script

रोज छोड़ा जा रहा तीन लाख लीटर साफ पानी, फिर भी सूखी है स्वर्ण रेखा

locationग्वालियरPublished: Feb 09, 2019 07:35:55 pm

Submitted by:

Rahul rai

अफसर दावा कर रहे हैं कि जल विहार में डेढ़ करोड़ की लागत से लगाए गए एसटीपी प्लांट (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट)से प्रतिदिन तीन लाख लीटर पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, लेकिन यह पानी स्वर्ण रेखा में कहीं नजर नहीं आ रहा है

swarn rekha

रोज छोड़ा जा रहा तीन लाख लीटर साफ पानी, फिर भी सूखी है स्वर्ण रेखा

ग्वालियर। स्वर्ण रेखा नदी को लंदन की टेम्स नदी की तर्ज पर विकसित कर नाव चलाने का सपना दिखाने वाले अफसर इसमें साफ पानी भी नहीं बहा सके हैं। नगर निगम के अफसर दावा कर रहे हैं कि जल विहार में डेढ़ करोड़ की लागत से लगाए गए एसटीपी प्लांट (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट)से प्रतिदिन तीन लाख लीटर पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, लेकिन यह पानी स्वर्ण रेखा में कहीं नजर नहीं आ रहा है। करीब दस दिन पहले जब पानी छोड़ा गया तो इसमें फूलबाग की तरफ नदी में जमा गंदगी पानी में आ गई, जिससे साफ पानी भी गंदा हो गया, लेकिन उसके बाद प्रतिदिन छोड़ा जा रहा पानी कहां जा रहा है पता नहीं चल रहा है।
नदी में पानी नहीं होने से काफी समय से बोट क्लब भी बंद है, वहीं लाखों रुपए खर्च कर बनाया गया एक्वेरियम भी दम तोड़ गया है। साथ ही नदी से न तो अतिक्रमण हट पाए, न पिकनिक स्पॉट बनाया जा सका। इसके दोनों किनारों पर सर्विस रोड बननी थी, वह भी नहीं बन पाई। ढाई दशक से स्वर्ण रेखा का सौंदर्यीकरण करने के लिए प्रोजेक्ट बन रहे हैं और 80 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और फैक्टरियों की गंदगी अब भी नदी में घुल रही है, जिससे यह प्रदूषित नाला बनकर रह गई है। इसमें लश्कर और ग्वालियर क्षेत्र के 450 से अधिक छोटे-बड़े नालों की गंदगी समा रही है।
बन सकती है जीवन दायिनी
रियासत काल से स्वर्ण रेखा शहर को जीवन देने वाली मानी जाती रही है। यह शहर की पानी की जरूरत को पूरा करती थी। नदी में पानी रहने पर आसपास के कुएं, बावड़ी और नलकूपों का वाटर लेवल स्थिर रहता था, लेकिन नेता और अफसरों के गठजोड़ ने इस नदी को कीचड़ से भरी गंदी और बदबूदार जगह में तब्दील कर दिया है।
नदी को पक्का करने से वाटर लेवल नीचे गया
नदी अगर दोबारा से जीवित हो जाती तो वाटर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता था, इसे पक्का करने से शहर का जल स्तर नीचे चला गया। वर्ष 2009 से पहले स्वर्ण रेखा को सिंचाई विभाग द्वारा पक्का किया गया। आसपास की दीवारों के साथ सरफेस भी पक्का किए जाने से पानी जमीन में बैठना बंद हो गया। बारिश का पानी व्यर्थ बहकर शहर से बाहर चले जाने से जल स्तर नीचे चला गया।
सीवर की गंदगी घुल रही
पीएचई ने शहर के सीवर को बाहर ले जाने के लिए स्वर्ण रेखा के नीचे सीवर लाइन बनाई है, लेकिन सीवर लाइन से गंदगी लगातार नदी में जा रही है। नदी में बने सीवर के चेंबर से गंदगी निकलती हुई साफ देखी जा सकती है।
यह बनीं योजनाए
ं-पांच वर्ष पूर्व स्वर्ण रेखा नदी में हनुमान बांध से शर्मा फार्म तक 13 किमी के क्षेत्र में साफ पानी बहाने और नाव चलाने की कवायद हो चुकी है।
-फूलबाग बारादरी से लक्ष्मीबाई समाधि के पास बने पुल तक नाव चलाने की योजना बनी, कुछ दिन चली, बाद में गंदा पानी आने से बंद हो गई।
-रानी लक्ष्मीबाई प्रतिमा स्थल के नजदीक पुल से रानीपुरा तक नदी किनारे सडक़ बनाने की योजना लंबित है।
-हाल ही में स्वर्ण रेखा नदी के उद्गम स्थल हनुमान बांध से चार शहर का नाका तक 13 किलोमीटर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाने की योजना बनी, वह भी एकाध जगह छोडकऱ कहीं अमल में नहीं आ पाई है।
-नदी के सीमेंटीकरण व दोनों ओर बाउंड्रीवॉल के लिए वर्ष 2000 में केन्द्र सरकार ने 46 करोड़ की योजना मंजूर की थी, बाद में इस पर 38 करोड़ और खर्च किए।
यह दिखाए सपने
– स्वर्ण रेखा को रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना के तहत विकसित किया जाएगा।
-नदी के दोनों किनारों पर लैंड स्केपिंग व बगीचे विकसित कर स्मार्ट लाइट लगवाई जाएगी।-तली में बिछी सीवर लाइन के पानी को विशेष तकनीकी से साफ कर उपयोगी बनाया जाएगा।
– डेढ़ किमी के हिस्से में साफ पानी भरा जाएगा।-सीवर के पानी के ट्रीटमेंट के साथ गैस भी बनाई जाएगी।
-किनारों पर सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाएंगे।
यह हैं जिम्मेदार अधिकारी
– नगर निगम कमिश्नर विनोद शर्मा- प्रोजेक्ट प्रभारी शिशिर श्रीवास्तव

जल्द चलाएंगे नाव
-जल विहार में जो एसटीपी प्लांट लगाया गया है, उससे प्रतिदिन तीन लाख लीटर पानी स्वर्ण रेखा नदी में छोड़ा जा रहा है। जल संसाधन विभाग ने यहां काम कराए थे, हमने तो बहुत कम पैसे खर्च किए हैं। जल्द ही हम यहां नाव चलाएंगे। गंदगी तो फूलबाग की आ रही है, जो जल्द साफ करा देंगे।
शिशिर श्रीवास्तव प्रोजेक्ट प्रभारी

दावा हवा-हवाई
एसटीपी प्लांट से जो तीन लाख लीटर पानी छोडऩे का दावा किया जा रहा है वो हवा-हवाई है। इसमें पानी के हिसाब के लिए बल्क मीटर लगना चाहिए था। इस प्लांट को लगाने और स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण में भ्रष्टाचार हुआ है, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम

ट्रेंडिंग वीडियो