डॉ.आरपी शर्मा ने बताया कि 2008 में बजर सिंह इस भूमि को अपनी बताने लगे और तत्कालीन पटवारी, आरआइ से मिलकर उस पर बजर सिंह आदि ने कब्जा कर लिया। इस बीच तत्कालीन तहसीलदार राजा सिंह परिहार ने फर्जी दस्तावेज के जरिए जमीन बजर सिंह के नाम कर दी, जिससे उनका परिवार भूमि हीन हो गया। उनका कहना था कि उनके पिता जेके एण्ड राइफल में सैन्य अधिकारी और आइटीव्ही पुलिस में कमांडेंट थे। 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में लडऩे पर उन्हें मेडल मिले थे, यह कृषि भूमि उन्हें मिली थी। इस जमीन को वापस लेने के लिए 2008 के बाद से लगातार सीएम हेल्प लाइन, तत्कालीन राजस्व मंत्री, संभागीय कमिश्नर आदि को पत्र लिखे, मिले लेकिन उन्हें भूमि वापस नहीं मिल पाई है।