदी और बदबूदार जगह में तब्दील कर दिया है।
नदी अगर दोबारा से जीवित हो जाती तो वाटर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता था, इसे पक्का करने से शहर का जल स्तर नीचे चला गया। वर्ष 2009 से पहले स्वर्ण रेखा को सिंचाई विभाग द्वारा पक्का किया गया। आसपास की दीवारों के साथ सरफेस भी पक्का किए जाने से पानी जमीन में बैठना बंद हो गया। बारिश का पानी व्यर्थ बहकर शहर से बाहर चले जाने से जल स्तर नीचे चला गया।
पीएचई ने शहर के सीवर को बाहर ले जाने के लिए स्वर्ण रेखा के नीचे सीवर लाइन बनाई है, लेकिन सीवर लाइन से गंदगी लगातार नदी में जा रही है। नदी में बने सीवर के चेंबर से गंदगी निकलती हुई साफ देखी जा सकती है।
ं-पांच वर्ष पूर्व स्वर्ण रेखा नदी में हनुमान बांध से शर्मा फार्म तक 13 किमी के क्षेत्र में साफ पानी बहाने और नाव चलाने की कवायद हो चुकी है।
-फूलबाग बारादरी से लक्ष्मीबाई समाधि के पास बने पुल तक नाव चलाने की योजना बनी, कुछ दिन चली, बाद में गंदा पानी आने से बंद हो गई।
-रानी लक्ष्मीबाई प्रतिमा स्थल के नजदीक पुल से रानीपुरा तक नदी किनारे सडक़ बनाने की योजना लंबित है।
-हाल ही में स्वर्ण रेखा नदी के उद्गम स्थल हनुमान बांध से चार शहर का नाका तक 13 किलोमीटर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाने की योजना बनी, वह भी एकाध जगह छोडकऱ कहीं अमल में नहीं आ पाई है।
-नदी के सीमेंटीकरण व दोनों ओर बाउंड्रीवॉल के लिए वर्ष 2000 में केन्द्र सरकार ने 46 करोड़ की योजना मंजूर की थी, बाद में इस पर 38 करोड़ और खर्च किए।
– स्वर्ण रेखा को रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना के तहत विकसित किया जाएगा।
-नदी के दोनों किनारों पर लैंड स्केपिंग व बगीचे विकसित कर स्मार्ट लाइट लगवाई जाएगी।-तली में बिछी सीवर लाइन के पानी को विशेष तकनीकी से साफ कर उपयोगी बनाया जाएगा।
– डेढ़ किमी के हिस्से में साफ पानी भरा जाएगा।-सीवर के पानी के ट्रीटमेंट के साथ गैस भी बनाई जाएगी।
-किनारों पर सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाएंगे।
– नगर निगम कमिश्नर विनोद शर्मा- प्रोजेक्ट प्रभारी शिशिर श्रीवास्तव जल्द चलाएंगे नाव
-जल विहार में जो एसटीपी प्लांट लगाया गया है, उससे प्रतिदिन तीन लाख लीटर पानी स्वर्ण रेखा नदी में छोड़ा जा रहा है। जल संसाधन विभाग ने यहां काम कराए थे, हमने तो बहुत कम पैसे खर्च किए हैं। जल्द ही हम यहां नाव चलाएंगे। गंदगी तो फूलबाग की आ रही है, जो जल्द साफ करा देंगे।
एसटीपी प्लांट से जो तीन लाख लीटर पानी छोडऩे का दावा किया जा रहा है वो हवा-हवाई है। इसमें पानी के हिसाब के लिए बल्क मीटर लगना चाहिए था। इस प्लांट को लगाने और स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण में भ्रष्टाचार हुआ है, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम