आशंका जाहिर की, सारा खेल इसमें फंसे आरोपियों का है। पुलिस अधिकारियों से भी पूछा तो जवाब मिला हमने कुछ नहीं किया है। सब ऊपर से हुआ है। व्यापारियों का कहना है यह तो उनके साथ धोखा है। पहले हुंडी दलाल आशीष गुप्ता और उसकी टीम ने ठग लिया, बची कसर जांच एजेंसी बदल कर की। शासन को अगर ठगी को लेकर वाकई गंभीर है तो सीबीआई से जांच कराए।
हुंडी के नाम पर 100 से ज्यादा व्यापारियों का पैसा हड़प गए दलाल आशीष गुप्ता निवासी मैनावली गली से रकम वापसी के लिए जूझ रहे कारोबारी उलझन में हैं उनकी परेशानी केस की जांच सीआईडी को थमाना है। उनका कहना है फरियादी की मांग पर जांच एजेंसी बदली जाती है।
हुंडी के नाम पर 100 से ज्यादा व्यापारियों का पैसा हड़प गए दलाल आशीष गुप्ता निवासी मैनावली गली से रकम वापसी के लिए जूझ रहे कारोबारी उलझन में हैं उनकी परेशानी केस की जांच सीआईडी को थमाना है। उनका कहना है फरियादी की मांग पर जांच एजेंसी बदली जाती है।
इस केस में कारोबारी दिलीप पंजवानी फरियादी हैं। उन्होंने और बाकी ठगे कारोबारियों ने पुलिस से लेकर सीआइडी को सौंपने की मांग नहीं की। उनकी मांग तो शुरू से यही थी हुंडी दलाल आशीष गुप्ता और उसके साथ ठगी में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए।
उनसे पुलिस ठगी की रकम वापस दिलवाए। चेंबर ऑफ कामर्स से भी इसी मांग में मदद मांगी थी। इसलिए बाजार बंद करने की चेतावनी दी थी। शासन ने पुलिस से केस लेकर सीआईडी को क्यों दे दिया। एकतरफा फैसला क्यों किया गया यह तो उन्हें बताया जाए।
रणनीति बनाकर विरोध
कारोबारी दिलीप पंजवानी ने बताया बुधवार रात को पता चला केस सीआईडी को सौंपा गया है। सुनकर कारोबारी सन्न रह गए। यह बदलाव कतई मंजूर नहीं है। उसका विरोध करेंगे। इसके लेकर कारोबारी मीटिंग में रणनीति बनाएंगे। जरूरत पडी तो हाईकोर्ट में शिकायत करेंगे। अदालत को बताएंगे। ठगे गए लोगों से बिना पूछे केस की इंवेस्टीगेशन सीआइडी को क्यों दी गई है।
सीबीआई को सौंपें, राजी है कारोबारी
दिलीप पंजवानी का कहना है शासन व्यापारियों की मदद करना चाहता है। उसकी मंशा पैसा ठगने वालों पर कसावट करना है तो केस की जांच सीबीआई से कराए।
यह है मामला
28 दिसंबर को हुंडी दलाल आशीष गुप्ता कारोबारियों का 70 करोड़ रू लेकर भाग गया था। फिर उसने खुलासा किया हुंडी का पैसा सट्टे में फूंक चुका है। अब उसके पास लौटाने के लिए कुछ नहीं है। उसने डबरा के सटोरिए मोनू गुप्ता, गुना के सटटे बाज आशीष और भोपाल निवासी दिलीप सिंधि के जरिए पैसा सटटे में लगाना बताया। पुलिस आशीष गुप्ता के अलावा दिलीप सिंधि और आशीष जैन को पकड़ लाई। लेकिन इन लोगों से ठगी की रकम बरामद नही कर पाई। कारोबारियों के दवाब पर दलाल आशीष के पिता नत्थूलाल को भी इंदौर से गिरफ्तार किया। अभी सटोरिया मोनू और दलाल अशीष की पत्नी अंकिता फरार हैं। उनकी घेराबंदी से पहले केस की जांच एजेंसी से बदल गई।
रणनीति बनाकर विरोध
कारोबारी दिलीप पंजवानी ने बताया बुधवार रात को पता चला केस सीआईडी को सौंपा गया है। सुनकर कारोबारी सन्न रह गए। यह बदलाव कतई मंजूर नहीं है। उसका विरोध करेंगे। इसके लेकर कारोबारी मीटिंग में रणनीति बनाएंगे। जरूरत पडी तो हाईकोर्ट में शिकायत करेंगे। अदालत को बताएंगे। ठगे गए लोगों से बिना पूछे केस की इंवेस्टीगेशन सीआइडी को क्यों दी गई है।
सीबीआई को सौंपें, राजी है कारोबारी
दिलीप पंजवानी का कहना है शासन व्यापारियों की मदद करना चाहता है। उसकी मंशा पैसा ठगने वालों पर कसावट करना है तो केस की जांच सीबीआई से कराए।
यह है मामला
28 दिसंबर को हुंडी दलाल आशीष गुप्ता कारोबारियों का 70 करोड़ रू लेकर भाग गया था। फिर उसने खुलासा किया हुंडी का पैसा सट्टे में फूंक चुका है। अब उसके पास लौटाने के लिए कुछ नहीं है। उसने डबरा के सटोरिए मोनू गुप्ता, गुना के सटटे बाज आशीष और भोपाल निवासी दिलीप सिंधि के जरिए पैसा सटटे में लगाना बताया। पुलिस आशीष गुप्ता के अलावा दिलीप सिंधि और आशीष जैन को पकड़ लाई। लेकिन इन लोगों से ठगी की रकम बरामद नही कर पाई। कारोबारियों के दवाब पर दलाल आशीष के पिता नत्थूलाल को भी इंदौर से गिरफ्तार किया। अभी सटोरिया मोनू और दलाल अशीष की पत्नी अंकिता फरार हैं। उनकी घेराबंदी से पहले केस की जांच एजेंसी से बदल गई।