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जानकारी के मुताबिक छात्रों के हितों की रक्षा के लिए यूजीसी ने शैक्षणिक संस्थानों के लिए दाखिले के दौरान सर्टिफिकेट्स के वेरिफिकेशन, फीस का भुगतान और रिफंड्स पर नए नियम जारी किए हैं। यूजीसी के इस फैसले के बाद छात्रों ने राहत की सांस ली है। अब किसी भी छात्र को प्रवेश फॉर्म के साथ मूल प्रमाणपत्र, अंकसूची, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट्स या अन्य दस्तावेज की मूल कॉपी किसी भी संस्थान में जमा नहीं करना पड़ेगी। उच्च शिक्षा संस्थान इन दस्तावेज की मूल कॉपी जमा करने के लिए छात्रों पर दबाव नहीं बना सकेंगे।
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नए नियम के अनुसार संस्थान दाखिले के समय असल कॉपी को देखकर वेरिफिकेशन कर सकते हैं और उन कॉपियों को तुरंत छात्रों को लौटाना होगा। संस्थान चाहे तो उन दस्तावेज की प्रमाणित फोटोकॉपी मांग कर रख सकते हैं। यूजीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब छात्रों के लिए स्टडी प्रोग्राम के दौरान कभी भी संस्थान के प्रॉस्पेक्टस को खरीदना जरूरी नहीं होगा।इसके अलावा संस्थान उस सेमेस्टर या साल के लिए ही सिर्फ छात्रों से एडवांस में फीस ले सकते हैं, जिस दौरान छात्र वहां शैक्षणिक गतिविधि में शामिल होगा। यानि पूरे प्रोग्राम के लिए एडवांस फीस नहीं वसूली जा सकेगी।
प्रवेश कैंसिल तो लौटाना होगी फीस
यूजीसी के सेकेट्री प्रो. रजनीश जैन के अनुसार यदि कोई छात्र प्रवेश लेने वाले कोर्स की पढ़ाई जारी नहीं रखना चाहता और अपना नाम कटवाना चाहता है तो संबंधित संस्थान को छात्र द्वारा भुगतान की गई फीस के रिफंड के लिए 4-टायर सिस्टम का पालन करना होगा। दाखिले की अंतिम तारीख निकलने से 15 दिन पहले कोई छात्र एडमीशन निरस्त कराने का आवेदन देता है तो जमा की गई फीस में से संस्थान 10 फीसदी से ज्यादा नहीं काट सकते हैं। बाकी रकम छात्रों को लौटाना होगी।
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गठित करना होगी कमेटी
यूजीसी ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि छात्रों की मूल दस्तावेज जमा कराने सहित फीस रिफंड कराने संबंधी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए। ऐसी शिकायतों को असरदार ढंग से निपटारे के लिए प्रत्येक यूनिवर्सिटी व कॉलेज में अलग से शिकायत निपटारा कमेटी का भी गठन करना होगा। मूल दस्तावेज वापस नहीं करने या फीस रिफंड नहीं करने पर संस्थान पर जुर्माना लगाया जा सकता है।