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World Tribal Day 2019: आदिवासी समाज की कुछ बेटियां बालिका शिक्षा की गढ़ रही कहानी

locationग्वालियरPublished: Aug 09, 2019 12:56:45 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

परिजनों ने कर दिया विवाह, बेटियां बोली-बाद में जाएंगे ससुराल, पूरी करेंगे पढ़ाई
 
 

Tribal society Sheopur : gora education even after child marriage

World Tribal Day 2019: आदिवासी समाज की कुछ बेटियां बालिका शिक्षा की गढ़ रही कहानी

जयसिंह गुर्जर @ श्योपुर

परिजनों ने भले ही बाल विवाह कर दिया हो, लेकिन आगे पढऩे की ललक और आत्मनिर्भर बनने का सपना सरारी गांव निवासी एक आदिवासी छात्रा गोरा को न केवल उच्च शिक्षा की दहलीज पर ले आया, बल्कि समाज को आइना भी दिखाया। गोरा ने बाल विवाह होने के बाद भी ससुराल जाने के बजाय पहले अपनी पढ़ाई पूरा करने का संकल्प लिया और छात्रावास में रहकर अपनी कॉलेज की पढ़ाई कर रही है।

ये केवल छात्रा गोरा आदिवासी की कहानी नहीं है, बल्कि समाज की मुख्यधारा से पीछे माने जाने वाले आदिवासी समाज की उन कई बेटियों की कहानी है, जो सामाजिक वर्जनाओं को तोडकऱ समाज में न केवल एक नई कहानी गढ़ रही, बल्कि अपनी उम्मीदों को भी पंख दे रही हैं। जिस समाज में बालिका शिक्षा की स्थिति काफी कमजोर है और जल्द शादी कर बेटियों को ससुराल भेजने का प्रचलन है, उसी आदिवासी समाज की लगभग आधा सैकड़ा बेटियां आजाक विभाग के शासकीय जनजातीय महाविद्यालयीन कन्या छात्रावास श्योपुर में रहकर कॉलेज की पढ़ाई कर रही हैं। इनमें आधा दर्जन छात्राएं ऐसी हैं, जिनकी शादियां भी हो गई हैं, लेकिन उन्होंने ससुराल जाने के बजाय पहले पढ़ाई पूरी करने की ठानी और अपने परिजनों को मनाकर स्नातक की डिग्री कर रही हैं।

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गोरा : सुसराल नहीं गई तो पति की गई दूसरी शादी
ग्राम सरारी निवासी छात्रा गोरा आदिवासी छात्रावास में रहकर वर्तमान में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है। गोरा के मुताबिक जब वह 10वीं कक्षा में थी तभी परिजनों ने उसकी शादी कर दी, लेकिन वह आगे पढऩा चाहती थी, लिहाजा परिजनों को मनाया और पहले तो 12वीं तक स्कूली पढ़ाई पूरी की। परिजनों से फिर जिद की और अब श्योपुर में छात्रावास में रहकर कॉलेज में पढ़ रही है। गोरा का कहना है कि शादी के बाद पढऩे के लिए जब ससुराल नहीं गई तो ससुरालियों ने पति की दूसरी जगह शादी भी कर दी। इन सब परिस्थितियों के बीच गोरा का सपना शिक्षक बनने का है।

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सुमिस्ता : कॉलेज की पढ़ाई के लिए परिजनों को मनाया
कराहल के ही ग्राम मयापुर की छात्रा सुमिस्ता आदिवासी भी वर्तमान में छात्रावास में रहकर कॉलेज में पढ़ रही है और बीए तृतीय वर्ष की छात्रा है। छात्रा सुमिस्ता ने परिजनों को पहले तो स्कूली पढ़ाई पूरी करने के लिए मनाया और जब 12वीं कक्षा हो गई तो कॉलेज की डिग्री के लिए परिजनों से जिद की। हालांकि परिजनों ने सुमिस्ता की शादी दो साल पूर्व कर दी है, लेकिन अब वह कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रही है और उसका भी सपना शिक्षक बनने का है।

शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी करने की जिद से आदिवासी समाज की ये बेटियां अब समाज को आइना दिखाते हुए एक नई परिभाषा गढ़ रही हैं। समाज के लोगों को चाहिए कि बालिका शिक्षा पर फोकस किया जाए।
रूप लक्ष्मी, अधीक्षिका, जनजाति महाविद्यालयीन कन्या छात्रावास श्योपुर

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