यह है मामला
शहर के फिजीकल थाना अंतर्गत इंदिरा कॉलोनी में रहने वाली सोमवती जाटव 3 नवंबर 2017 को अपने घर से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गई थी। महिला के गुम पर उसके भाई संतोष जाटव ने फिजीकल थाने में उसी दिन गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया था। सोमवती की लापता होने के 6 माह पूर्व ही पिपरघार तहसील पोहरी में रहने वाले सरवन जाटव के साथ शादी हुई थी। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद महिला का कुछ पता नहीं चला।
मामले की जांच एसडीओपी ने की थी
चूंकि महिला की शादी के छह माह बाद ही हत्या होना पुलिस ने माना था, इसलिए इसकी जांच एसडीओपी जीडी शर्मा को सौंपी गई। शर्मा ने भी बिना देर किए सोमवती के पति सरवन को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ 22 मार्च 2018 को हत्या का मामला दर्ज करके जेल भेज दिया। जबकि सरवन यह कहता रहा कि मैंने न तो अपनी पत्नी की हत्या की और न ही लाश फेंकी थी। पुलिस ने अपने हाथ-पांव बचाने के लिए सोमवती के परिजनों के साक्ष्य दर्ज कर लिए, जिसमें उन्होंने बताया कि सोमवती का पति उसे पसंद नहीं करता था तथा 50 हजार रुपए दहेज की मांग कर रहा था।
जॉर्ज कैसल कोठी के पास मिला था कंकाल
20 फरवरी 2018 को देहात थाना अंतर्गत माधव नेशनल पार्क के अंदर जॉर्ज कैसल कोठी के पास झाडिय़ों में एक कंकाल मिला था। इस कंकाल में हड्डियों के अलावा उसके पास लेडीज चप्पल व हड्डियों पर साड़ी का टुकड़ा लिपटा मिला था। चूंकि फिजीकल थाने में महिला सोमवती की गुमशुदगी दर्ज थी, इसलिए पुलिस ने बिना देर किए कंकाल की पहचान के लिए सोमवती के परिजनों को बुलाकर कंकाल के पास मिला सामान दिखाया तो उन्होंने सोमवती के रूप में उसकी पहचान कर दी। चूंकि शव के नाम पर सिर्फ कंकाल मिला था, इसलिए पुलिस ने कंकाल की फीमर बोन एवं सोमवती के भाई व मां का सैंपल लेकर डीएनए के लिए सागर लेबोरेटरी भेज दिया था।
सैंपल जांच रिपोर्ट ने पति को बचाया, पुलिस को उलझाया
अभी तक तो सब कुछ पुलिस के द्वारा बनाई गई कहानी के मुताबिक ही चल रहा था। पुलिस ने जांच पूरी करके अभियोग पत्र न्यायालय में पेश कर दिया। न्यायालय ने जब साक्षियों के दर्ज किए गए बयान व न्यायालय में दिए गए कथन का मिलान किया तो उनमें भिन्नता थी। इसी बीच सागर की लेबोरेटरी से जांच रिपोर्ट आ गई, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि उक्त कंकाल किसी महिला का न होकर पुरुष का था। रिपोर्ट आते ही न्यायाधीश अमित कुमार गुप्ता ने बीते 16 जुलाई 2022 को न केवल आरोपी बनाए गए पति सरवन जाटव को दोषमुक्त कर दिया, बल्कि एसडीओपी जीडी शर्मा व एक अन्य के खिलाफ आईजी ग्वालियर को वैधानिक कार्यवाही के लिए पत्र भेजा है।
आईजी को भेजे पत्र में यह किया उल्लेख
न्यायाधीश अमित कुमार गुप्ता ने आईजी को लिखा है कि प्रकरण में अनुसंधानकर्ता उपनिरीक्षक जगमोहन ङ्क्षसह व एसडीओपी जीडी शर्मा ने त्रुटिपूर्ण अन्वेषण किया, जिसके चलते यह स्पष्ट नहीं हो सका कि माधव नेशनल पार्क में मिला कंकाल किसका था। इसके अलावा हत्या के आरोप में एक अधीन अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया, जिसके कारण उसे अभिरक्षा में रहना पड़ा। अनुसंधानकर्ताओं ने उपेक्षापूर्ण अन्वेषण के संबंध में उचित वैधानिक कार्यवाही की जाए। साथ ही पुलिस अधीक्षक शिवपुरी को भी निर्देशित किया है कि बीते 20 फरवरी 2018 को मिले नरकंकाल से जुड़े अपराध की जांच करवाई जाए।