अपर सत्र न्यायाधीश अमर गोयल ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी पूजा के खिलाफ यह प्रमाणित पाया गया है कि उसने रेलवे विभाग में कार्यरत रहते हुए रेलवे को तथा भारत सरकार को हानि पहुंचाने की नीयत से बुकिंग विंडो से फर्जी टिकट बेचने का कार्य किया है। आरोपी का यह कार्य अत्यंत गंभीर प्रकृति का है। इसलिए प्रकरण की सभी परिस्थितियों को देखते हुए उसे परीवीक्षा का लाभ देने से इंकार कर दिया। पूजा को धारा 467 में तीन साल तथा 468 में तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। एक अन्य आरोपी अमित शर्मा को आरोप प्रमाणित नहीं होने पर दोषमुक्त कर दिया।
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शिकायत पर पर की थी छापामारी
अतिरिक्त लोक अभियोजक कुलदीप दुबे ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि 3 मार्च 2013 को फरियादी योगेन्द्र कुमार मीना मुख्य बुकिंग पर्यवेक्षक उत्तर मध्य रेलवे ने दोपहर 12.34 बजे रेलवे स्टेशन ग्वालियर में टिकट वितरण की जाने वाली खिड़कियों का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान खिडक़ी नंबर दो पर कार्यरत रेल कर्मचारी आरोपी पूजा शर्मा आरएसी को पूर्व में संदेह के आधार पर सीबीएस (एस) डीसीआई ग्वालियर क्षमा चतुर्वेदी द्वारा उसका कैश करने पर 22,830 रुपए काउंटर पर पाए गए, जिसमें 976 रुपए कैश कम थे। चतुर्वेदी ने जब पूजा का बैग चैक किया तो उसके बैग में रखे चश्मे के कवर में 10 टिकट ग्वालियर से दिल्ली के पाये गए। पूजा ने उक्त टिकट एंटर मारने पर त्रुटिवश निकलना प्रकट किया।
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उपरोक्त टिकटों की जांच की गई तो ये टिकट फर्जी पाए गए। इन टिकटों की सीरिज उनके यहां की नहीं थी। टिकटों पर यूटीएस नंबर 11 अंकों के थे जबकि यह नंबर 10 अंक के होते हैं। फरियादी से उक्त टिकटों को कब्जे मेें लेकर आरोपी पूजा शर्मा को अग्रिम कार्यवाही के लिए थाना बड़ी लाइन उत्तर मध्य रेलवे ग्वालियर में भेजा गया। पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद पूजा शर्मा के खिलाफ धारा 420, 467 के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने जांच के दौरान आरोपी अमित शर्मा के खिलाफ भी मामला पाए जाने पर उसे भी गिरफ्तार किया। अनुसंधान के बाद इस मामले में धारा 468, 471 तथा 120 बी और बढ़ाई गई।