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ग्वालियर

कर्मचारियों के नाम से बना रहे व्यापारी बोगस फर्म, बोगस बिल से टैक्स क्रेडिट का खेल

– बोगस फर्म बनाकर बड़े पैमाने पर जारी है टैक्स चोरी, जीएसटी राज्य कर विभाग को सुध नहीं- तीन वित्तीय वर्षों में कुल 283 की छापे की कार्रवाई, 96.17 करोड़ की रकम हुई जमा- 2020-21 वित्तीय वर्ष में की थी 63 जगहों पर छापे की कार्रवाई में वूसले थे 42.50 करोड़, 2021-22 सितंबर माह तक 40 स्थानों पर हो चुकी है कार्रवाई और जमा हो चुके 46.61 करोड़ रुपए

ग्वालियरOct 25, 2021 / 10:29 am

Narendra Kuiya

कर्मचारियों के नाम से बना रहे व्यापारी बोगस फर्म, बोगस बिल से टैक्स क्रेडिट का खेल

कर्मचारियों के नाम से बना रहे व्यापारी बोगस फर्म, बोगस बिल से टैक्स क्रेडिट का खेल

ग्वालियर. जीएसटी (गुड्स सर्विस टैक्स) जब लागू हुआ था तो ये कहा जा रहा था कि अब टैक्स की चोरी नहीं होगी। पर फिर भी कर अपवंचन करने वालों ने नए तरीकों का इजाद कर लिया। कुछ ऐसा ही बोगस व्यक्ति या बोगस नाम से फर्म बनाकर कर अपवंचन का काम अभी भी जारी है। ऐसे कारोबारी आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लेने और टैक्स चोरी के चलते बोगस व्यक्ति या बोगस नाम से फर्म तो चला रहे हैं पर वास्तव में इस तरह की फर्म का कोई अस्तित्व नहीं है। ऐसे कारोबारी तिमाही के जीएसटी रिटर्न भी दाखिल नहीं करते हैं। इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए की गई गड़बड़ी के मामले पहले भी प्रदेश भर में निकलकर आए थे। वहीं जीएसटी राज्य कर विभाग का एंटी इवेजन ब्यूरो गत तीन वित्तीय वर्षों में कुल 283 की छापे की कार्रवाई कर 96.17 करोड़ की रकम राजस्व के रूप जमा कराई है।
सिंडिकेट बनाकर किया जा रहा काम
कारोबारियों द्वारा बोगस फर्म नौकर एवं स्टाफ के नाम से बनाई जाती है। फिर इन फर्मों से बोगस बिल काटे जातेे हैं, जिसका कोई टैक्स भी जमा नहीं किया जाता है। बहुत ज्यादा होने पर थोड़ा बहुत टैक्स जमा कर रिटर्न फाइल कर दिए जाते हैं। बोगस बिलों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर बड़ी मात्रा में कर अपवंचन हो जाता है। अब तो यह चोरी सिंडिकेट बनाकर की जाने लगी है।
जाने इनपुट टैक्स क्रेडिट को
जीएसटी में इनपुट क्रेडिट मूल रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट ही होता है। इनपुट क्रेडिट का मतलब होता है कि कारोबारी द्वारा इस्तेमाल किए गए पूंजीगत सामानों के अलावा कोई भी सामान जिसका उपयोग उसके व्यवसाय के दौरान किया जाता है। मान लीजिए कि एक साबुन कारोबारी है और साबुन बनाने के लिए 100 रुपए का कच्चा माल खरीदता है। उस समय 100 रुपए के कच्चे माल पर 18 फीसदी टैक्स लगाया गया। कारोबारी को यह माल 118 रुपए पड़ा। कारोबारी ने उस कच्चे माल का उपयोग करके बने हुए साबुनों को 200 रुपए में बेच दिया। इस पर टैक्स राशि 36 रुपए आई। इस 36 रुपए पर उसके 18 रुपए का इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की थी
बोगस फर्मों के जरिए टैक्स चोरी करने वाले व्यापारियों पर 2019 में केंद्रीय और राज्य कर जीएसटी विभाग ने शिकंजा कसा था। इसमें ऐसे कारोबारियों के पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की गई थी जो बोगस व्यक्ति या बोगस नाम से फर्म तो चला रहे थे पर वास्तव में इस तरह की फर्म अस्तित्व नहीं थी। पर बाद में कारोबारियों ने फिर से बोगस फर्म से टैक्स चोरी करना शुरू कर दिया था।
धारा-67 के अंतर्गत जीएसटी राज्य कर के छापे
अवधि संख्या जमा राशि
2019-20 180 7.06
2020-21 63 42.50
2021-22
सितंबर तक 40 46.61
कुल 283 96.17
नोट – (जमा राशि करोड़ में)

धारा-68 के अंतर्गत वाहनों पर कार्रवाई
अवधि वाहन संख्या जमा राशि
2019-20 618 7.73
2020-21 506 5.81
2021-22
सितंबर तक 173 2.50
कुल 1297 16.04
नोट – (जमा राशि करोड़ में)
बोगस फर्मों से टैक्स चोरी जारी
कई कारोबारियों ने सिंडिकेट बनाकर एक चेन के रूप में जीएसटी नंबर लिए हैं जिसके आपस में एक-दूसरे की फर्म से बिलिंग कर बिना माल के ट्रांसफर के बिलों का आदान-प्रदान कर कर अपवंचन किया जा रहा है। पंजीयत कारोबारियों पर तो जीएसटी विभाग की ओर से सभी कार्रवाई की जाती है, उनमें हर समय भय का वातावरण बना रहता है। वहीं दूसरी बोगस फर्मों के जरिए टैक्स चोरी भी जारी है।
– अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष, एमपी टैक्स लॉ बार ऐसोसिएशन
बोगस फर्मों पर कार्रवाई करेंगे
बोगस फर्मों को लेकर प्रदेश के साथ-साथ ग्वालियर में भी कई कार्रवाई की गई हैं। समय-समय पर हमारी टीमें ऐसी फर्मों को देखती रहती हैं, यदि फिर भी बोगस फर्म बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट की चोरी की जा रही है तो ऐसी फर्मों पर कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल कोरोना संक्रमण के चलते छापों और वाहनों की मोबाइल चेकिंग में कमी आई थी, पर इस बार ये कार्रवाइयां लगातार की जा रही हैं।
– यूएस बैस, ज्वाइंट कमिश्नर, राज्य कर जीएसटी विभाग

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