बताया गया है कि इंदौर निवासी दिलीप कन्नोजे ने वर्ष 2009 में पीएमटी में फर्जीवाड़ा कर एमबीबीएस में दाखिला लिया था। उसके साथ सॉल्वर परीक्षा में बैठा था। इसका खुलासा होने पर पुलिस ने दिलीप कन्नोजे के साथ इस मामले में दो दलालों हमीरपुर के मनीष व टीकमगढ़ के हृदेश राजपूत को भी पकड़ा था, लेकिन पुलिस दिलीप के स्थान पर परीक्षा देने वाले तक नहीं पहुंच सकी।
सीबीआइ भी इस मामले में सॉल्वर को नहीं ढूंढ़ सकी। सीबीआइ ने दोनों दलालों हृदेश और मनीष को यह कहते हुए प्रकरण से हटा दिया था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।
अरविंद पर आरोप तय
वर्ष 2009 में फर्जी तरीके से पीएमटी पास करने वाले अरविंद अग्निहोत्री पर अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं। इस मामले में भी सीबीआइ सॉल्वर तक नहीं पहुंच सकी, न ही सीबीआइ को दलाल के खिलाफ कोई सबूत मिले हैं।
विकास के मामले में गवाही पूरी
पीएमटी में फर्जीवाड़ा कर डॉक्टर बने विकास माहौर के खिलाफ सीबीआइ ने गवाही पूरी करा दी है। अब विकास के कथन होना हैं। वर्ष 2010 में विकास माहौर ने फर्जी तरीके से पीएमटी पास कर एक योग्य छात्र का हक छीना था। इस मामले में भी पुलिस अन्य आरोपियों तक नहीं पहुंच सकी। सीबीआइ ने जब मामला हाथ में लिया तो वह भी विकास माहौर तक ही सीमित रही।