कागजी वन वे पर दौड़ रहा टू वे ट्रैफिक
सरकारें बदल गई, अफसर अदल बदल गए, लेकिन नहीं बदली तो शहर के यातायात की तासीर। ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए सड़कों पर बिना वजह के कब्जे हटाने...

ग्वालियर. सरकारें बदल गई, अफसर अदल बदल गए, लेकिन नहीं बदली तो शहर के यातायात की तासीर। ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए सड़कों पर बिना वजह के कब्जे हटाने से लेकर रास्तों को वन वे किए जाने के तमाम खाके खींचे गए, लेकिन फिर भी सड़कों पर हमेशा जाम के हालात बने रहते हैं। शहर के नए हिस्से में हो रही बसाहट को छोड़ दें तो पुराने शहर में यातायात का हाल ठीक नहीं है।
शहर के करीब 9 रास्तों को वन वे किए जाने का प्लान यातायात पुलिस और नगरनिगम की खींचतान में ठंडे बस्ते में अटका है। दरअसल ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि शहर के कुछ रास्तों को वन वे कर दिया जाए तो हालात सुधर सकते हैं। उनमें एक तरफ का यातायात चलेगा तो जाम के हालात नहीं बनेंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। यातायात पुलिस ने जिन रास्तों को वन वे किया है उन पर नगरनिगम वन वे का बोर्ड तक नहीं लगा पाई है। इस लापरवाही का खामियाजा है कि इन रास्तों को वन वे किया गया ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं होने का हवाला देते हैं। इन वन वे पर ट्रैफिक दोनों तरफ का दौड़ रहा है। इसलिए वन वे का प्लान मात खा रहा है। अपनी खामी को दूर करने की बजाए यातायात पुलिस और नगरनिगम लोगों में ट्रैफिक सेंस की कमी का ठीकरा फोड़ हालात बिगाडऩे का दोषी भी ठहराते हैं।
9 रास्तों का प्लान ठंडे बस्ते में
दौलतगंज- व्यस्त बाजार का रास्ता वन वे है, लेकिन बाजार की सड़क पर दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही होती है। पुलिस जब भी बाजार में चेकिंग करती है तो बाड़े से बाजार में आने वाले वाहनों को रांग साइड ड्राइव का हवाला देकर पकड़ती है। यहां यातायात पुलिस और वाहन चालकों के बीच कहासुनी की नौबत भी बनती है, जो लोग गलती में पकड़े जाते हैं वह पुलिस से सीधा सवाल करते हैं, रास्ता वन वे है, लेकिन इसका लेखा जोखा कहां है। कैसे माना जाए कि बाजार में बाड़े की तरफ से आना गलत है। बाजार का एक छोर पाटनकर बाजार और दूसरा महाराजबाड़ा को छूता है। नियम से दोनों पर वन वे का संकेतक होना चाहिए। इस खामी पर यातायात पुलिस भी चुप है। उसकी दलील है वन वे का संकेतक लगाने का जिम्मा नगरनिगम का है, उसे कहा भी जा चुका है, लेकिन बोर्ड नहीं लगा है।
सराफा बाजार- इस बाजार का एक सिरा महाराजबाड़ा और दूसरा गश्त का ताजिया पर खुलता है। यातायात पुलिस के रेकार्ड में रास्ता वन वे है। इसमें बाड़े से आकर डीडवाना ओली होते हुए गश्त का ताजिया जाना होता है, लेकिन अक्सर वाहन चालक गश्त का ताजिया से भी बाजार में रांग साइड एंट्री करते हैं। यहां भी रोक टोक पर बहस का मुद्दा बाजार के रास्ते पर वन वे का संकेतक नहीं होना है।
जनकगंज बाजार- हनुमान चौराहे से चाबड़ी बाजार तिराहे तक रास्ते पर सिर्फ दो पहिया वाहनों की दोनों तरफ से आवाजाही की इजाजत है। चार पहिया वाहनों के लिए जनकगंज डिस्पेंसरी से आगे आने की मनाही है। इन वाहनों को जनकगंज अस्पताल से छत्री मंडी होकर जाने का रास्ता तय किया गया है, लेकिन इसका भी बोर्ड या संकेतक नहीं लगाया गया है।
अचलेश्वर रोड- इंदरगंज चौराहे से अचलेश्वर मंदिर के रास्ते पर दोनों तरफ का यातायात चलने से रास्ता जाम होता था। इसलिए यातयात पुलिस ने अचलेश्वर से इंदरगंज चौराहे तक सिर्फ वाहनों की आने और चौराहे से थीम रोड जाने के लिए रोशनी घर रोड का इस्तेमाल तय किया है। इसका पालन कराने के लिए यातायात पुलिस को भी तैनात किया, लेकिन वन वे तय रास्तों के संकेतक नहीं लगवाए गए हैं।
इन रास्तों पर भी यही हालात
यातायात पुलिस और नगरनिगम के तालमेल का अभाव फालका बाजार, लोहिया बाजार, दाल बाजार, सदर बाजार मुरार सहित तमाम रास्तों पर उलझन साबित होता है। यातायात पुलिस के अधिकारी कहते हैं नगरनिगम के इन रास्तों पर संकेतक लगाने के लिए कहा जा चुका है, लेकिन निगम बोर्ड नहीं लगवा पाई है। रास्तों पर संकेतक लगेंगे तो उनसे वन वे रास्तों पर रांग साइड गाड़ी चलाने वालों की तादात कम होगी।
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