ग्वालियर

तीन गांव में 6 साल से नहीं बिकी जमीनें, यहां वास्तविक कीमत 2 लाख रुपए बीघा और सरकारी 40 लाख रुपए

2012 के बाद से इन क्षेत्रों में जमीन की वास्तविक कीमत से ज्यादा रजिस्ट्री का खर्च होने से लोग जमीन खरीदने से बच रहे हैं। लोंडरा और शालूपुरा में जमीन की वास्तविक कीमत 2 लाख रुपए प्रति बीघा है, जबकि गाइडलाइन में दर लगभग 40 लाख रुपए है। जारगा में जमीन 7 लाख रुपए प्रति बीघा है और गाइडलाइन लगभग 6 गुना ज्यादा है।

ग्वालियरJun 17, 2019 / 01:19 am

Rahul rai

तीन गांव में 6 साल से नहीं बिकी जमीनें, यहां वास्तविक कीमत 2 लाख रुपए बीघा और सरकारी 40 लाख रुपए

ग्वालियर। वर्ष 2011 में अप्रत्याशित रूप से दरें बढ़ाए जाने के बाद लागू की गई कलेक्टर गाइडलाइन में कृषि भूमि की दरों में असमानता होने से नगर निगम सीमा के जारगा, लोंडरा और शालूपुरा गांवों में 6 साल से जमीनों की खरीद-फरोख्त लगभग बंद है। 2012 के बाद से इन क्षेत्रों में जमीन की वास्तविक कीमत से ज्यादा रजिस्ट्री का खर्च होने से लोग जमीन खरीदने से बच रहे हैं। लोंडरा और शालूपुरा में जमीन की वास्तविक कीमत 2 लाख रुपए प्रति बीघा है, जबकि गाइडलाइन में दर लगभग 40 लाख रुपए है। जारगा में जमीन 7 लाख रुपए प्रति बीघा है और गाइडलाइन लगभग 6 गुना ज्यादा है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में पहले, दूसरे और तीसरे तल की पंजीयन दर में असमानता होने से चैंबर ऑफ कॉमर्स आपत्ति जता चुका है। जबकि छावनी क्षेत्र के लिए भी संपदा सॉफ्टवेयर में नगर निगम का शुल्क फीड होने से यहां आवासीय या वाणिज्यिक भूखंड या निर्मित भवन खरीदने पर 3 प्रतिशत ज्यादा शुल्क खरीदार को देना पड़ रहा है।
शहर की जमीनों की दरों के निर्धारण के लिए 2019-20 की कलेक्टर गाइडलाइन को लागू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं, लेकिन नई गाइडलाइन के लिए प्रस्तावित दरों में विसंगति होने से चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं अन्य आपत्तिकर्ताओं ने सुधार की मांग की है।
 

जंगल में मौजूद गांवों में खरीदार इसलिए नहीं पहुंच रहे हैं, क्योंकि जमीन की वास्तविक कीमत से ज्यादा रजिस्ट्री खर्च आ रहा है। बता दें कि नई दरें लागू करने से पहले विभाग ने गाइडलाइन के उपबंध लागू कर दिए हैं। गाइडलाइन की दर तय होने से पहले विसंगतियां दूर नहीं की गईं तो पंजीयन विभाग द्वारा शहर की दरों में सरलीकरण करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी सीमांत क्षेत्रों में दस्तावेजों के पंजीयन में वृद्धि नहीं हो सकेगी।

यहां दरें बताई जा रहीं सही

-नई गाइडलाइन में सिरोल गांव और पॉश एरिया के रूप में विकसित हो रही कॉस्मो आनंदा कॉलोनी, सत्यम ग्रीन में गाइडलाइन बढ़ जाएगी। अभी यहां 11 हजार रुपए वर्गमीटर थी, जबकि नई गाइडलाइन लागू होते ही 13 हजार प्रति वर्गमीटर हो जाएगी। यहां जमीन की वास्तविक कीमत के हिसाब से गांव की रेट से ज्यादा बढ़ाकर अलग से दर तय कर दी जाएगी।
-मुरार के सभी संतरों को व्यावसायिक मानकर दरों को आवासीय की बजाय व्यावसायिक किया गया है।
-मुरार क्षेत्र में स्थित छावनी परिषद की जमीनों की दर लगभग एक समान रखकर 10 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर रखी गई थी, इसे बढ़ाकर मिनिमम 11 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर किया गया है।


