scriptजिसने 1965 और 1971 की जंग में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के आज उसका परिवार न्याय पाने भटक रहा | Today, his family wandered from getting justice in the war of 1965 | Patrika News

जिसने 1965 और 1971 की जंग में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के आज उसका परिवार न्याय पाने भटक रहा

locationग्वालियरPublished: Feb 03, 2019 08:18:50 pm

1965 और 71 के युद्ध में लडकऱ दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले सैनिक को सम्मान में मिली भूमि को वापस पाने के लिए उसकी विधवा पत्नी और पुत्र दर-दर भटक रहे हैं। भूमि पर दूसरे

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जिसने 1965 और 1971 की जंग में दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के आज उसका परिवार न्याय पाने भटक रहा

ग्वालियर. 1965 और 71 के युद्ध में लडकऱ दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले सैनिक को सम्मान में मिली भूमि को वापस पाने के लिए उसकी विधवा पत्नी और पुत्र दर-दर भटक रहे हैं। भूमि पर दूसरे लोगों ने कब्जा कर लिया है और 2008 में एक तहसीलदार से सांठगांठ कर अपने नाम करा ली। इसकी शिकायत सैनिक का पुत्र लगभग दस साल से कर रहा है, लेकिन न तो कोई सैनिक की विधवा की सुन रहा है, न ही पुत्र की। सैनिक के पुत्र डॉ.आरपी शर्मा ने अपनी मां को लेकर पूर्व में मुख्यमंत्री तक शिकायत की, लेकिन न तो संबंधित तहसीलदार पर कार्रवाई हुई, न जमीन वापस मिल पाई। शर्मा ने कहा कि उसके पिता को सैनिक सम्मान में मिली जमीन वापस नहीं मिली तो वह अपनी विधवा मां को साथ में ले जाकर भोपाल में सीएम हाउस पर धरना देगा।
पंचशील नगर में रहने वाले डॉ.आरपी शर्मा के पिता बाबूलाल शर्मा सेना में कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे। उनके सेवानिवृत होने के बाद 1973 में उन्हें तत्कालीन शासन ने शिवपुरी जिले के ग्राम सेवढ़ा में सर्वे नम्बर 204 खसरा नम्बर 178 रकबा 4.3302 भूमि दी थी। 1980 में उन्हें मालिकाना हक भी मिल गया था। 2003 में सैनिक बाबूलाल शर्मा की मृत्यु होने पर भूमि उनकी विधवा पत्नी के नाम हो गई थी। 2008 तक उनके परिजन उस भूमि का लगान देते रहे, बाद में यह भूमि उनके पुत्र डॉ.आरपी शर्मा के नाम हो गई थी।
2008 में किया गया जमीन पर कब्जा
डॉ.आरपी शर्मा ने बताया कि 2008 में बजर सिंह इस भूमि को अपनी बताने लगे और तत्कालीन पटवारी, आरआइ से मिलकर उस पर बजर सिंह आदि ने कब्जा कर लिया। इस बीच तत्कालीन तहसीलदार राजा सिंह परिहार ने फर्जी दस्तावेज के जरिए जमीन बजर सिंह के नाम कर दी, जिससे उनका परिवार भूमि हीन हो गया। उनका कहना था कि उनके पिता जेके एण्ड राइफल में सैन्य अधिकारी और आइटीव्ही पुलिस में कमांडेंट थे। 1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में लडऩे पर उन्हें मेडल मिले थे, यह कृषि भूमि उन्हें मिली थी। इस जमीन को वापस लेने के लिए 2008 के बाद से लगातार सीएम हेल्प लाइन, तत्कालीन राजस्व मंत्री, संभागीय कमिश्नर आदि को पत्र लिखे, मिले लेकिन उन्हें भूमि वापस नहीं मिल पाई है।
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