ऐसे समझें संपदा की त्रुटि
-छावनी क्षेत्र में एक हजार पचास वर्गफीट (लगभग 100 वर्गमीटर) भूमि की रजिस्ट्री कराने पर वर्तमान दर 10 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर है। इस हिसाब से जमीन की कीमत 10 लाख रुपए होती है। नई दर लागू होने पर इसमें 1 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से दर में और बढ़ोतरी हो जाएगी। नई दर के हिसाब से भूमि की कीमत 11 लाख रुपए हो जाएगी।
-प्लॉट पर 10.3 प्रतिशत शुल्क लगेगा। इसमें 5 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी, 3 प्रतिशत नगर निगम ड्यूटी और 1 प्रतिशत जनपद शुल्क और .5 प्रतिशत उपकर शामिल है।
-छावनी क्षेत्र को नगर निगम सीमा में दर्ज किए जाने से 11 लाख रुपए की रजिस्ट्री कराने पर 1 लाख 14 हजार रुपए खर्च आएगा।
-अगर संपदा में यह क्षेत्र छावनी परिषद के नाम से दर्ज होता तो खरीदारों को तीन प्रतिशत ज्यादा नहीं देना पड़ता। अभी यहां पंजीयन कराने पर लगभग 33 हजार रुपए ज्यादा देने पड़ रहे हैं।
-छावनी क्षेत्र के दस्तावेज की एंट्री करने पर सॉफ्टवेयर अपने आप मुद्रांक शुल्क नगर निगम के हिसाब से ले रहा है। जबकि यह क्षेत्र अलग है और नगर निगम शुल्क नहीं लगना चाहिए।


यहां बिक रहीं सबसे ज्यादा जमीनें
-वैध आवासीय क्षेत्रों में दस्तावेज पंजीयन सबसे ज्यादा सिरोल और डोंगरपुर में हो रहे हैं। सिरोल में दर 11 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर और डोंगरपुर में 12 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर है।
-आवासीय क्षेत्र खुरैरी और बड़ागांव में भी विकसित हो रहा है, लेकिन यहां ज्यादातर कॉलोनियां अवैध रूप से विकसित की जा रही हैं। खुरैरी में जहां दर 6 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर है, वहीं बड़ागांव में 7 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से प्लॉट की बिक्री हो रही है।
-महाराजपुरा, जड़ेरुआ क्षेत्र में भी आवासीय क्षेत्र विकसित हो रहा है, लेकिन यहां लगभग सभी जगह अवैध विकास हो रहा है। जड़ेरुआ में 11 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर और महाराजपुरा में 11 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर है।
-सभी बिंदुओं के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश मुख्यालय भेजने के लिए वरिष्ठ जिला पंजीयक को निर्देश दिए हैं। अब प्रदेश स्तर से जो निर्देश आएंगे, उनके आधार पर काम करेंगे।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर
 

-छावनी क्षेत्र नगर निगम सीमा में नहीं है, इसके बावजूद संपदा सॉफ्टवेयर में त्रुटि के कारण इसे निगम में शामिल किया गया है, जिसकी वजह से क्रेता को अतिरिक्त 3 नगर निगम शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है। इसे सॉफ्टवेयर में सही किया जाना चाहिए, ताकि क्रेता को लाभ मिल सके। शहर के दूरस्थ गांव जो नगर निगम में शामिल किए गए हैं, उनकी वास्तविक दर वर्तमान दर से 10 गुना कम है, जिससे यहां खरीद-फरोख्त लगभग बंद है।
राघवेन्द्र शर्मा, एडवोकेट
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